"अकोस"श्रीकृष्णजी की नगरी मथुरा का एक छोटा सा सुरम्य गावं है। ब्रजक्षेत्र के सुदूर ग्रामीण अंचल में स्थित अकोस गावँ कई ऐतिहासिक और धार्मिक स्थानों के मध्य यमुना के तट पर बसा हुआ है। अकोस श्रीकृष्ण के ज्येष्ठ भ्राता बलदाऊ( बलरामजी)की नगरीबलदेव नगर से जुड़ा है।देखने में भले ही यह छोटा सा गावं दिखता है। लेकिन जिस स्थान पर यह गावं बसा है,उसका अपना धार्मिक एवं एैतिहासिक महत्व काफी बड़ा है।
कहा जाता है कि अकोस गावँ काफी प्राचीन है। आज इस गावँ से निकल कर अलग अलग स्थानों पर एक दर्जन से भी अधिक गावँ स्थापित चुके हैं। इस गावँ की प्राचीनता को बयां करता है गावँ के पास स्थापित सिध्देश्वर महादेव मंदिर। जी हां इस शिव मंदिर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा बताया जाता है। किदवंती है कि पीली मिट्टी की ऊंची टेकरी पर स्थित इस (शिवमंदिर)शिवालय और उसमें शिवलिंग की स्थापना पांडव पुत्र भीम ने अपने अनुजों के साथ मिलकर कुछ समय तक किये गए अपने प्रवासकाल के दौरान करायी थी। आज पुनः निर्माण के चलते यह शिवालय बेशक नया रूप अख्तियार कर चुका है, लेकिन इस में शिवलिंग वही प्राचीन हैं। इस लिये इस स्थान की अपनी महत्तता जनमानस में काफी बड़ी है।
इस स्थान की एक और खास बात यह है कि यहाँ यमुनाजी एक किमी से भी अधिक दूरी तक अपने प्रवाह के विपरीत दिशा में पूर्व से पश्चिम की ओर बहती हैं।
वर्तमान में अकोस मथुरा जनपद की पहली बड़ी ग्राम पंचायत है,जिसमें १४ छोटे-बड़े गावं-मजरे शामिल हैं। जनपद की महावन तहसील के राजस्व ग्राम अकोस के पास से ही यमुना जनपद की सीमा से बाहर निकलती है। साथ ही कुछ दूर तक मथुरा और आगरा जिलों की सीमा भी निर्मित करती है।
जिसके दूसरी पार दर्शनीय स्थल "कीठम झील" सुरकुटी(सूरदास जी की तपोस्थली) है जहाँ महात्मा सूरदास ने १२ वर्षों तक निवास किया था और वहीँ उन्होंने महाप्रभु बल्लभाचार्य से दीक्षा भी ली थी।
अकोस गावं के पास ही यमुना जी के दूसरी ओर ही महर्षि परशुराम की माता रेनुका जी(वर्तमान में रुनकता ) की तपस्थली भी इसी क्षेत्र में स्थित है। जहाँ उनके अवशेष चिन्ह रेणुका घाट व मंदिर मौजूद है। पास ही च्यवन ऋषि का वास स्थान पछिमानी आश्रम क्षेत्र भी स्थित है। उल्लेखनीय यह है कि इस क्षेत्र में ही यमुना नदी नौ किमी के एरिया में नौ बार मोड़ लेती है। जिससे इस की जलधारा बल खाती हुई मनोरम रूप में प्रवाहित होती दिखायी देती है।