अहमद-शाह-अब्दाली
को अनुप्रेषित:
अहमद शाह अब्दाली उर्फ दुर्रानी का जीवन परिचय (अहमद शाह अब्दाली कौन थे) (पानीपत, इतिहास) (Ahmad Shah Abdali Durrani Biography in hindi)
1857 के जिस वक्त मुगल साम्राज्य का अंत होने वाला था, उसी दौरान हिंदुस्तान पर अहमद शाह अब्दाली का आक्रमण प्रारंभ हुआ. इसी समय हिंदुस्तान के उत्तरी पश्चिमी की सीमाओं पर सुरक्षा की स्थिति खराब होती चली जा रही थी. इसी का फायदा उठाकर हिंदुस्तान के दक्षिणी पश्चिमी सीमाओं पर पश्चिम की तरफ से 2-2 आक्रमण हुए थे. इनमें जो दो आक्रमण हुए थे वह पहला आक्रमण नादिरशाह ने किया था और दूसरा आक्रमण अहमदशाह अब्दाली ने. इन दोनों आक्रमणों से हिंदुस्तान पर बहुत ही बड़ा आघात हुआ. इन दोनों पश्चिमी हमलों में अनगिनत नगरों और राज्यों को लूटा, असंख्य लोगों का नरसंहार किया गया और स्त्रियों की आबरू को भी लूटा गया इतना ही नहीं आक्रमणकारियों -ने -न- जाने कितनी स्त्रियों को यहां से लूट कर ले गए. भारत पर अब्दाली ने 7 बार आक्रमण किया था , अब्दाली के द्वारा किए गए इस आक्रमण में मथुरा, वृंदावन और आगरा को बहुत बुरी तरह क्षति पहुंची थी. आज हम इस लेख के माध्यम से आपको अहमद शाह अब्दाली उर्फ दुर्रानी के जीवन परिचय के बारे में बताने वाले हैं. आइए जानते हैं, कि दुर्रानी ने अपने जीवन काल में किस तरह अपना सामराज्य फह्लाया और भारत पर कैसे-कैसे उसने आक्रमण किए.
अहमद शाह अब्दाली का प्रारंभिक जीवन ?
- अहमद शाह अब्दाली का जन्म अफगानिस्तान के हेरात में 1722 में हुआ था. अब्दाली को दुर्रानी साम्राज्य एवं अफगानिस्तान का संस्थापक माना जाता है.
- अहमद शाह अब्दाली को दुर्रानी के नाम से भी जाना जाता है.
- 1747 जब अहमद शाह अब्दाली राजा नहीं बना था, तब वह फारसी सम्राट नादिर शाह के नेतृत्व में एक घुड़सवार सेना के जनरल के रूप में कार्य किया करता था.
- अब्दाली ने अपने शासनकाल में एक विशाल साम्राज्य का निर्माण किया जो पूर्वी फारस से उत्तरी भारत तक और अमु दरिया से हिंद महासागर तक फैला हुआ था.
- अब्दाली के पिता जी का नाम मोहम्मद जमाल खान था. अब्दाली जी के पिता अब्दाली जनजाति के मुखिया थे. अब्दाली की मां का नाम जरगुन बेगम थी.
- नादिर शाह की मृत्यु के बाद 1747 में अहमद शाह अब्दाली को अफगानिस्तान का राजा घोषित किया गया. फिर इसके बाद अहमद शाह अब्दाली ने अफगान कबीलों और सहयोगियों को एकजुट करके पूर्व में मुगल एवं मराठा साम्राज्य पर आक्रमण किया.
दुर्रानी साम्राज्य का विस्तार एवं स्थापना ?
- दुर्रानी समराज एक पश्तून साम्राज्य था, जो अफगानिस्तान पर केंद्रित था और इसके अतिरिक्त पूर्वोत्तर ईरान, पाकिस्तान और पश्चिमी उत्तरी भारत पर विस्तृत था.
- अहमद शाह अब्दाली ने 1747 में कंधार में दुरानी साम्राज्य की स्थापना की.
- अहमद शाह अब्दाली की मृत्यु के बाद 1773 से उसके साम्राज्य को उसके पुत्र और अब्दाली के पोतों ने 1826 तक दुर्रानी साम्राज्य का निर्वहन किया. अब्दाली के पुत्र और पोतों ने दुर्रानी साम्राज्य की राजधानी को काबुल (अफगानिस्तान की राजधानी) स्थानांतरित कर दिया और पेशावर (जो इस समय पाकिस्तान में है) को अपनी शीतकाल राजधानी में परिवर्तित कर दिया.
- अफगानिस्तान में आज भी माना जाता है, कि अहमद शाह अब्दाली उनका राष्ट्रपिता था.
पानीपत का तृतीय युद्ध ?
- अकबर के बाद औरंगजेब ने सबसे अधिक मुगल साम्राज्य पर शासन किया था.
- औरंगजेब की मृत्यु होने के बाद मुगल साम्राज्य अपने पतन की ओर अग्रसर होने लगा. इसके बाद क्या था, कई मुगल शासक कठपुतली शासक के रूप में कार्य कर रहे थे.
- वर्ष 1751 – 1752 में मुगलो एवं मराठों के बीच “अहमदिया” नामक संधि हुई. इस संधि के अनुसार मराठों ने अपने साम्राज्य की राजधानी पुणे से भारत के बड़े भाग पर नियंत्रण स्थापित कर दिया.
- इस संधि की वजह से मुगल शासन सिर्फ दिल्ली तक ही सिमटकर रह गया. मराठाओं की शक्ति विस्तृत होने पर उन्हें एक ऐसी ऐतिहासिक युद्ध की ओर ढकेल दिया जो मराठों की अंत का कारण बना.
- अब्दाली के द्वारा छेड़े गए इस युद्ध को मराठों का अंत और पानीपत का तृतीय युद्ध भी कहा जाता है.
- कहने सुनने को मिलता है कि पानीपत के तृतीय युद्ध 14 जनवरी 1761 को हुआ था, इसमें मारे गए सिपाहियों की संख्या किसी अन्य युद्ध से कई गुना ज्यादा थी.
- यदि शुजा-उद-दौला के दीवान काशी के अनुसार इस युद्ध में माना जाए , तो युद्ध खत्म होने के 1 दिन ही बाद लगभग 40,000 मराठा सिपाहियों को बेरहमी के साथ मौत के घाट उतार दिया गया था.
ब्रज में भीषण लूट ?
अब्दाली के दिल्ली को लूटने के बाद उसका मन दिल्ली से सटे जाटों की रियासतों को भी लूटने का ललचाया. उस दौरान ब्रज में जाटों और मराठों के बीच विवाद जारी था , जिसका भरपूर स्थिति का फायदा अब्दाली ने उठाया. अब्दाली ने पठानों की सेना के साथ दिल्ली से आगरा की ओर चढ़ाई की. आगरा की तरफ से अब्दाली की पहली भिड़ंत जाटों के साथ बल्लभगढ़ में हुई. अब्दाली के इस पहली युद्ध भिड़ंत में बल्लभगढ़ के जाट सरदार बालू सिंह और राजा सूरजमल के जेष्ठ पुत्र जवाहर सिंह ने भी सरदार बल्लू सिंह के साथ मिलकर एक छोटी सी सेना की टुकड़ी के साथ अब्दाली जैसी बड़ी सेना वाले राजा से लोहा लिया. लेकिन इस युद्ध में सरदार बल्लू सिंह और जवाहर सिंह मोहम्मद शाह अब्दाली को रोकने में असफल रहे और उनको पराजय का सामना करना पड़ा. इसके बाद अब्दाली ने विजय प्राप्त की और फिर से अपने तरीके से लूटपाट मचाने लगा.
अब्दाली की सेना का मथुरा की ओर रुख ?
अब्दाली से आदेश लेकर उसकी सेना ने मथुरा की ओर कुज किया. 8 मील पहले ही मथुरा के चौमुहाँ जगह पर जाटों की एक छोटी सी सेना ने अहमद शाह अब्दाली की सेना से युद्ध लड़ा. जाटों ने अपनी वीरता का बहुत ही अच्छे ढंग से उदाहरण अब्दाली की सेना के सामने प्रस्तुत किया परंतु दुश्मनों की सेना बहुत अधिक थी , जिसके कारण उनको हार का सामना करना पड़ा.
अब्दाली की सशस्त्र नागा साधु की ओर नजर ?
अब्दाली की सेना ने मथुरा वृंदावन में खूब लूट और मारकाट मचाई, इसके तुरंत बाद अब्दाली ने भी अपनी और सेना की टुकड़ी को लेकर मथुरा पहुंच गया. अब्दाली की नजर मथुरा के बाद गोकुल पर पड़ी. अब्दाली की इच्छा थी की थी ने गोकुल को लूटने के बाद वह आगरा की ओर बढ़ जाएगा. अब्दाली ने गोकुल को लूटने के लिए यमुना नदी को पार किया फिर इसके बाद महावन को लूटा. महावन को लूटने के बाद अब्दाली ने गोकुल को भी लुटा. परंतु गोकुल में नागा साधुओं के एक बड़े दल ने उसकी सेना का जमकर मुकाबला किया. इसके बाद अब्दाली की सेना में हैजा नामक बीमारी फैल गई , जिसकी वजह से अब्दाली के सैनिक बड़ी संख्या में मृत्यु के घाट उतारने लगे. इस समस्या को सुलझाने में अब्दाली विफल रहा और वह वापस लौट गया. इस प्रकार से नागाओं की वीरता और वहां की देवियों-देवताओं के आशीर्वाद से गोकुल लूट मार से बच गया.
आगरा में अब्दाली की लूट ?
अब्दाली की सेना वृंदावन में लूटमार करने के पश्चात आगरा पहुंच गई. यहां पर भी उन्होंने खूब लूट मार मचाई. परंतु अब्दाली की दुर्भाग्यवश सेनाओं में दोबारा से हैजा रोग फैल गया और वे वहां से भी जल्दी वापस लौट गए.
पानीपत मूवी 2019
2019 में भारतीय फिल्मी जगत में “पानीपत” के नाम से फिल्म आने वाली है. इस फिल्म को आशुतोष गोवारिकर ने निर्देश किया हुआ है. यह एक भारतीय ऐतिहासिक युद्ध फिल्म होगी. इसमें अर्जुन कपूर, संजय दत्त और कृति सोनन है , जो भारत में पानीपत हुई तीसरी लड़ाई में किरदारों का रोल अदा कर रहे हैं. इस फिल्म में संजय दत्त ने अहमद शाह अब्दाली का किरदार निभाया हुआ है. इस फिल्म में अर्जुन कपूर पेशवा के किरदार में नजर आ रहे हैं. भारतीय हिंदी साहित्यकार अशोक चक्रधर ने पानीपत फिल्म के डायलॉग को लिखा हुआ है. आमतौर पर इस फिल्म में पानीपत के तीसरे युद्ध में घटित हुई घटनाओं को दर्शाया जाएगा. मुख्यतः इस फिल्म में 1761 में हुई पानीपत की लड़ाई में मराठों और अहमद शाह अब्दाली के बीच युद्ध की झलक आपको देखने को मिलेगी. जिसमें यह पता चलता है कि अहमद शाह अब्दाली ने पानीपत के तृतीय युद्ध को बहुत ही कुशलता से जीता था. इस फिल्म के ट्रेलर से ही पता चलता है कि यह फिल्म बहुत ही ऐतिहासिक ढंग से बनाई गई है, और इस फिल्म को देखने में बहुत ही ज्यादा रोमांच आने वाला है. यदि आप इस फिल्म का रोमांच उठाना चाहते हैं, तो 6 दिसंबर 2019 को यह नजदीकी सिनेमाघरों में देखने को मिल जाएगी.
अहमद शाह अब्दाली की मृत्यु ?
कर्कट रोग से जूझ रहे अहमद शाह अब्दाली की मृत्यु 16 अक्टूबर 1772 में हुई.