अक्का महादेवी
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अक्का महादेवी ಅಕ್ಕ ಮಹಾದೇವಿ(११३०-११६०) वीरशैव पंथ संबंधी कन्नड़ कविता में प्रसिद्ध हस्ती थीं।अक्का महादेवी का जन्म 12वीं शताब्दी में दक्षिण भारत के कर्णाटक राज्य में 'उदुतदी' नामक स्थान पर हुआ। ।[१] इनके वचन कन्नड़ गद्य में भक्ति कविता में ऊंचा योगदान माने जाते हैं।[२] इन्होंने कुल मिलाकर लगभग ४३० वचन कहे थे, जो अन्य समकालीन संतों के वचनों की अपेक्षा मे कम हैं। फिर भी इन्हें वीरशैव पंथ के अन्य संतों जैसे बसव, चेन्न बसव, किन्नरी बोम्मैया, सिद्धर्मा, अलामप्रभु एवं दास्सिमैय्या द्वारा ऊंचा दर्जा दिया गया है। बारहवीं शताब्दी की प्रख्यात कन्नड़ कवियत्री- अक्का महादेवी एक परम शिव भक्त थीं।[३] पिता निर्मल शेट्टी और माता सुमति की सुपुत्री महादेवी जी का जन्म शिवमोग्गा जिले के शिकारिपुर तालुक के गाँव में लगभग सन ११३० ई. में हुआ। इनके माता- पिता शिव भक्त थे। १० वर्ष की आयु में महादेवी ने शिवमंत्र की दीक्षा प्राप्त की। इन्होंने अपने द्वारा रचित अनेक कविताओं में भगवान शिव का सजीव चित्रण किया है। यह प्रभु की सगुण भक्ति करती। भक्ति भाव के चार प्रकार (दास्य, सखा, वात्सल्य, और माधुर्य भाव ) में, महादेवी जी की अपने इष्ट के प्रति माधुर्य भक्ति थी। यह भगवान शिव को “चेन्नमल्लिकार्जुन” अर्थात “सुन्दर चमेली के फूल के समान श्वेत, सुन्दर प्रभु !” कहकर संबोधित करतीं। इन्होंने भगवान शिव को ही अपना पति माना। उत्तर भारत की भक्तिमति मीराबाई के कृष्ण-प्रेम के समान ही महादेवी जी की भगवान शिव में प्रीति थी। इनका वैवाहिक जीवन भी कुछ-कुछ मीराबाई के जीवन के समान ही था।[४]
बाहरी कड़ियाँ
सन्दर्भ
- लेख जिन्हें अप्रैल 2019 से अतिरिक्त संदर्भ की आवश्यकता है
- लेख जो अप्रैल 2019 से स्रोतहीन हैं
- लिंगायत मत
- कन्नड़ साहित्य
- कर्नाटक का इतिहास
- भारतीय दार्शनिक
- भारतीय महिला लेखिकाएं
- हिन्दू कवि
- कन्नड़ कवि
- कवियित्री
- १२वीं शताब्दी के लेखक
- १२वीं शताब्दी के जन्म
- १२व्बीं शताब्दी की मृत्यु
- १२वीं शताब्दी के दार्शनिक
- कन्नड़ लोग
- भक्ति आंदोलन