अकीक पिष्टी
अकीक पिष्टी के गुण और उपयोग | सेवन विधि
परिचय
यह एक प्रकार का खनिज पत्थर है। जो की प्रायः श्वेत, रक्त, निले तथा पीले इन चार रंगों में पाया जाता है। इनमें श्वेत वर्ण वाला श्रेष्ठ होता है। लेकिन हकीमों (यूनानी चिकित्सकों) के मत से लाल वर्णमाला सर्वोत्तम होता है। यह मुंबई, बांदा और खंभात से आता है। इसकी कई किस्में यमन और बगदाद से भी आती हैं।
शोधन विधि
अकीक के टुकड़ों को आग पर खूब तपाकर 7 बार त्रिफला क्वाथ में बुझाने से यह शुद्ध हो जाता है।
पिष्टी बनाने की विधि
शुद्ध अकीक के टुकड़ों को इमामदस्ते में महीन कूटकर कपड़छान करके 10-12 दिन लगातार गुलाब जल में घोंटे फिर इसे महीन कपड़े से छानकर, सुखाकर सुरक्षित एयरटाइट कंटेनर में रख लें। इस तरह से तैयार पिष्टी अकीक भस्म के मुकाबले अधिक सौम्य होती है।
अकीक पिष्टी के गुण और उपयोग
1 - यह पिष्टी सभी प्रकार की हृदय की कमजोरी को दूर कर उसे सुचारू रूप से कार्य करने में मदद करती है।
कुछ लोग अकीक पत्थर का लॉकेट बनाकर गले में पहनते हैं वह भी दिल को ताकत प्रदान करके उसकी कमजोरी को दूर करने में मदद करता है।
2 - जिन व्यक्तियों को गर्मी अधिक लगती है। पसीना बहुत आता है, हाथों पैरों में जलन महसूस होती है। उन सभी को भी अकीक पिष्टी का प्रयोग अवश्य करना चाहिए। क्योंकि यह दाह ( पित्त ) को शांत करने का काम करती है।
3 - बढ़ी हुई तिल्ली ( सूजन आना ) एवं यकृत संबंधी विकार भी इसके सेवन से ठीक होते हैं। साथ ही वात तथा प्लीहा विकारों में भी यह बहुत अच्छा फायदा करती है।
4 - शरीर में कहीं भी घाव हो जाने पर अकीक पिष्टी का पाउडर बाहर से लगाने पर बहुत अच्छा लाभ होता है।
5 - यह आंखों की रोशनी बढ़ाने में भी बहुत अच्छा काम करती है। आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए इसे आंवले के मुरब्बे के साथ सेवन करना चाहिए। अकीक भस्म के मुकाबले अधिक सौम्य होने के कारण इसके पाउडर को आप बाहर से आंखों में सुरमे की तरह भी लगा सकते हैं।
6 - पथरी निकालने के लिए भी अकीक पिष्टी बहुत फायदेमंद है फिर चाहे पथरी पित्ताशय में हो या गुर्दे में। दोनों जगह से ही पथरी को निकालने में इसका प्रयोग बहुत लाभदायक है।
7 - डिप्रेशन, दिमागी कमजोरी, लकवे की शिकायत आदि विकारों में भी अकीक पिष्टी बहुत अच्छा कार्य करती है, क्योंकि यह दिमाग की नसों को ताकत देकर उसके समस्त मानसिक विकारों का नाश करती है।
8 - जो महिलाएं सफेद पानी ( लिकोरिया ) व रक्त प्रदर की समस्या से जूझ रही है वह भी इसके सेवन से लाभ उठा सकती हैं, क्योंकि अकीक पिष्टी रक्तपित्त को जड़ से नष्ट कर देती है।
9 - एसिडिटी, गैस, सिरदर्द, खट्टी डकार आना यह सारी परेशानी होने पर अकीक पिष्टी का सेवन सूतशेखर रस के साथ करने से अपूर्व लाभ होता है। क्योंकि यह दोनों ही पित्त को शांत कर शरीर में अम्लता को बढ़ने से रोकते हैं।
10 - ज्वर के कारण शरीर अत्यधिक तपने लगता है अत्यधिक गर्मी लगती है, शरीर में बेचैनी बनी रहती है। तो इन सब दोषों को दूर करने के लिए भी अकीक पिष्टी का प्रयोग बहुत ही लाभदायक है।
11 - वे सभी पुरुष जो यौन कमजोरी का अनुभव करते हैं उन्हें अकीक पिष्टी का सेवन 1 रत्ती बंग भस्म के साथ करना चाहिए। क्योंकि यह शरीर को बल प्रदान कर वीर्य को गाढ़ा करने वाली तथा स्तंभन शक्ति को बढ़ाने वाली औषधि है।
मात्रा और सेवन विधि
1 रत्ती से लेकर 3 रत्ती तक सुबह शाम मधु ( शहद ), मक्खन या रोगानुसार अनुपान के साथ लेने से अकीक पिष्टी बहुत अच्छा लाभ करती है।
विशेष नोट - अकीक पिष्टी पूर्णतया एक आयुर्वेदिक और सुरक्षित औषधि है। फिर भी इसका सेवन करने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श अवश्य करें।
संदर्भ:- आयुर्वेद-सारसंग्रह. श्री बैद्यनाथ भवन लि. पृ. सं.108,109