hiwiki:भाषा से संबंधित शिकायतें/पुरालेख 1

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यह पृष्ठ विकिपीडिया:भाषा से संबंधित शिकायतें का पुरालेख पन्ना है।

शीर्षकहीन

आपकी बात से सहमत हूँ आलोचक जी कि एक अच्छा लेख अनेक साहित्यकारों व विद्वानों को विकी की ओर आकर्षित कर सकता है मैं यहाँ आज का आलेख को पढ़ने नियमित आती रही हूँ पर अब यह स्तंभ बहुत दयनीय हो चला है। उदाहरण के लिए आज मुखपृष्ठ पर जो पाठ है उसमें वर्तनी की गलतियाँ तो हैं ही दोहराव भी हैं। एक बार कहा गया है कि यह मुर्गी के आकार का फिर दूसरी बार से मुर्गी से बड़े आकार का। स्थानिक शब्द गलत तो नहीं पर अटपटा है। फिर कहा गया है कि यह मॉरीशस का राष्ट्रीय चिह्न है। यह तो गलत बात है। मॉरिशस के राष्ट्रीय चिह्न में स्थान दिया गया है पर वह मॉरिशस का राष्ट्रीय चिह्न तो नहीं है। ऐसी गलतियों वाले लेख को आज का आलेख बनाना विकिपीडिया की गुणवत्ता और लोकप्रियता के लिए घातक है। यह लिखने का उद्देश्य किसी की आलोचना करना नहीं है लेकिन किसी भी वस्तु का प्रारंभ अगर अच्छा हुआ हो तो उसको बनाए रखने में क्या समस्या है इस पर सदस्यों को ध्यान देना चाहिए। जो लोग लेख लिखने का अनुभव रखते हैं उनके संपादन के बिना लेख का चुनाव नहीं होना चाहिए और लेख लिखने के नियमों को और विस्तार से परिभाषित किया जाना चाहिए। अन्य सदस्य भी अपनी राय और सुझाव लिखें ताकि इस स्तंभ को पहले की तरह स्तरीय बनाया जा सके।--मुक्ता पाठक ०६:२२, १ जुलाई २००९ (UTC)
मुक्ता जी और सुरुचि जी !! आप दोनों आज का लेख शृंखला देखकर जिस तरह से आहत हैं ठीक वही स्थिति मेरी भी है। पूर्णिमा वर्मन ने इसकी शुरुआत की थी परन्तु कुछ अति उत्साही प्रबंधकों और सदस्यों ने इसमें इतना हस्तक्षेप किया कि पूर्णमा जी को आहत होकर कुछ दिन के लिए विकी को छोड़कर बैठना पड़ा। आशिष और रोहित रावत काफी सक्रिय हैं विकी पर परन्तु हिन्दी में मौलिक लेख लिखने में अभी वे अपरिपक्व हैं। जवाब भी ऐसा लिखते हैं कि मानो विकी के ये बहुत बड़े व्यूरोक्रेट हों..... कई सदस्यों को ये बात काफी अखरती है जिनमें अब आपका नाम भी जुड़ गया है। जो व्यक्ति किसी के लेख को पढ़कर उसकी योग्यता के विषय में जान न सके तो इसका सीधा सा अर्थ है कि वह भाषा की वारीकी को नहीं समझता है। विकी से बाहर की दुनिया में हम जैसे लोग जो साहित्यकार हैं, पत्रकार हैं, लेखक हैं, शिक्षक हैं, वहाँ का हमारा अनुभव इतना बड़ा है कि विकी के ये लोग जो ये लिख रहे हैं कि "अभी विकी पर आपको आये दिन ही कितने हुए हैं?" हास्यास्पद लगता है इनका इस तरह का लिखा हुआ। तरस भी आता है इस तरह की भाषा पर। खैर...... आज का आलेख शृंखला को जब तक पूरी तरह से पूर्णिमा वर्मन नहीं सँभाल लेती हैं तब तक इसमें इस तरह की गलतियाँ दिखती ही रहेंगी। मैं पहले भी यह लिख चुका हूँ। गलतियाँ बताने पर जिस तरह के प्रतिउत्तर लिखे जाते हैं उसे पढ़कर लगता है कि कहीँ हम विकी पर अपने समय का अपव्यय तो नहीँ कर रहे हैं.......। डोडो लेख में तमाम गलतियाँ हैं पर उसे आज का लेख बनाकर प्रकाशित भी कर दिया गया। यहा हाल रहा तो विकी पर हिन्दी के जानकार लोग आना ही बन्द कर देंगे। पूर्णिमा जी से आग्रह है कि वे इस शृंखला को अपने नियंत्रण में ले लें नहीं तो अब तक का विकी पर किया गया सारा श्रम व्यर्थ जाएगा।
--आलोचक १४:५३, १ जुलाई २००९ (UTC)
आपके गलतियां बताने का बहुत बहुत धन्यवाद। भूल सुधार का प्रयास किया गया है। --आशीष भटनागर  वार्ता  ०९:०६, १ जुलाई २००९ (UTC)

प्रौद्यौगिकी

प्रौद्यौगिकी या प्रौद्योगिकी में से सही शब्द क्या है? कृपया बताने का कष्ट करें एवं तदनुसार लेखों में सुधार करें| धन्यवाद Rahul07 ०६:४८, ३० मई २०११ (UTC) Rahul07

आगे

जिन लोगों को मेरी भाषा बुरी लगी हो तो क्षमा चाहूंगा, किंतु जहां आलोचक जी को मेरे संदेश में उपरोक्त वाक्यांश दिखा, उसी संदेश में क्या मेरी बात को अन्यथा ना लें। बुरा लगा हो तो क्षमा करें। आप अन्य क्षेत्रों में अनुभवी हो सकती हैं, किंतु यहां पर उस काट-छांट से चर्चा के महत्वपूर्ण अंश खो जाते, इसलिए मैंने बताया। अंश नहीं देखा? दूसरी बात यहां किसको पता है, कि कोई नया सदस्य हिन्दी का अनुभवी है या कोई नौसिखिया। जब कुछ समय होगा काम करते हुए, या कुछ बात होगी इस बारे में तभी तो पता चलेगा। तीसरी बात मैंने यही तो लिखा है, कि उन्हें काट-छांट का अनुभव नहीं था, इस कारण से हुआ होगा। वे हिन्दी की विद्वान हैं, तो क्या मैंने उनकी भाषा पर कोई टिप्पणी की है? नहीं ना। इसके आगे लिखा है:इसके आगे यह भी जोड़ना चाहूंगा, कि यदि आपके पास कुछ पाठ हो, जिसे विकिपीडिया के अनुरूप (विकिफाई) करना हो तो कृपया याद करें, सदैव प्रस्तुत हूं। आज का आलेख स्तंभ, जिसे पहले दो लोग देखते थे, वे ६ जून से छुट्टी पर चले गए थे, और तबसे मुझे अपनी भारतीय रेल परियोजना पर काम रोककर यहां लगना पड़ा। मेरा अनुभव दो के बराबर तो नहीं था। इस कारण भूल व त्रुटियां हुईं। फिर भी आगे से ध्यान दूंगा। दो सदस्यों के एकदम से चले जाने पर मुझे मजबूरी में ये काम संभालना पड़ा। तीसरा डोडो और अन्य प्रत्याशी लेख प्रत्याशी सूची में रहते हैं, तो कोई भी चाहे तो संपादन/सुधार कर सकता है। जहां तक पूर्णिमा जी से आग्रह की बात है, वो मैं बहुत पहले ही सदस्य वार्ता:पूर्णिमा वर्मन#आलेख स्तंभ ०९:३०, १५ जून २००९ (UTC) को उनसे निवेदन कर चुका हूं। जहां तक वर्तनी दोषों की बात है, तो जिस प्रकार आलोचक जी दूसरों के संदेशों में गलतियां बताते हैं (मैंने कभी इसे गलत नहीं समझा, व सुधारा ही है) उन्हीं के संदेशों में बहुत से वर्तनी दोष हैं। किंतु यदि हम बताएं तो छोटे मुंह बड़ी बात होंगे, और यहां ये बताना मेरा ना उद्देश्य है, ना इच्छा ही। मैंने तो सदा ही मेरे द्वारा विकसित/लिखित लेखों के संपादन/सुधार आदि के लिए सबका स्वागत ही किया है। इसलिए यह प्रार्थना है, कि इस प्रकार ब्यूरोक्रैट जैसे शब्द प्रयोग ना करें। और अनुभवी लोगों से निवेदन है, कि मात्र आलोचना तक सीमित ना रहकर सुधार व संपादन हतु आगे आएं।--आशीष भटनागर  वार्ता  १५:११, ३ जुलाई २००९ (UTC)
आशीष जी ! आप ने लिखा है-- "जिस प्रकार आलोचक जी दूसरों के संदेशों में गलतियां बताते हैं (मैंने कभी इसे गलत नहीं समझा, व सुधारा ही है) उन्हीं के संदेशों में बहुत से वर्तनी दोष हैं।"

आशीष जी ! आलोचक की वर्तनी दोषों को अवश्य यहाँ लिखें। गलती किसी की भी हो वह सही होनी ही चाहिए। हो सकता है कि आलोचक को हिन्दी के उन शब्दों की सही जानकारी ही न हो जिन्हें आप जानते हों? लेकिन आप यहाँ वे गलतियाँ लिखे अवश्य। मुझे बहुत अच्छा लगेगा।--आलोचक १५:३४, ३ जुलाई २००९ (UTC)

देखिए, एक तो मेरा काम या इच्छा ऐसी गलतियां(बिना कारण या बड़ों को) बताना नहीं है, जितना इन गलतियों के बारे में लिखा, उस पर भी बहुत क्षमा चाहूंगा। आपकी गलतियां निकालने के लिए शायद मेरा मुंह बहुत छोटा है। यहां शायद लिखाने में भी जोर पड़ा है मुझे। जिसकी स्वयं इतनी गलतियां हों, वो किसी दूसरे अनुभवी को क्या गलतियां दिखाए? फिर भी मात्र एक बार, आपके अनुरोध पर लिखता हूं, जिसके लिए उसमें जितने शब्द हैं, उनसे कई गुणा क्षमा मांगता हूं, व आपसे यह वादा भी, कि आप इस खास बात के लिए मुझे क्षमा करेंगे, अभी और यहीं।
पूर्णमा, आशिष, व्यूरोक्रेट (ब्यूरोक्रेट), वारीकी, प्रतिउत्तर(प्रत्युत्तर या प्रति उत्तर बिना संधि), यहा हाल रहा,
मेरे विचार से क्षमा के सागर में एक और लोटा जल अब डालने की आवश्यकता नहीं होगी। हां मेरी अन्य पुरानी भूलों को इस वादे के साथ भुल जाएंगे, कि आगे भी मेरी आलोचना करते ही रहेंगे। जिस प्रकार बिना मृत्तिका-लेपन (साबुन) के स्नान अधूरा है (पुराणानुसार) उस ही प्रकार बिना आलोचना/निंदा के, लेखन भी व्यर्थ है।--आशीष भटनागर  वार्ता  १५:५४, ३ जुलाई २००९ (UTC)
आशीष जी ! धन्यवाद इतनी गलतियाँ खोजने के लिए। ये गलतियाँ टाइप की नहीं हैं, आलोचक को पता ही नहीं था कि ये वर्तनी दोष है। आप को अब कुछ बताने की आवश्यकता नहीं है, हाँ आप यह जानकारी अवश्य दे दें कि निम्नलिखित वाक्यांश जो मैं आपके लिखे संदेश से यहाँ दे रहा हूँ---


उपरोक्त
अन्यथा ना लें।
महत्वपूर्ण
हिन्दी की विद्वान
नहीं ना।
वो
छोटे मुंह बड़ी बात होंगे
मेरा ना उद्देश्य है, ना इच्छा ही।
मैंने तो सदा ही मेरे द्वारा विकसित/लिखित
लिखाने में भी जोर पड़ा है मुझे।
वो किसी
कई गुणा
साथ भुल जाएंगे
उस ही प्रकार बिना
-- क्या ये सब शुद्ध हैं ? जिससे इन्हें मानक मानकर अन्य लोग भी इसी तरह का लिखने का अनुसरण करें । कोई वाक्य जब अशुद्ध होता है तो उसका प्रभाव एक पाठक पर क्या पड़ता है, इसे वही अनुभव कर सकता है जो वाक्यगत शुद्धता को समझता है। मैं तो इसलिए कुछ प्रयास कर रहा था कि आप शायद विकी के प्रबंधक भी हैं, और एक प्रबंधक के ऐसे वर्तनीगत दोष जो उनके अभ्यास में आ गए हैं, उन्हें दूर करा दिया जाए ...... पर आपकी तार्किक क्षमता के सामने वर्तनीगत दोष भला किस खेत की मूली हैं.... । यायावर जी ने कुछ ऐसा ही लिखा तो सदस्यों ने अशिष्ट भाषा में प्रतिक्रियाएँ लिख डालीं...... किसी प्रबंधक ने लिखने वाले सदस्य को मना नहीं किया। सुरुचि ने अवश्य इस पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
--आलोचक ०३:१५, ४ जुलाई २००९ (UTC)

आशीष जी ! आपने यह लेख अभी-अभी बनाया है....... इसे पढ़कर भी तो देखिए...... ऐसे लेखों को एक बार पढ़ लेने के बाद कोई भला आदमी विकी पर दुबारा आएगा ??

" भारतीय प्रवेश द्वार भारत के दक्षिण [[मुम्बई] के तट पर स्थित है। ये प्रवेशद्वार एक असिताश्म का बना हूआ एक वृत्तखण्ड हे- जिसकी ऊंचाई २६ मीटर की हे। इस प्रवेशद्वार मे पर्यटनो के लिऐ नाव-भ्रमण सेवाऐ भी उपल्ब्ध हे। प्रवेशद्वार को बाना ने के लिऐ पिला असिताश्म इसतामल किया गया हे। ये प्रवेशद्वार का निर्माण राजा जॉजॅ पंचम और रानी मॅरी के आगमान [२ दिसम्बर १९११ मे] का स्मरणोत्सव मनाने के लिऐ किया था। इसके वास्तुशिल्पी जॉजॅ विटैट थे. यह १९२४ में बन कर तैयार हुआ था।"
मैं चाहता हूँ कि इस तरह के लेख जो विकी के प्रबंधक जैसे व्यक्ति बना रहे हैं, इस पर अन्य प्रबंधकों की क्या राय है ?
--आलोचक ०३:३१, ४ जुलाई २००९ (UTC)

जो पाठ के अंश आपने बताए हैं, वे संभवतः गेटवे ऑफ़ इन्डिया लेख के हैं। मैंने ऐसा कोई लेख आज कल तो क्या ये लेख बनाया ही नहीं है। आप कृपया संदेश में देने से पूर्व इसका अवतरण इतिहास देखें। साथ ही मेरे योगदान भी देख सकते हैं। इस लेख का भी अंतिम संपादन मेरे संदेश लिखने तक 2009-03-05T07:24:32 Xqbot का ही है। तब आपने कैसे और कहां देख लिया, कि मेरा अभी अभी बनाया हुआ लेख है। कृपया ध्यानपूर्वक देखें। अवतरण इतिहास के लिंक यहां हैं। लेख गेटवे ऑफ़ इन्डिया है व मेरे योगदान यहां हैं। मैंने भरपूर क्षमा याचना के साथ ही आपके अनुरोध पर कुछ वर्तनी दोष लिखे थे, किंतु आपने लिख दिया कि आलोचक को पता ही नहीं कि ये वर्तनी दोष हैं। वारीकी या बारीकी एवं पूर्णमा या पूर्णिमा में से कौन सा सही है, इसे किसी विद्वान से पूछने की आवश्यकता है क्या? आपके संदेश में जब चाहें आलोचक की ओर से संबोधन होता है, व कहीं भी वो एक थर्ड पर्सन हो जाता है। इसका अर्थ भी समझ नहीं आया है। सीधे फर्स्ट पर्सन में क्यों नहीं लिखते हैं। वैसे आपकी इच्छा, मुझे कोई आपत्ति नहीं है। हां उपरोक्त वाक्यांशों में यदि गलतियां हैं, या मेरी कोई भी गलतियां हों तो अवश्य आगे भी बताते रहें, मैं सदा ही सुधारूंगा। सीखने की कोई समय सीमा नहीं होती है। हां एक और बात, किसी प्रबंधक ने लिखने वाले को मना किया या नहीं, ये आपको पता चले आवश्यक नहीं है। कुछ बातें हम चैट पर भी करते हैं, जिनका यहां उल्लेख भी नहीं होता है। सधन्यवाद--आशीष भटनागर  वार्ता  ०६:३१, ४ जुलाई २००९ (UTC)

ळ ल और ड़

पुना के पास एक जगह है जिसे अंग्रेजी मे Talvade और मराठी मे तळ्वडे कहॉ जाता है। हिंदी मे इसे कैसे लिखेंगे। क्या हिंदी मे ळ का उपयोग कर सकते है। कृपया मार्गदर्शन करे। --गुंजन वर्मासंदेश ०८:३६, १६ अगस्त २००९ (UTC)

हिंदी में इसके लिए आमतौर पर ताडदेव वर्तनी का प्रयोग होता है।--मुक्ता पाठक ०८:४०, १६ अगस्त २००९ (UTC)
मुक्ता जी आप तलवडे तो नहीं कहना चाहतीं थीं? आप द्वारा बतायी गयी वर्तनी मराठी और अंग्रेजी दोनों वर्तनियों से बिल्कुल मेल नहीं खा रही है।
मेरी जानकारी जहां तक है मराठी में 'तिळक' को हिन्दी में 'तिलक' लिखा जाता है। इसलिये मेरा अनुमान था कि 'ळ' के स्थान पर 'ल' कर देने से काम चल जाना चाहिये।

अनुनाद सिंह ०९:०७, १६ अगस्त २००९ (UTC)

मुक्ता जी धन्यवाद ! क्या आप ताडदेव वर्तनी के बारे मे कोई संदर्भ दे सकती है। अनुनाद जी तिळ्क को हिंदी मे तिलक बोलते है इसलिये शायद "तिलक" लिखना उचित होगा पर अगर हम तळ्वडे का मराठी उच्चारण देखे तो वह हिन्दी के तड़वड़े के समान सुनाई देगा। इसलिय तलवडे लिखना उचित नही होगा। जैसे एक और मराठी शब्द है शिरोळे जिसका उच्चारण शिरोड़े है। अंग्रेजी मे यह शब्द Shirole लिखा जयेगा जिस से ड़ का उच्चारण नही आता है। मेरा प्रश्न है की क्या हिन्दी मे ऐसे शब्दो को लिखने का कोई विषेष तरीका है। मैने मराठा साम्राज्य पर लेख बनाने शुरु कीये है जहॉ ऐसे कई शब्द आते है। महाराष्ट्र से बाहर रहने वाले शायद अंग्रेजी के Talvade को पढ़ कर हिंदी मे उसे तलवडे लिखे पर मेरा निवास स्थान पुणे है इसलिये मै इनके स्थानिय उच्चारण से परिचित हूँ। --गुंजन वर्मासंदेश १४:१७, १६ अगस्त २००९ (UTC)
माफ़ कीजिएगा गलती हो गई तलवडे ही सही है। अनुनाद जी, ध्यान देने के लिए धन्यवाद। अनेक स्थानों पर मराठी के ळ को ल लिखा जाता है जबकि अनेक स्थानों पर ड़। यह गूगल में सर्च कर के जाना जा सकता है कि हिंदी में किस वर्तनी का प्रयोग किया जा रहा है।--मुक्ता पाठक १४:५०, १६ अगस्त २००९ (UTC)
अंग्रेजी हिज्जे से काम नहीं चलेगा। आप हिन्दी में वैसे ही लिखिए जैसे उस शब्द का उच्चारण होता है, ना कि transliteration from english to hindi। अतः talvade को तड़वडे लिखना ज्यादा उचित होगा। वैसे अगर किसी मराठी को हिन्दी में नाम लिखना होगा तो ळ का उपयोग करेगा या फिर ड़ या फिर ल? what's common practice? आप common practice को भी follow कर सकते हैं। -- सौरभ भारती (वार्ता) १५:३१, १६ अगस्त २००९ (UTC)
मराठी में ळ अक्षर ड़+ल का मेल होता है। अतं इसे हिन्दी या अन्य भाषा में दोनों में से किसी ओर भी ले जाया जा सकता है, ठीक वैसे ही जैसे अरबी में द+ज़+व(उ+अ) होता है, जिसे रमज़ान में प्रयोग किया जाता है। अब रमज़ान को तभी कोई रमज़ान(हिन्दी विकि) लिखाता है, तो कहीं रमदान(अंग्रेज़ी विकि) मिलता है तो कहीं रमदुआन, कहीं रमज़ुआन कहते हैं, जबकि अरबी लोग रमद्ज़ुआन जैसा कुछ कहते हैं। इसे शायद पूर्णिमा जी जानती और बेहतर बता सकती हैं। वैसे ही ळ को भी किसी भी ओर ले जा सकते हैं, किंतु हमें प्रचलन देखना होगा, और जिसका सर्वश्रेष्ठ तरीका है, उससे मिलते हुए अन्य शब्द या उसको अन्य भाषाओं में क्या कहते हैं।वैसे इस खाश शब्द को तो तलवड़े कहेंगे। यह पहले भी सुना हुआ है।--आशीष भटनागर  वार्ता  १५:४६, १६ अगस्त २००९ (UTC)
मैंने अभी गूगल पर खोजा, तो मुझे तलवडे और तळवडे पर काफी उत्तर आए, पर तड़वडे पर कोई नहीं आया। मुझे लगता है कि या तो आप तळवडे ही उपयोग में लाएँ, क्योंकि ळ हिन्दी का हिस्सा है, या फिर तलवडे। -- सौरभ भारती (वार्ता) १५:३९, १६ अगस्त २००९ (UTC)
मराठी के /ळ/ के लिये हिन्दी में /ल/ का ही प्रयोग करें । /ळ/ का उच्चारण जो भी हो उससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता है । बात बस इतनी है कि आधुनिक आर्य भाषाओं में /ल/ और /ळ/ का विभाजन जो कि कुछ भाषाओं में देखने को मिलता है, वो एक ही ध्वनिग्राम (phoneme) के दो, समय के साथ विकसित, विविध रूप का जोड़ा है । मानक हिन्दी भाषियों को /ळ/ पहचान में आ जाएगा परन्तु वे /ल/ और /ळ/ में भेद नहीं करेंगे । इसके विपरीत /ड/ और /ड़/ (और उसी का महाप्राण, /ढ/ और /ढ़/) एक और जोड़ा है, जिनके बीच में मानक हिन्दी भेद करती है । पंजाबी, हरयाणवी, ठेंठ खड़ी बोली, राजस्थानी भाषाएँ, गुजराती और मराठी सब /ल/ और /ळ/ में भेद करती हैं । Maquahuitl १४:४१, २१ अगस्त २००९ (UTC)
विकी की गति फिर मन्द हो गई है। अभी ३५२९५ संख्या ही दिख रही है।--122.162.250.43 १५:०२, १८ अगस्त २००९ (UTC)

स्वत: अनुवाद कब करें

अभी 'वार्ता पृष्ठ' जोड़ने से समबन्धित बात चल रही थी। इसी सिलसिले में मैं स्वत: अनुवाद के बारे में यह कहना चाहता हूँ कि इसका अनुवाद किसी पहले से मौजूद लेख को 'दबाने' के लिये न किया जाय। इसका उपयोग यदि करना ही है तो केवल नये लेखों के सृजन के लिये किया जाय।

कारण यह है कि अब भी अब भी 'स्वत: अनुवाद' बहुत हद तक भ्रामक, अस्पष्ट और असहज हैं। इसलिये इनसे पहले से किये गये मेहनत को ढकना मेहनत की बर्बादी है; कोई नया सृजन नहीं है।

अनुनाद सिंह ०७:४३, १९ अगस्त २००९ (UTC)

आपकी बात से मैं पूर्णतः सहमत हूं, अनुनाद जी, इस संदर्भ में मै Wikitrans द्वारा जोड़े जा रहे लेखों की ओर प्रबंधकों का ध्यान दिलाना चाहूंगा। कृपया इस पर जल्द रोक लगाई जाए।

--Charu ०७:५६, १९ अगस्त २००९ (UTC)

I have reminded all the active editors not once but twice about Wikitrans, but it seems they did not heed my words. I had already put this in chaupal twice. Please see this [१] Now it's time that we should handle this user Wikitrans strongly. I believe each editor (prabhandak) have right to ban a user for certain period of time. If you see Wikitrans's vaarta page you would see that we have reminded him of his irresponsible act several times. My earnest request to all the Editors is that please control wikitrans other wise he would soon ruin the reputation of hindi wiki and hindi wiki would be known as a wiki of poor translations. --गुंजन वर्मासंदेश ०८:५७, १९ अगस्त २००९ (UTC)

(I am sorry for using english as I am in office and can not type devnagri. This issue was important so it was necessary to be addressed immediately.)

लीजिये चेन्नई का भी Wikitrans ने उद्धार कर दिया है. 203.199.153.24 ०९:२२, १९ अगस्त २००९ (UTC)
मैंने पूर्ववत कर दिया है 203.199.153.24 ०९:२४, १९ अगस्त २००९ (UTC)
सक्रिय सदस्य कृपया ध्यान दें। Wikitrans को स्वतः अनुवाद का विध्वंसकारी काम रोकने का अनुरोध कर दिया गया है। यदि इसके बाद भी वे अपना ये अभ्यास जारी रखते हैं, तो जिसकी भी नज़र पड़े, कृपया मुझे या किसी भी प्रबंधक को सूचित करें। अन्य सदस्यों का इर बात पर ध्यानाकर्षण का धन्यवाद --आशीष भटनागर  वार्ता  ०९:५३, १९ अगस्त २००९ (UTC)

हमारे द्वारा संपादित लेखों पर व्यक्त चिंताओं का समाधान --wikitrans  वार्ता  11.38 AM, 28 अगस्त 2009 (IST)

हिन्दी विकिपीडिया पर अंग्रेजी शीर्षक वाले लेख

कृपया संबंधित चर्चा नीचे संदूक के अंदर ही कॉलन लगाकर लिखें।

हिन्दी विकिपीडिया पर काफी समय तक लेखो का अंग्रेजी शीर्षक देना मना सा था। मगर इस समय काफी लेख ऐसे है जिनके शीर्षक अंग्रेजी मे है और यह हिन्दी शीर्षक वाले लेखो कि तरफ़ अनुप्रेषित होते हैं (उदा. Zakir Hussain (musician)। मेरा मत है कि यह काम अंतरविकि कडियो (देखे: en:Help:Interwiki_linking) द्वारा होना चाहिए। ऐसे लेखो का कोई औचित्य नही रह पाता और इन लेखो को मिटा देना चाहिए। मैं शीघ्र ही इस पर काम करूगा। सभी सदस्यों से अनुरोध है कि अपनी टिप्पणी दें। --मितुल ०५:११, ३ सितंबर २००९ (UTC)

औचित्य है। यह ध्यान देने योग्य है कि अधिकांश विकि पाठक (पाठक, संपादक नहीं) अपने यंत्रों पर हिंदी पढ़ पाने के बावजूद, हिंदी लिखने की क्षमता नहीं रखते हैं। यह एक जानामाना तथ्य है। हममें से कई लोग खुद किन्ही परिस्थितियों में हिंदी नहीं लिख पाते हैं। तो पते वाले कोष्ठक में, http://hi.wikipedia.org/wiki/India लिख कर भारत वाले पृष्ठ पर पहुँचना अंतरविकि का प्रयोग कर के इस पन्ने पर जाना (जिसमें एक अतिरिक्त चटका और स्क्रोलिंग करना होगी) के मुकाबले कहीं अधिक सुगम है। यदि हम पाठकों के लिए विकिपीडिया को सुगम बनाने की दृष्टि से काम करेंगे तो पाठकों की संख्या बढ़ेगी, और लेखों की गुणवत्ता भी फलस्वरूप बेहतर होगी। मेरी राय में हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ग़ैर-देवनगारी शीर्षक वाले पन्ने पुनर्निर्देशन ही करते हों। यदि किसी गैर-देवनागरी शीर्षक वाला पन्ने में वास्तव में कुछ सामग्री है तो उसका शीर्षक बदलने पर निश्चित रूप से काम होना चाहिए। इतना ही नहीं, हमें http://hi.wikipedia.org/wiki/Bharat जैसे पन्नों को भी प्रोत्साहित करना चाहिए, क्योंकि निश्चित रूप से कई लोग ऐसे पतों तक जाने की कोशिश करते होंगे (मेरे पास ऐसे प्रयासों के आँकड़े नहीं हैं, यदि हों तो देखे जा सकते हैं, हाथ कंगन को आरसी क्या)। यह खासतौर पर तब भी उपयोगी होगा जब किसी शीर्षक की कई वर्तनियाँ हो सकती हैं, और सभी वर्तनियों के रूपों को सही पन्ने तक अग्रेषित नहीं किया गया हो, उदाहरण के लिए कोई प्रयोक्ता अँगूठा, अङ्गूठा का इस्तेमाल कर सकता है, जबकि हो सकता है वास्तविक लेख "अंगूठा" पर हो, ऐसे में दो तीन प्रयास करने के बाद झक मार के पाठक हो सकता है http://hi.wikipedia.org/wiki/angutha या http://hi.wikipedia.org/wiki/angootha जैसे पते आजमाए। इसलिए मेरी सिफ़ारिश यह है कि यदि केवल देवनागरी लिपि वाले शीर्षक की ओर अग्रेषण हो रहा है तो रोमन लिपि के शीर्षक मान्य ही नहीं बल्कि प्रोत्साहित करने चाहिए। इससे विकि की सुगमता और उपयोगिता बढ़ेगी। भाषा की शुद्धता और मानकों से यहाँ कोई समझौता नहीं हो रहा है, हम अंततः पाठक को देवनागरी शीर्षक वाले पन्ने पर भेज रहे हैं। एक बात और, अधिकतर(नए) पाठकों को यह गुमान भी न होगा कि यूआरएल में देवनागरी भी आ सकती है, अधिकतर नवीन पाठक, यूआरएल में रोमन लिपि ही टंकित करेंगे। अंततः इस सिफ़ारिश का विकि के पन्ने बढ़ाने की परियोजनाओं से कोई वास्ता नहीं है, ये केवल पाठकों के लिए विकि को सुगम बनाने के लिए है - वह भी भाषा की गुणवत्ता और शैली में समझौता किए बिना। इसलिए मेरा सुझाव यह है कि हर पन्ने के लिए http://hi.wikipedia.org/wiki/Bharat और http://hi.wikipedia.org/wiki/India जैसे अग्रेषणों को प्रोत्साहित करना चाहिए पर गैर-देवनागरी शीर्षक वाले पन्ने पर सामग्री की अनुमति नहीं देनी चाहिए। -- आलोक ०६:५५, ३ सितंबर २००९ (UTC)
मेरे ख्याल से अंग्रेजी शीर्षकों को, चाहे वो अनुप्रेषण लेख ही क्यों ना हो, तब तक हटाना नहीं चाहिए जब तक उनसे कोई भी पन्ने जुड़े हों। उदाहरण के तौर पर कई भाषाओं वाले पन्ने हटाए गए (जैसे Assamese Language) जिसपर कुछ पन्ने लिंक करते हैं। उन्हें हटाने से इन पन्नों में लाल लिंक आ गया है। अतः हटाने से पहले उन सारे पन्नों पर हिन्दी शीर्षक वाले लिंक (जैसे असमी भाषा) लगा दें और तभी इन्हें हटाएँ। इस कार्य के लिए मैंने semi-automated बॉट का सुझाव भी दिया है (ऊपर देखें), जिससे अंग्रेजी शीर्षकों वाले लेखों को ठीक तरीके से हटाया जा सकेगा। -- सौरभ भारती (वार्ता) ०८:१५, ३ सितंबर २००९ (UTC)
हमारे पास तीन समयाएं हैं:
  • अंग्रेज़ी के शीर्षक वाले वर्तमान लेखों का क्या किया जाये:
    • अंग्रेज़ी के शीर्षक वाले लेखों को या तो प्रयासरत होकर यथासंभव हिन्दी नामों में अनुवाद करें, या यदि उन लेखों के हिन्दी अनुवाद के लेख पहले ही उपस्थित हैं तो फौरन हटाये जाने चाहियें। प्रबंधकगण उन्हें हटायें, व अन्य सक्रिय सदस्य उनमें सांचा:हटायें लगायें।
  • अंग्रेज़ी के शीर्षक वाले लेखों को बनाया जाये या नहीं
    • अंग्रेज़ी के शीर्षक वाले लेखों को यहां बनाने का कोई औचित्य नहीं दिखता है, बायीं ओर के सर्च बॉक्स में कोई भी चाहे तो हिन्दी लिख सकता है। हिन्दी को कहीं और लिख कर गूगल पर सरच करने पर बड़ी सरलता से ऊपरी दस परिणामों में से एक तो हिन्दी विकि का आता ही है। वहां से जाया जा सकता है। अधिक उत्साही, रुचिर लोग हिन्दी को लिखना भी सीख सकते हैं। मुखपृष्ठ पर सबसे ऊपर ही देवनागरी में लिखने की सहायता किसलिए दी गयी है?
  • अंग्रेज़ी वाले लेखों को हटाया कैसे जाये
    • मैंने स्वयं बहुत से ऐसे लेखों को हटाया है, किंतु हटाने से पूर्व उनसे जुड़े पन्ने (यहां क्या जुड़ता है- बायें कॉलम में) देख लें।
एक और खास बात ये भी है, कि किसी भी अन्य भाषा में देखा जाये, कि क्या वहां भी सभी लेखों के अंग्रेज़ी नाम के पृष्ठ बनाये हुए हैं? उत्तर है नहीं (कुछ अपवादों को छोड़कर)। अतएव हमें हिन्दी पर ही पूरा ध्यान केन्द्रित रखना चाहिए। मैं पूर्णरूपेण मितुल जी से सहमत हूं। --आशीष भटनागर  वार्ता  ०९:०१, ३ सितंबर २००९ (UTC)
क्या विकिपीडिया आँकड़े प्रकाशित करता है - कि "विकिपीडिया पर ठीक इसी शीर्षक का लेख फ़िलहाल नहीं है।" वाला पन्ना कि कारणों से और कितनी बार दिखा? यदि हमें फ़ैसला करना है कि क्या वास्तव में गैर-देवनगारी शीर्षकों तक लोग पहुँचने की कोशिश कर रहे हैं या नहीं, तो इसके लिए यह आँकड़े उपयोगी होंगे।
पाठक वास्तव में चाहें तो बहुत कुछ कर सकते हैं, जैसे कि इंस्क्रिप्ट टंकन सीखना भी सिर्फ़ तीन दिन का काम है और यह सरलता से सीखा जा सकता है। लेकिन वास्तव में पाठक क्या कर रहे हैं? यह जानना ज़रूरी है।
हाँ लंबे अंतराल के हिसाब से देखें तो धीरे धीरे अंग्रेज़ी शीर्षक वाले पन्ने ग़ायब हो जाने चाहिए। लेकिन मुद्दा यह है कि मौजूदा पाठक - जिसे अमूमन हिंदी और अंग्रेज़ी दोनो आती है - ही आने वाले अन्य पाठकों के लिए पुल का काम करेगा - ताकि ऐसे पाठक भी जाल पर जानकारी का लाभ उठा सकें जो केवल हिंदी ही जानते हैं। यदि आँकड़ों से पता चलता है कि वास्तव में ऐसे गैर-देवनागरी शीर्षक वाले पन्ने अनुरोधित किए गए थे, तो हम यह फ़ैसला ले सकते हैं कि हिंदी और अंग्रेज़ी दोनो जानने वाले लोगों की सुविधा के लिए यह काम करने का कुछ लाभ होगा या नहीं। लेकिन अगर हमारे पास आँकड़े नहीं हैं तो दलीलें दोनो तरफ़ से दी जा सकती हैं पर उनका कोई अर्थ न होगा, कुछ कुछ अंधों द्वारा हाथी को पहचानने की तरह -- आलोक ०६:५५, ३ सितंबर २००९ (UTC)
अगर हमें हर लेख के लिए अंग्रेजी मे शीर्षक रखने हो तो काफी मुश्किल होगी। आलोक के उदाहरण के अनुसार भारत लेख के लिए अन्य शीर्षकों मे Bharat और India के पन्नो को भी बनाना चाहिए। हिन्दी विकिपीडिया मे तो हजारों लेख है और कई सौ तो रोजाना जुड़ रहे हैं। सभी लेखों के लिए ऐसे नए शीर्षक लिखना उचित नही हैं। अगर हम हिन्दी का ज्ञानकोश/किताब/वेबसाईट लिख रहे हैं तो अंग्रेजी मे लेखों के शीर्षक देना सही हैं क्या? गैर रोमन लिपी वाली भी कई विकि है, उनपर रोमन लिपी के शीर्षक वाले लेख नही होते (शायद कुछ उपवाद हो)।
आलोक ने जो आंकड़ो का जिक्र किया है, वो मिल गए तो उस पर विचार करना चाहिए। मैं उनसे सहमत हूँ। यदि लंबे अंतराल मे अंग्रेजी शीर्षक वाले पन्नो को मिटाना है तो जरूरी है कि उन्हे अभी बनने न दिया जाए। उन्हे बनाने और मिटाने मे जितना समय लगेगा उसमे तो कई और जानकारियाँ जुड़ सकती हैं। सो, अंग्रेजी शीर्षक वाले पन्नो को मिटाना चाहिए। --मितुल १५:०३, ३ सितंबर २००९ (UTC)
मेरा सुझाव है कि विकिपीडिया के पाँच सार्वाधिक लोकप्रिय पन्नों - हिन्दी, भारत, आर एस एस फीड, महात्मा गांधी, ताज महल को प्रेषित करने वाले Hindi, India, Bharat, RSS Feed, Mahatma Gandhi, Taj Mahal - एक माह के लिए प्रायोगिक तौर पर रखे जाएँ और इनके आँकड़ो के आधार पर पूरे विकिपीडिया के लिए निर्णय लिया जाए। हो सकता है इससे हमें अपने प्रयोक्ताओं को बारे में ऐसी बातें पता चलें जो हमें अभी नहीं मालूम हैं। -- आलोक
उपरोक्त कर्त्ता??? कृपया हस्ताक्षर करें।
हम भारत, ताजमहल, और कुछ ऐसे ही सर्वाधिक प्रचलित लेखों के आधार पर अधिकतम २० लेखों की सूची बना कर उनके अंग्रेज़ी नामों को पारित कर हिन्दी पर पुनर्निर्देशित करने पर विचा कर सकते हैं। किंतु यदि हम ये समझें, कि इससे कुछ दिनों बाद पाठक जब हिन्दी में शिक्षित हो जायेंगे, तब धीरे-धीरे उन्हें हाताय़ा जा सकता है, तो इसका कोई अर्थ नहीं निकलता क्योंकि तब दूसरे पाठक भी जुड़ जायेंगे। मेरे विचार से इस कारण से ही हमने इतने बड़े अक्षरों में सब्से ऊपर हिन्दी के लिंक्स दिये हैं। देखें मेरे उपरि-संदेश में दूसरे बिंदु के उत्तर में। इस विषय में पूर्णिमा जी से भी राय लेनी चाहिये। --आशीष भटनागर  वार्ता  ०२:५८, ४ सितंबर २००९ (UTC)
मेरा अर्ज़ सिर्फ़ इतना है कि बिना पूर्वाग्रह के एक बार गिना जाए कि वास्तव में अंग्रेज़ी शीर्षक वाले पन्नों तक कितने पाठक आने की कोशिश करते हैं। यदि काफ़ी लोग यह करने की कोशिश कर रहे हैं तो अंग्रेज़ी के शीर्षक रख के अग्रेषण करना उपयोगी होगा - पाठक के लिए। इसी प्रकार इन्हें हटाने का फ़ैसला भी गणना के आधार पर किया जाना चाहिए। अगर अंग्रेज़ी शीर्षकों का पाँच साल बाद भी इस्तेमाल हो रहा है, तो व्यावहारिक यही होगा कि उन्हें बरकरार रखा जाए। लक्ष्य यह होना चाहिए कि हिंदी वाले लेख अधिकाधिक लोगों तक पहुँचे। -- आलोक ०३:४६, ४ सितंबर २००९ (UTC) (थोड़े परिवर्तन) हम प्रयोक्ताओं को हिंदी के अलावा एक और विकल्प दे रहे हैं, उसके बजाय नहीं। - आलोक ०५:१६, ४ सितंबर २००९ (UTC)
अंग्रेजी शीर्षकों को हटाया जाना चाहिए। यदि वो किसी लिंक से जुड़े हों तो भी उन्हें हटाया जाना चाहिए। उस लिंक को भी हिन्दी करना चाहिए एवं नए शीर्षक जो कि हिन्दी में है कि तरफ प्रेसित किया जा सकता है। किसी भी तर्क द्वारा कचड़ा भरने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। आलोक जी, बात भाष की संकीर्णती की नहीं सुधार एवं बेहतरी की है। जो पन्ने हैं अंग्रेजी में हैं एवं उनमें कुछ सामग्री है उनका नाम बदलना चाहिए पर पीछे redirect नहीं छोड़ना है। अभी तो हम हिन्दी पखवारा मना रहे हैं लेखों की संख्या बढ़ाकर, इसलिए इन र्चाओं को बाद के लिए भी छोड़ा जा सकता है। हमें यह खूशी है कि आलोक जी जैसे उत्साही सदस्य हमें मिलें पर वे अपनी ऊर्जा का सद्उपयोग करें। उनसे पहले भी मैंने निवेदन किया था।--Munita Prasadवार्ता ०४:०८, ४ सितंबर २००९ (UTC)
यदि हिंदी के पन्नों की संख्या में कोई कमी नहीं आ रही है, और सारी सामग्री भी हिंदी में है, और सारे सामग्री वाले पन्नों के शीर्षक भी हिंदी ही में हैं, और इसके अलावा - इसके बजाय नहीं - बल्कि इसके अलावा - यदि हम अतिरिक्त सुविधा प्रदान कर रहे हैं, तो सुधार और बेहतरी में कमी कैसे? बल्कि हिंदी के प्रयोक्ताओं के लिए विकि को सुगम बनाने के लिए एक और विकल्प है यह। -- आलोक ०५:२३, ४ सितंबर २००९ (UTC)
मेरे विचार से १४ सितंबर तक इस चर्चा को विराम दिया जाय और कोई भी पन्ने हटाए न जाएँ। सभी सदस्य एक लक्ष्य को लेकर नए पन्ने बना रहे हैं। अभी तक हम लक्ष्य से थोड़ा पीछे चल रहे हैं। अगर इस समय पन्ने हटने शुरू हो गए तो १४ सितंबर तक ५०,००० का लक्ष्य पूरा करना संभव नहीं होगा। १४ सितंबर के बाद सबकी सहमति से या मतदान से जो भी निर्णय उचित हो उसका पालन करना चाहिए। फिलहाल समय पर इस लक्ष्य का पूरा होना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए और सबका समय व शक्ति इसी में लगना चाहिए।--सुरुचि ०५:२७, ४ सितंबर २००९ (UTC)
सबसे पहले तो मैं सुरुचि जी की बात का समर्थन करूँगी कि फिलहाल कोई पन्ने न हटाए जाएँ। दूसरी बात कि हिंदी विकि में अँग्रेजी पन्ने हों या न हों। मेरा अनुभव है कि जो लोग हिंदी विकिपीडिया पढ़ने आते हैं उनको हिंदी लिखना पढ़ना आता है। ७०००-८००० के लगभग तो हिंदी में वेब पर काम करने वाले हैं जो सीधे हिंदी इनस्क्रिप्ट पर लिखते हैं इसके अतिरिक्त स्कूलों के प्राध्यापक या बच्चे हैं जो हिंदी का यूनिकोड फांट ठीक से सीख चुके हैं। जिन्होंने इसे नहीं सीखा है वे ज़ाहिर है अंग्रेज़ी पृष्ठभूमि के लोग हैं वे हिंदी विकिपीडिया पढ़ने नहीं आते। सीधे अँग्रेज़ी में ही पढ़ते हैं। हाँ किसी अँग्रेज़ी लेख को हिंदी में देखने की इच्छा हुई तो बाएँ कालम से सीधी लिंक होती ही है। इसलिए हिंदी वालों को अँग्रेज़ी के माध्यम से विकि पर लाने का कोई तर्कसंगत विचार तो नहीं है। पर कुछ लोग जिन्होंने बरसों से हिंदी नहीं पढ़ी लिखी (सिर्फ ज़रूरत पड़ने पर कभी कदा लिखते या पढ़ते है) उनके लिए तरह तरह के लिप्यंतरण, फोनेटिक की बोर्ड या ऐसी चीज़ों की कवायदें चलती ही रहती हैं, तो शायद उनके लिए अंग्रेज़ी पन्ने बनाने का प्रयोग करना चाहते हैं तो कोई बुराई भी नहीं है।--पूर्णिमा वर्मन ०५:४३, ४ सितंबर २००९ (UTC)
मेरा भी यही कहना है कि अतिरिक्त सुविधा देने में कोई बुराई नहीं है। मैं सारा टंकण इंस्क्रिप्ट में करता हूँ, यह बहुत सरल है और बहुत तेज़ी से टंकण किया जा सकता है। लेकिन यदि कोई कहे कि खोज बक्से में लिप्यंतरण की सुविधा हो - तो मुझे आपत्ति क्यों होगी? संभवतः ऐसा करने से कुछ लोगों को मदद मिलेगी। इसी प्रकार अगर अंग्रेज़ी के पृष्ठ भी हैं, ध्यान दें, मैं भी शब्द का इस्तेमाल कर रहा हूँ - तो कोई बुराई नहीं है। हाँ किसी को अंग्रेज़ी शीर्षक वाले पन्ने बनाने के लिए मजबूर न किया जाए, और यदि किसी यांत्रिक तरीके से ऐसे अंग्रेषण वाले पन्ने बनाए जाएँ तो योगदाताओं का समय भी बचेगा, और एक सुगमता संबंधी अतिरिक्त सुविधा भी उत्पन्न हो जाएगी। दूसरे शब्दों में, यदि खोज बक्से में लिप्यंतरण की सुविधा देने से इंस्क्रिप्ट प्रयोक्ता की प्रभावशालिता पर कोई फ़र्क नहीं पड़ रहा है तो इंस्क्रिप्ट प्रयोक्ता इस सुविधा के प्रति उदासीन तो हो सकता है, पर विरोधी होने का कोई कारण नहीं। यही बात अंग्रेज़ी शीर्षक वाले अतिरिक्त, वैकल्पिक, अग्रेषण वाले पन्नों के लिए लागू होती है। बाकी बात मुख्य परियोजना के बाद। -- आलोक ०७:१२, ४ सितंबर २००९ (UTC)
आलोक जी, आपका उद्देश्य अच्छा है। आप चाहते हैं कि लोग अंग्रेजी भाषा को खोजते हुए हिन्दी में घुस जाएँ। पर जहाँ तक भाषा और तरीके की बात होती है, तो यह आप भी मानते हैं कि यह उचित नहीं होगा। इसमें कोई दोराय नहीं कि अंतर्जाल पर अंग्रेजी भाषा कई गुना ज्यादा प्रचलित है, पर उसके माध्यम से हिन्दी भाषा को दूषित करना ठीक ना होगा। हम यहाँ शुद्ध लेखों का कोष बना रहे हैं। अंग्रेजी भाषा के अनुप्रेषण से शायद visiting numbers बढ भी जाए पर शुद्धता ताक पर रख दी जाएगी। खैर, जैसा सब ने कहा है, इसपार बाद में भी वार्ता हो सकती है। -- सौरभ भारती (वार्ता) ०७:४१, ४ सितंबर २००९ (UTC)
सौरभ जी, मैं यही अर्ज़ करने की कोशिश कर रहा हूँ कि यहाँ दूषण है ही नहीं। जो व्यक्ति देवनागरी लेखन में निपुण है उसके लिए कोई फ़र्क है ही नहीं। जो देवनागरी लेखन में निपुण नहीं है - देखिए जो भी नया संगणक खरीदेगा, या पहली बार उसके सामने बैठेगा, उसे कुंजीपटल पर रोमन अक्षर ही दिखेंगे, और वह स्वभावतः उन्हीं में टंकित करेगा - उसके लिए यह बहुत लाभदायक सिद्ध होगा। मेरा पुनः निवेदन है कि शुद्धता जस की तस बरकरार है। हम केवल रोमन लिपि में हिंदी/अंग्रेज़ी वाले शीर्षकों को देवनागरी शीर्षक वाले हिंदी लेखों तक अग्रेषित ही तो कर रहे हैं, और कुछ नहीं। लोग हिंदी में ही खोज करने की कोशिश करते हैं, रोमन लिपि के जरिए। उनके लिए हम एक सीढ़ी प्रदान कर रहे हैं बस। इससे विकि की हिंदी सामग्री, उसकी गुणवत्ता और शैली पर कोई भी असर नहीं पड़ेगा।
एक तकनीकी सवाल, गैर-देवनागरी शीर्षकों वाली जो सूची है, क्या उसमें से क्या यह पता लगाया जा सकता है कि कौन से पन्ने केवल किसी और पन्ने को अग्रेषित हो जाते हैं और किनमें वास्तव में सामग्री है? -- आलोक ०७:५३, ४ सितंबर २००९ (UTC)
खोज बॉक्स में transliteration tool भी काम करती है। कोई भी सामान्य बुद्धि वाला व्यक्ति इसे आसानी से सीख सकता है। इसके लिए अंग्रेजी में अनुप्रेषण लेखों को बनाने की आवश्यकता नहीं। -- सौरभ भारती (वार्ता) ११:५०, ४ सितंबर २००९ (UTC)
मैं खोज बक्से में लिप्यंतरण का उदाहरण दे के यह कहने की कोशिश कर रहा था कि - हालाँकि देवनागरी टंकण की मानक विधि है, फिर भी हमने कुछ प्रयोक्ताओं की सुविधा के लिए लिप्यंतरण की सुविधा प्रदान की है - इससे खोज परिणामों की शुद्धता पर कोई असर नहीं पड़ता।
इसी प्रकार, यदि हम रोमन लिपि के शीर्षकों को देवनागरी शीर्षक वाले पन्नों की ओर अनुप्रेषित करते हैं तो लेख की शुद्धता, शैली और गुणवत्ता पर कोई भी असर नहीं पड़ेगा। बल्कि गुणवत्ता और शुद्धता का वही स्तर बरकरार रखते हुए हम पाठकों की संख्या बढ़ा पाएँगे। -- आलोक १२:१८, ४ सितंबर २००९ (UTC)
आप जिन लेखों को देखना चाहते हैं, वे titles with roman charactors पर हैं। हालाँकि इसमे हर तरह के लेख हैं जिनमें रोमन लिपि का उपयोग हुआ है, और ये सारे लेख हैं, अनुप्रेषण नहीं। -- सौरभ भारती (वार्ता) ११:५०, ४ सितंबर २००९ (UTC)
जानकारी के लिए धन्यवाद। (इसका मतलब कि अनुप्रेषित कड़ियाँ इस सूची में नहीं हैं) -- आलोक १२:१८, ४ सितंबर २००९ (UTC)
हिन्दी दिवस तक सभी इस चर्चा को स्थगित करें। कोई पृष्ठ मिटाया न जाए मगर बनाया भी न जाए! --मितुल २१:११, ४ सितंबर २००९ (UTC)

यही बात तो एक सज्जन ने ३-४ महीने पूर्व भी कही थी

किसी भी लेख में कम से कम ५-६ पंक्तियां लिखने का सुझाव तो एक सज्जन ने चार-पाँच महीने पहले भी दिया था। लेकिन हमारे देश की वही पुरानी बीमारी है ना की जब तक अमेरिका या ब्रिटेन वाले कुछ कह ना दे तब तक वह बात सुनी नहीं जाती और ना ही उस पर ध्यान दिया जाता है। लोग बस संख्या बढ़ाने के लिए अंधाधुन्ध लेख बनाते जा रहे हैं। इससे जब कोई उस लेख को देखेगा तो वह उल्टा और कोसेगा की क्या बनाया है। उन्हीं सज्जन ने यह भी कहा था की अंग्रेज़ी के लेख चेपने से अच्छा तो यह है की कम से कम ४-५ पंक्तियाँ अनुवाद कर के लिख दीं जाएं। लो अब खुद यही बात अंग्रेज़ी चौपाल पर लिख दी गई है। यदि केवल आधार लेख ही बनाने है तो मुझसे बोलो, १४ सितंबर तक एक लाख हो जाएंगे लेकिन उन पर होगा कुछ नहीं। ऐसे आधार लेख बनाकर तो हम अंग्रेज़ी विकि से भी आगे निकल जाएंगे। जारी रखो। 59.177.68.73 ०९:५५, ८ सितंबर २००९ (UTC)

भैया आप १४ सितम्बर तक १ लाख लेख बना डालो, फिर वार्ता करते हैं इस पर। थैंक्यू इन ऐडवान्स। -- सौरभ भारती (वार्ता) १०:०१, ८ सितंबर २००९ (UTC)
वाकई। मकसद होना चाहिए कि पाठक के लिए कोई काम की चीज़ तैयार हो न कि इन फ़ालतू की दौड़ों में हिस्सा लेना। ये दौड़ें जोश बढ़ाने के लिए ठीक हैं पर गुणवत्ता को प्रभावित करें तो बिल्कुल सही नहीं हैं। आधारों से भरी विकिपीडिया को ले कर यह कहना कि हमारे पास इतने हज़ार लेख हैं बस शेखी बघारना ही है। इससे बचना चाहिए। इसके बजाय अच्छे लेखों को उल्लिखित करना चाहिए। -- आलोक १०:०८, ८ सितंबर २००९ (UTC)
पहले विकि पर पंजीकरण तो कर लें, फिर १ लाख क्या १० लाख लेख बनाएँ। विकि ना ही मेरे बस की है ना ही आपके, पर हमारे बस की है। पहले इसका हिस्सा बन जाएँ, फिर आपको हर चीज सही जगह दिखेगी। -- सौरभ भारती (वार्ता) १०:१२, ८ सितंबर २००९ (UTC)
क्या आपको यह लगता है कि विकि पर पंजीकरण न करने/प्रबंधक न होने से किसी दलील का दम कम/अधिक हो जाता है? कृपया लिखे गए पर ध्यान दें न कि लेखक पर। आपकी यह टिप्पणी निराशाजनक है। -- आलोक १०:२२, ८ सितंबर २००९ (UTC) (लेकिन अगर मैं बेनाम हो के लिखता तो भी बात वही रहती)
आलोक जी ये मेरी व्यक्तिगत भड़ास नहीं है। असल में यह तो बहुत कौमन है कि लोग आते हैं और कुछ भी बोल कर निकल लेते हैं। पर बात में तो उसी के वजन हुई जिसने कुछ किया हो, देखा हो कैसे विकि पर कार्य हो रहा है, इत्यादि इत्यादि। यह संदेश एक घटिया टेस्ट में लिखा गया है (आपको पसंद आई, पर मुझे तो उल्टी हो गई)। बाकी आप इस वार्ता को और आगे ले जाएँ। -- सौरभ भारती (वार्ता) १७:५४, ८ सितंबर २००९ (UTC)
मेरा कहना केवल इतना है कि किसी पर केवल बेनामी होने की वजह से या किसी के बेनामीपन पर कटाक्ष करना अनुचित है। बेनामी होना मात्र ही कटाक्ष या उपहास का कारण नहीं होना चाहिए, विकिपीडिया स्पष्ट कहता है कि योगदान करने के लिए सत्रारंभ करना ज़रूरी नहीं है। ऊपर की चर्चा को आप दोबारा पढ़ें, आप सदस्यता लेने का आह्वान कर रहे हैं और सदस्य होने के साथ अन्य चीज़ों को जोड़ रहे हैं लेकिन विकि की नीति के अनुसार सदस्यता लेना कोई अनिवार्य नहीं है। बाकी चर्चा का आगा पीछा न यहाँ दिखता है न कहीं और। हो सकता है कि लोग आते हों और बोल कर निकल जाते हों लेकिन हर बेनामी को एक साथ एक ही तरह का बर्ताव करना - और वह भी इसलिए कि वह बेनामी है - अनुचित है। बल्कि यदि कोई बेनामी हो कर योगदान देता है तो यह भारतीय संस्कृति के गुप्त दान की महत्ता की तरह ही है। केवल बेनामीपन के आधार पर तीखी टिप्पणी करना, उनके लिए निरादरसूचक सर्वनामों का प्रयोग करना आदि अनुचित है। -- आलोक १७:४०, ११ सितंबर २००९ (UTC)

ठंडा होना

मैं विकिपीडिया के ५ स्तंभ पढ़ रहा था। निम्न वाक्य की तरफ ध्यान गया-

कार्यकर्ताओं को "ठंडा होने" का समय दिया जाएगा,

लगता है इसे अंग्रेजी के "cool down" से अनुवादित किया गया है। मेरा मत है कि हिंदी में सजीव प्राणियों के संदर्भ में "ठंडा होना" का प्रयोग एक मुहावरे के तौर पर भी होता है जिसका अर्थ मृत्यु से होता है , वह भी थोड़ा असम्मान अथवा उपहास के रूप में। जैसे- सैनिक का एक हाथ पड़ते ही घुसपैठिया वहीं ठंडा हो गया।

"cool down" का उचित अनुवाद "शांत होना" होना चाहिए।

कार्यकर्ताओं को "शांत होने" का समय दिया जाएगा, --Manojkhurana (वार्ता) 07:27, 24 अगस्त 2013 (UTC)


अनुवाद कभी शब्दशः नहीं होता अन्यथा इसी तरह की हास्यास्पद स्थित हो जाती है--डा० जगदीश व्योमवार्ता 16:29, 7 सितंबर 2013 (UTC)

चरी नृत्य

चरी पशुओं के हरे चारे को कहते हैं अतः इस लेख का शिर्षक चरी नृत्य करने की कृपा करें। — इस अहस्ताक्षरित संदेश के लेखक हैं -Miss Richa choudhary (वार्तायोगदान) 20:23, 11 अप्रैल 2015‎ (UTC)

moss का हिंदी अनुवाद

साँचा:mbox— इस अहस्ताक्षरित संदेश के लेखक हैं -Aevynn (वार्तायोगदान) 03:23, 11 जून 2015‎ (UTC)

ध्यान दें, साँचे के अनुसार वर्णित कोई भी चर्चा आरम्भ नहीं की गयी है। चर्चा का कारण भी कुछ अस्पष्ट है। हाँ, वैज्ञानिक शब्दावली के अनुसार Moss का हिन्दी अनुवाद हरिता के स्थान पर मॉस ही होना चाहिए। यदि ऐसी कोई चर्चा आरम्भ की जाती है तो उस चर्चा के अनुसार निर्णय लिया जायेगा।☆★संजीव कुमार (✉✉) 05:20, 11 जून 2015 (UTC)
क्या "काई" और "moss" एक ही चीज़ नहीं होती हैं? कुछ शब्दकोशों के अनुसार "moss" का अनुवाद "काई" होता है। अगर "काई" सही अनुवाद है, तो शायद "मॉस" के अलावा इस पृष्ठ का दूसरा शीर्षक "हरिता" के बजाय "काई" होना चाहिए, क्योंकि "हरिता" शब्द इस संदर्भ में विकिपीडिया के बाहर बहुत कम मिलता है। Aevynn (वार्ता) 20:59, 18 जून 2015 (UTC)
आपकी यह चर्चा चौपाल पर भेज दिया है। उसके अनुसार आगे का निर्णय किया जायेगा। कृपया वि:चौपाल#मॉस या हरिता पर इसका अनुसरण करें।☆★संजीव कुमार (✉✉) 12:16, 19 जून 2015 (UTC)