अन्तर्वलित गियर
अन्तर्वलित गियर प्रोफाइल (involute gear profile) आजकल उपयोग की जाने वाली सबसे प्रमुख गियर रूपरेखा (प्रोफाइल) है। जबकि वृत्ताभ गियर प्रोफाइल (cycloid gearing ) अब कुछ विशिष्ट स्थितियों में ही प्रयोग की जाती है, जैसे घड़ियों में। इस तरह की गियर के दांत एक वृत्त की बाहरी तरफ लगे होते हैं। अन्तर्वलित गियर के दाँतों की प्रोफाइल एक वृत्त का इन्वोल्यूट होता है।
अन्तर्वलित गियर को समझने के लिए हमें दो वृत्तों के बारे में सोचना होगा , जो आपस में छू नहीं रहे हैं। अब हम उन दोनों की स्पर्शरेखा बनाते हैं। इस तरह से हम दो स्पर्श रेखा पा सकेंगे।
अब हमें एक वृत्त को घुमाना है। कल्पना कीजिये की बांया गियर घड़ी की दिशा में घूम रहा है। इस तरह से हम एक स्पर्श रेखा को हटा सकेंगे। अन्तर्वलित गियर इसी प्रकार से चलते हैं। एक गियर दूसरे गियर को धक्का देता है , तो वो धक्का हमेशा इसी स्पर्श रेखा की दिशा में होता है। ( आप चित्र में भी देख सकते हैं )
असली गियर में इन वृत्तों के ऊपर दांत लगे होते हैं , जिसके कारण वे एक दुसरे को छू पाते हैं और साथ में घूम पाते हैं।
अब हमें कुछ तकनीकी शब्द समझने पड़ेंगे :
स्वर वृत्त : हम अपने वृत्तों के केंद्रों को सीधी रेखा से जोड़ देंगे। हमें एक बिंदु ऐसी मिलेगी , जहाँ पर ये रेखा स्पर्शरेखा को काट रही है। इस बिंदु को स्वर बिंदु कहते हैं।
हम एक केंद्र पर प्रकार की नोक रखकर स्वर बिंदु तक की त्रिज्या का वृत्त बनाएंगे। जब हम दूसरे केंद्र के साथ ऐसा करेंगे, तो हमें दो स्वर वृत्त प्राप्त हो जायेंगे। इस स्वर वृत्त की सहायता से हम अपने गियर की कोणीय गति का अनुमान लगा लेंगे। चूंकि स्वर बिंदु पर दोनों वृत्तों की गति समान है ( वे आपस में फिसल नहीं रहे हैं )
- ख की त्रिज्या * ख का कोणीय वेग = क की त्रिज्या * क का कोणीय वेग
या,
- ख की कोणीय वेग / क की कोणीय वेग = क की त्रिज्या / ख की त्रिज्या
दबाव कोण
स्पर्श रेखा और गियर केंद्रों को जोड़ने वाली रेखा की लंब एक रेखा के बीच जो कोण बनता है , उसे दबाव कोण कहते हैं। आम तौर पर २० डिग्री के दबाव कोण का इस्तेमाल किया जाता है।
सन्दर्भ
इन्हें भी देखें
- प्रतिकेन्द्रज (involute)