अनु रानी
व्यक्तिगत जानकारी | |
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राष्ट्रीयता | भारतीय |
जन्म | साँचा:br separated entries |
मृत्यु | साँचा:br separated entries |
खेल | |
देश | भारत |
खेल | भाला फेंक |
अनु रानी (जन्म 28 अगस्त 1992, मेरठ में) एक भारतीय भाला फेंक एथलीट हैं और वर्तमान राष्ट्रीय रिकॉर्ड इनके ही नाम है। अनु वो पहली भारतीय महिला हैं जिन्होंने 60 मीटर से अधिक की दूरी तक भाला फेंका हो। 2019 के नैशनल चैंपियनशिप में अनु ने 62.34 मीटर भाला फेंक कर नया कीर्तिमान बनाया। अनु ने चार बार अपना ही राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ा है। वे वर्ल्ड चैंपियनशिप के फ़ाइनल्स तक भी पहुँच चुकी हैं।
व्यक्तिगत जीवन और पृष्ठभूमि
उत्तर प्रदेश के बहादुरपुर में 28 अगस्त 1992 को जन्मीं अनु किसान परिवार से हैं। बचपन में परिवार के साथ खेले जा रहे क्रिकेट मैच में जब काफी दूर से उन्होंने बॉल को आसानी से फेंका तो उनके भाई ने उनकी बाजुओं की ताक़त को पहचाना। उन्होंने एक गन्ने को भाले की शक्ल देते हुए उसे अनु के हाथों में पकड़ा दिया।[१]
लेकिन जब वो इस खेल को गंभीरता से लेना चाहती थीं तो उनके रूढ़िवादी पिता ने उनके इस विचार को नहीं माने कि उनकी बेटी उस गाँव में एक एथलीट बनना चाहती हैं जहाँ अधिकांश लड़कियाँ घर के काम किया करती हैं। हालाँकि, घर में सबसे छोटी सबकी चहेती अनु रानी ने अपने पिता को मनाना जारी रखा।
एक अच्छे भाले की कीमत क़रीब 1 लाख रुपये थी जिसे वो ख़रीदने में सक्षम नहीं थीं। तो उन्होंने बाँस को ही भाला का आकार दे दिया और उससे अभ्यास करने लगीं।[२]
उन्होंने स्कूल और ज़िला स्तरीय प्रतियोगिताओं में भाग लेना शुरू किया। माध्यमिक की पढ़ाई के दौरान भी अनु 25 मीटर तक भाला फेंक लेती थीं। इस खेल में उनकी रूचि और तरक्की को देखते हुए परिवार ने पूरी ताक़त के साथ अनु को आगे बढ़ाने का फ़ैसला किया। लेकिन जल्द ही अनु को यह महसूस हुआ कि भाला फेंकने में सफल होने के लिए ताक़त होने के बावजूद यह खेल बहुत तकनीकी है।
भाला फेंकने में, ऐंगल- किस कोण पर भाले को फेंकना है, रिलीज़ पॉइंट- भाले को हाथ से कब छोड़ना है और ट्राजेक्ट्री- वो रास्ता जिस पर भाले को फेंकना है- ये सभी तकनीक बहुत मायने रखती है। लिहाजा अनु रानी को यह समझ आ गया का उन्हें भाला फेंकने की तकनीक पर काम करना होगा। इस प्रकार उन्होंने भाला फेंक में पूर्व भारतीय खिलाड़ी काशीनाथ नाइक से प्रशिक्षण लेने का फ़ैसला लिया।[३] काशीनाथ नाइक ने दिल्ली में आयोजित 2010 कॉमनवेल्थ गेम्स में कांस्य पदक हासिल किया था।
अनु रानी ने भाला फेंक का राष्ट्रीय रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया। बाद में उन्होंने अपना ही रिकॉर्ड चार बार तोड़ डाला। आखिरकार उन्हें ‘इंडियन क्वीन ऑफ़ जैवलिन’ के रूप में सम्मान मिलने लगा।[४]
उपलब्धियाँ
लखनऊ में 2014 के राष्ट्रीय अंतर-राज्यीय चैंपियनशिप में अनु रानी ने 58.83 मीटर भाला फेंकने के साथ न केवल स्वर्ण पदक अपने नाम किया बल्कि 14 साल पुराना राष्ट्रीय कीर्तिमान भी तोड़ डाला. इसके साथ ही वे राष्ट्रमंडल खेलों के लिए क्वालिफाइ कर गईं।
उसी वर्ष दक्षिण कोरिया के इंचियोन में आयोजित एशियाई खेलों में उन्होंने 59.53 मीटर भाला फेंक कर कांस्य पदक हासिल किया। दो साल बाद नैशनल एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2016 में उन्होंने पहली बार 60 मीटर के अवरोध को तोड़ते हुए 60.1 मीटर भाला फेंका और अपना ही रिकॉर्ड तोड़ दिया।[५]
रानी ने 2017 में भुवनेश्वर में आयोजित एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता।[६]
रानी ने 2019 एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप, दोहा में रजत पदक जीता। इस प्रदर्शन से उन्होंने वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में क्वालिफाइ किया और इस प्रकार वे ऐसा करने वाली पहली महिला भाला फेंक खिलाड़ी बन गईं। वहाँ वे आठवें स्थान पर रहीं।[७] उसी वर्ष चेक रिपब्लिक में आयोजित आईआईएएफ एथलेटिक्स चैलेंज में उन्होंने कांस्य पदक जीता।
उन्होंने 2020 में एथलेटिक्स में स्पोर्ट्सस्टार एस स्पोर्स्टवूमन ऑफ़ द ईयर अवार्ड जीता।[८]
पदक
- कांस्य पदकः 2014 एशियन गेम्स, दक्षिण कोरिया
- कांस्य पदकः 2017 एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप, भुवनेश्वर, भारत
- रजत पदकः 2019 एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप, दोहा
संदर्भ
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