अंगूर (1982 फ़िल्म)
अंगूर | |
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चित्र:Angoor 1982 poster.jpg अंगूर का पोस्टर | |
निर्देशक | गुलज़ार |
लेखक | गुलज़ार |
अभिनेता |
संजीव कुमार देवेन वर्मा मौसमी चटर्जी अरुणा ईरानी दीप्ति नवल सी.एस.दुबे यूनुस परवेज़ टी.पी. जैन कर्नल कपूर |
संगीतकार | राहुल देव बर्मन |
प्रदर्शन साँचा:nowrap | 5 मार्च 1982 |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
अंगूर अंगूर वर्ष 1982 में रिलीज़ हुई हिंदी कॉमेडी फिल्म है जिसका निर्देशन प्रसिद्ध फिल्मकार गुलज़ार ने किया है। ये फिल्म अंग्रेजी के महान नाटककार विलियम शेक्सपियर के नाटक- ‘कॉमेडी ऑफ़ एरर्स’ पर आधारित है।
संक्षेप
इस फिल्म की कहानी जुड़वाँ बच्चों के दो जोड़ों पर आधारित है जो बचपन में बिछुड़ जाते हैं। जब वे बड़े होकर मिलते हैं तो बेहद हास्यप्रद परिस्थितियां पैदा होती हैं।
कथा-सार
राज तिलक अपनी पत्नी और दो जुड़वाँ बच्चों के साथ यात्रा पर निकलते हैं। उनके दोनों जुड़वाँ बच्चों का नाम अशोक है। रास्ते में उन्हें जुड़वाँ बच्चों की एक और जोड़ी मिलती है जिनका नाम वे बहादुर रखते हैं। समुद्री दुर्घटना में परिवार के सदस्य बिछुड़ जाते हैं। अशोक और बहादुर की एक जोड़ी माँ के साथ और दूसरी जोड़ी पिता के साथ अलग-अलग शहरों में रहने लगती है।
अशोक और बहादुर की पहली जोड़ी अपनी अपनी पत्नियों -सुधा और प्रेमा के साथ एक ही घर में रहते हैं। सुधा की बहन तनु भी उन्ही के साथ रहती है। बहादुर और प्रेमा उस घर में नौकर और नौकरानी के रूप में कार्य करते हैं। अशोक और बहादुर की मालिक-नौकर दूसरी जोड़ी एक अन्य शहर में रहती हैं और दोनों अविवाहित हैं। संयोगवश इस जोड़ी को उसी शहर में आना पड़ता है जिसमे पहली जोड़ी रहती है। परिस्थितियां इस प्रकार घटित होती हैं कि वे पहली जोड़ी के घर में पहुँच जाते हैं। सुधा और प्रेमा भी उन्हें अपना-अपना पति समझने लगती हैं। उनके व्यवहार से सुधा, प्रेमा, तनु और उनके सभी परिचित हैरान और परेशान हो जाते हैं और अनेक हास्यप्रद परस्थितियों उत्पन्न होती हैं। जब दोनों जोड़ियों का आमना-सामना होता है तभी सभी को वास्तविकता का पता चलता है।
कलाकार
- संजीव कुमार - अशोक
- देवेन वर्मा - बहादुर
- मौसमी चटर्जी - सुधा
- अरुणा ईरानी - प्रेमा
- दीप्ति नवल - तनु
- सी.एस.दुबे - छेदीलाल, सुनार
- यूनुस परवेज़ - छेदीलाल का कारीगर
- टी.पी. जैन - गणेशीलाल, जौहरी
- कर्नल कपूर- इंस्पेक्टर सिन्हा
संगीत
फ़िल्म के संगीतकार राहुल देव बर्मन और गीतकार गुलज़ार हैं। गीत-संगीत की दृष्टि से फिल्म साधारण है।
क्र. | शीर्षक | गायक |
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1 | "होठों पे बीती बात" | आशा भोंसले |
2 | "रोज़ रोज़ डाली डाली" | आशा भोंसले |
3 | "प्रीतम आन मिलो" | सपन चक्रवर्ती |
रोचक तथ्य
हिंदी सिनेमा में अपने आरंभिक दिनों में जब गुलज़ार प्रसिद्ध निर्देशक बिमल रॉय के सहायक के रूप में कार्य करते थे तब उन्होंने उनके लिए एक फिल्म लिखी थी- दो दूनी चार, जिसमें जुड़वाँ मालिक और जुड़वाँ नौकर की भूमिकाएं किशोर कुमार और असित सेन ने अदा की थी । देबू सेन निर्देशित ये फिल्म बॉक्स-ऑफिस पर असफल रही पर गुलज़ार को इस कहानी पर पूरा भरोसा था। उन्होंने 80 के दशक में इस कहानी पर पुनः फिल्म बनाने का फैसला किया।
परिणाम
वर्ष 1982 में अपनी रिलीज़ के समय इस फिल्म ने साधारण सफलता प्राप्त की, परन्तु समय के साथ-साथ इस फिल्म ने दर्शकों पर अपना प्रभाव छोड़ा और आज इस फिल्म की गिनती हिंदी सिनेमा की सर्वश्रेष्ठ कॉमेडी फिल्मों में की जाती है ।
नामांकन और पुरस्कार
30 वें फिल्मफेयर पुरस्कार समारोह
- संजीव कुमार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता हेतु नामांकित।
- देवेन वर्मा सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेता हेतु नामांकित और पुरस्कार जीतने में सफल।