अन्तपाल
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कौटिलीय अर्थशास्त्र से हमें अंतपाल नामक राजकर्मचारियों का पता चलता है जो सीमांत के रक्षक होते थे और जिनका वेतन कुमार, पौर, व्यावहारिक, मंत्री तथा राष्ट्रपाल के बराबर होता था।
अशोक के समय अंतपाल ही अंतमहामात्र कहलाने लगे। गुप्तपाल में अंतपाल गोप्ता कहलाने लगे थे। मालविकाग्निमित्र नाटक में वीरसेन तथा एक अन्य अंतपाल का उल्लेख हुआ है। वीरसेन, नर्मदा के किनारे स्थित अंतपाल दुर्ग का अधिपति था। अंतपालों का कार्य महत्त्वपूर्ण था; ग्रीक कर्मचारी 'स्त्रातेगस' से इन पदाधिकारियों की तुलना करना सहज है। अंतपाल शब्द साधारणतया सीमांत प्रदेश के शासक या गवर्नर को निर्दिष्ट करता है। यह शासक सैनिक, असैनिक दोनों ही प्रकार का होता था।