अब्दुलकादिर हसन बेग
अब्दुलकादिर हसन बेग मार्शानी (रूस: Князь Абдулкадир-бек Маршания) (१८६२ - १९२८ ), आबखाज़ राजकुमार थे। वह अपनी बहन एमीने नाज़िकेदआ के माध्यम से सुल्तान मोहम्मद पष्ठ के बहनोई भी थे।
उन्होंने ट्सएबेलड़ा में जनम लिया था। उनके पिताश्री हसन बेग थे जो के एक आबखाज राजकुमार थे। रूस-तुर्की युद्ध १८७७-७८ के दौरान, वह अपने परिवार के साथ इस्तांबुल के ओरताकोय आ गए थे.
वह अब्दुल हमीद द्वितीय के घुड़सवार सहयोगियों में से एक बन गए थे। वह १८९० के दशक तक इस पद पर बने रहे। दरबार में कुछ लोगों की साज़िश का शिकार हुए और उन्हे सिवास में निर्वासित कर दिया गया। उन्होंने सिवाकास में कादिरकोय की स्थापना की। बाद में उन्हे योज़गात में नियुक्त किया गया और १९०९ में अबदुलहमीद के त्याग के बाद, वह इस्तांबुल लौट आए। वह गॉज़तेपे में पारिवारिक हवेली में स्वतंत्रता के युद्ध तक रहे थे। चूँकि उनके बेटा इस्माइल बेग स्वेच्छा से युद्ध में शामिल होना चाहता थे, इसलिए वह अपने परिवार के साथ अनातोलिया वापस चले गए और सिवास में बस गए। उनकी मृत्यु कादिरकोय में हुई। उनका शव परिवार के मकबरे में दफनाया गया था।
बेग की सबसे बड़ी बेटी मिस्लिमेलेक खानम ने शहजादे अब्दुलकादिर से शादी की और उनकी पहली पत्नी थी। बेग की दूसरी बेटी दिलारा खानम ने अब्दुल हमीद द्वितीय के साथी केनान पाशा से विवाह किया। बेग के अन्य बेटों में शामिल हैं: अली और रशीद जो के मोहम्मद पॅष्ठ के साथी थे।
बेग की पोती नादिया ने मिस्र के शाही परिवार के वाहिद युसरी पाशा से शादी की।
ग्रन्थसूची
- अचबा-अंचबदेज़, लेयला, प्रिसेंस: हरम की स्मृतियाँ, इस्तांबुल २००४
- अफ़ीफ़ रेज़ेमज़ा: महल से वनवास, इस्तांबुल २०१३
- अर्देबा, रुमेयसा: मोहम्मद पॅष्ठ का सैन रेमो के दिन, इस्तांबुल २००९
- ऑजतुनआ, ईलमज़: राष्ट्र एवं परिवरे- अंकारा १९९०