अढ़ाई दिन का झोंपड़ा
अढ़ाई दिन का झोंपड़ा | |
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धर्म संबंधी जानकारी | |
सम्बद्धता | साँचा:br separated entries |
अवस्थिति जानकारी | |
अवस्थिति | साँचा:if empty |
नगर निकाय | अजमेर |
राज्य | राजस्थान |
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भौगोलिक निर्देशांक | साँचा:coord |
वास्तु विवरण | |
संस्थापक | साँचा:if empty |
शिलान्यास | 1192 |
निर्माण पूर्ण | 1199 |
ध्वंस | साँचा:ifempty |
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अढ़ाई दिन का झोंपड़ा राजस्थान के अजमेर नगर में स्थित यह एक मस्जिद है। माना जाता है इसका निर्माण सिर्फ अढाई दिन में किया गया और इस कारण इसका नाम अढाई दिन का झोपड़ा पढ़ गया। इसका निर्माण पहले से वर्तमान संस्कृत विद्यालय को परिवर्तित करके मोहम्मद ग़ोरी के आदेश पर मोहम्मद गौरी के गवर्नर कुतुब-उद-दीन ऐबक ने वर्ष 1194 में करवाया था। मोहम्मद गौरी ने तराईन के युद्ध में पृथ्वीराज चौहान को हरा दिया उसके बाद पृथ्वीराज की राजधानी तारागढ़ अजमेर पर हमला किया। यहां स्थित संस्कृत विद्यालय में रद्दो बदल करके मस्जिद में परिवर्तित कर दिया। ।[१] इसका निर्माण संस्कृत महाविद्यालय के स्थान पर हुआ।[२][३] इसका प्रमाण अढाई दिन के झोपड़े के मुख्य द्वार के बायीं ओर लगा संगमरमर का एक शिलालेख है जिस पर संस्कृत में इस विद्यालय का उल्लेख है। इसकी दीवारों पर हरकेली नाटक (विग्रहराज चतुर्थ द्वारा रचित)के अंश मिलते हैं जोनिस्के संस्कृत पाठशाला होने के साक्षी हैं।
अन्य मान्यता अनुसार यहाँ चलने वाले ढाई दिन के( पंजाब शाह के) उर्स के कारण इसका नाम पड़ा।साँचा:cn
यहाँ भारतीय शैली में अलंकृत स्तंभों(16खंभों पर स्थित है) का प्रयोग किया गया है, जिनके ऊपर छत का निर्माण किया गया है। मस्जिद के प्रत्येक कोने में चक्राकार एवं बासुरी के आकार की मीनारे निर्मित है । 90 के दशक में इस मस्जिद के आंगन में कई देवी - देवताओं की प्राचीन मूर्तियां यहां-वहां बिखरी हुई पड़ी थी जिसे बाद में एक सुरक्षित स्थान रखवा दिया गया। ये भारत की सबसे प्राचीन इस्लामी मस्जिदों में शुमार है। इस लेख के इतिहासकार जावेद शाह खजराना के अनुसार केरल स्थित चेरामन जुमा मस्जिद के बाद अढाई दिन का झोपड़ा सबसे पुरानी मस्जिद है।साँचा:cn
इतिहास
इस स्थान पर संस्कृत विद्यालय 'सरस्वती कंठाभरण महाविद्यालय' एवं विष्णु मन्दिर का निर्माण चतुर्थ विग्रहराज (बिसलदेव) चौहान ने करवाया था।