अब्जद
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अब्जद ऐसी लिपि होती है जिसमें हर अक्षर एक व्यंजन होता है। इसमें स्वर लिखा ही नहीं जाता और पाठक को स्वयं ही स्वर का अनुमान लगाना पड़ता है। प्राचीनकाल में फ़ोनीशियाई वर्णमाला एक अब्जद लिपि थी और उस से उत्पन्न यूनानी लिपि और आरामाई लिपि दोनों अब्जद थी। इसी प्रकार अरबी, इब्रानी और पहलवी लिपियाँ भी अब्जद थीं। कई आधुनिक अब्जद लिपियाँ अशुद्ध होती हैं, यानि उनमें कभी-कभी स्वर दर्शाए जाते हैं। इसका उदाहरण आधुनिक अरबी लिपि है।[१]
नामोत्पत्ति
"अब्जद" नाम अरबी के पहले चार अक्षरों के नामों को जोड़कर उतपन्न हुआ है: अ + ब + ज + द। यह नाम पीटर डैनियल्ज़ ने रखा था जो भाषावैज्ञानिकों में लोकप्रिय हो गया। इन्होंने ही "अबुगिदा" का नाम भी रखा था।[२]