hiwiki:भाषा से संबंधित शिकायतें/पुरालेख 1
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पुरालेख |
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शीर्षकहीन
- आपकी बात से सहमत हूँ आलोचक जी कि एक अच्छा लेख अनेक साहित्यकारों व विद्वानों को विकी की ओर आकर्षित कर सकता है मैं यहाँ आज का आलेख को पढ़ने नियमित आती रही हूँ पर अब यह स्तंभ बहुत दयनीय हो चला है। उदाहरण के लिए आज मुखपृष्ठ पर जो पाठ है उसमें वर्तनी की गलतियाँ तो हैं ही दोहराव भी हैं। एक बार कहा गया है कि यह मुर्गी के आकार का फिर दूसरी बार से मुर्गी से बड़े आकार का। स्थानिक शब्द गलत तो नहीं पर अटपटा है। फिर कहा गया है कि यह मॉरीशस का राष्ट्रीय चिह्न है। यह तो गलत बात है। मॉरिशस के राष्ट्रीय चिह्न में स्थान दिया गया है पर वह मॉरिशस का राष्ट्रीय चिह्न तो नहीं है। ऐसी गलतियों वाले लेख को आज का आलेख बनाना विकिपीडिया की गुणवत्ता और लोकप्रियता के लिए घातक है। यह लिखने का उद्देश्य किसी की आलोचना करना नहीं है लेकिन किसी भी वस्तु का प्रारंभ अगर अच्छा हुआ हो तो उसको बनाए रखने में क्या समस्या है इस पर सदस्यों को ध्यान देना चाहिए। जो लोग लेख लिखने का अनुभव रखते हैं उनके संपादन के बिना लेख का चुनाव नहीं होना चाहिए और लेख लिखने के नियमों को और विस्तार से परिभाषित किया जाना चाहिए। अन्य सदस्य भी अपनी राय और सुझाव लिखें ताकि इस स्तंभ को पहले की तरह स्तरीय बनाया जा सके।--मुक्ता पाठक ०६:२२, १ जुलाई २००९ (UTC)
- मुक्ता जी और सुरुचि जी !! आप दोनों आज का लेख शृंखला देखकर जिस तरह से आहत हैं ठीक वही स्थिति मेरी भी है। पूर्णिमा वर्मन ने इसकी शुरुआत की थी परन्तु कुछ अति उत्साही प्रबंधकों और सदस्यों ने इसमें इतना हस्तक्षेप किया कि पूर्णमा जी को आहत होकर कुछ दिन के लिए विकी को छोड़कर बैठना पड़ा। आशिष और रोहित रावत काफी सक्रिय हैं विकी पर परन्तु हिन्दी में मौलिक लेख लिखने में अभी वे अपरिपक्व हैं। जवाब भी ऐसा लिखते हैं कि मानो विकी के ये बहुत बड़े व्यूरोक्रेट हों..... कई सदस्यों को ये बात काफी अखरती है जिनमें अब आपका नाम भी जुड़ गया है। जो व्यक्ति किसी के लेख को पढ़कर उसकी योग्यता के विषय में जान न सके तो इसका सीधा सा अर्थ है कि वह भाषा की वारीकी को नहीं समझता है। विकी से बाहर की दुनिया में हम जैसे लोग जो साहित्यकार हैं, पत्रकार हैं, लेखक हैं, शिक्षक हैं, वहाँ का हमारा अनुभव इतना बड़ा है कि विकी के ये लोग जो ये लिख रहे हैं कि "अभी विकी पर आपको आये दिन ही कितने हुए हैं?" हास्यास्पद लगता है इनका इस तरह का लिखा हुआ। तरस भी आता है इस तरह की भाषा पर। खैर...... आज का आलेख शृंखला को जब तक पूरी तरह से पूर्णिमा वर्मन नहीं सँभाल लेती हैं तब तक इसमें इस तरह की गलतियाँ दिखती ही रहेंगी। मैं पहले भी यह लिख चुका हूँ। गलतियाँ बताने पर जिस तरह के प्रतिउत्तर लिखे जाते हैं उसे पढ़कर लगता है कि कहीँ हम विकी पर अपने समय का अपव्यय तो नहीँ कर रहे हैं.......। डोडो लेख में तमाम गलतियाँ हैं पर उसे आज का लेख बनाकर प्रकाशित भी कर दिया गया। यहा हाल रहा तो विकी पर हिन्दी के जानकार लोग आना ही बन्द कर देंगे। पूर्णिमा जी से आग्रह है कि वे इस शृंखला को अपने नियंत्रण में ले लें नहीं तो अब तक का विकी पर किया गया सारा श्रम व्यर्थ जाएगा।
--आलोचक १४:५३, १ जुलाई २००९ (UTC) - आपके गलतियां बताने का बहुत बहुत धन्यवाद। भूल सुधार का प्रयास किया गया है। --आशीष भटनागर वार्ता ०९:०६, १ जुलाई २००९ (UTC)
- मुक्ता जी और सुरुचि जी !! आप दोनों आज का लेख शृंखला देखकर जिस तरह से आहत हैं ठीक वही स्थिति मेरी भी है। पूर्णिमा वर्मन ने इसकी शुरुआत की थी परन्तु कुछ अति उत्साही प्रबंधकों और सदस्यों ने इसमें इतना हस्तक्षेप किया कि पूर्णमा जी को आहत होकर कुछ दिन के लिए विकी को छोड़कर बैठना पड़ा। आशिष और रोहित रावत काफी सक्रिय हैं विकी पर परन्तु हिन्दी में मौलिक लेख लिखने में अभी वे अपरिपक्व हैं। जवाब भी ऐसा लिखते हैं कि मानो विकी के ये बहुत बड़े व्यूरोक्रेट हों..... कई सदस्यों को ये बात काफी अखरती है जिनमें अब आपका नाम भी जुड़ गया है। जो व्यक्ति किसी के लेख को पढ़कर उसकी योग्यता के विषय में जान न सके तो इसका सीधा सा अर्थ है कि वह भाषा की वारीकी को नहीं समझता है। विकी से बाहर की दुनिया में हम जैसे लोग जो साहित्यकार हैं, पत्रकार हैं, लेखक हैं, शिक्षक हैं, वहाँ का हमारा अनुभव इतना बड़ा है कि विकी के ये लोग जो ये लिख रहे हैं कि "अभी विकी पर आपको आये दिन ही कितने हुए हैं?" हास्यास्पद लगता है इनका इस तरह का लिखा हुआ। तरस भी आता है इस तरह की भाषा पर। खैर...... आज का आलेख शृंखला को जब तक पूरी तरह से पूर्णिमा वर्मन नहीं सँभाल लेती हैं तब तक इसमें इस तरह की गलतियाँ दिखती ही रहेंगी। मैं पहले भी यह लिख चुका हूँ। गलतियाँ बताने पर जिस तरह के प्रतिउत्तर लिखे जाते हैं उसे पढ़कर लगता है कि कहीँ हम विकी पर अपने समय का अपव्यय तो नहीँ कर रहे हैं.......। डोडो लेख में तमाम गलतियाँ हैं पर उसे आज का लेख बनाकर प्रकाशित भी कर दिया गया। यहा हाल रहा तो विकी पर हिन्दी के जानकार लोग आना ही बन्द कर देंगे। पूर्णिमा जी से आग्रह है कि वे इस शृंखला को अपने नियंत्रण में ले लें नहीं तो अब तक का विकी पर किया गया सारा श्रम व्यर्थ जाएगा।
प्रौद्यौगिकी
प्रौद्यौगिकी या प्रौद्योगिकी में से सही शब्द क्या है? कृपया बताने का कष्ट करें एवं तदनुसार लेखों में सुधार करें| धन्यवाद Rahul07 ०६:४८, ३० मई २०११ (UTC) Rahul07
आगे
- जिन लोगों को मेरी भाषा बुरी लगी हो तो क्षमा चाहूंगा, किंतु जहां आलोचक जी को मेरे संदेश में उपरोक्त वाक्यांश दिखा, उसी संदेश में क्या मेरी बात को अन्यथा ना लें। बुरा लगा हो तो क्षमा करें। आप अन्य क्षेत्रों में अनुभवी हो सकती हैं, किंतु यहां पर उस काट-छांट से चर्चा के महत्वपूर्ण अंश खो जाते, इसलिए मैंने बताया। अंश नहीं देखा? दूसरी बात यहां किसको पता है, कि कोई नया सदस्य हिन्दी का अनुभवी है या कोई नौसिखिया। जब कुछ समय होगा काम करते हुए, या कुछ बात होगी इस बारे में तभी तो पता चलेगा। तीसरी बात मैंने यही तो लिखा है, कि उन्हें काट-छांट का अनुभव नहीं था, इस कारण से हुआ होगा। वे हिन्दी की विद्वान हैं, तो क्या मैंने उनकी भाषा पर कोई टिप्पणी की है? नहीं ना। इसके आगे लिखा है:इसके आगे यह भी जोड़ना चाहूंगा, कि यदि आपके पास कुछ पाठ हो, जिसे विकिपीडिया के अनुरूप (विकिफाई) करना हो तो कृपया याद करें, सदैव प्रस्तुत हूं। आज का आलेख स्तंभ, जिसे पहले दो लोग देखते थे, वे ६ जून से छुट्टी पर चले गए थे, और तबसे मुझे अपनी भारतीय रेल परियोजना पर काम रोककर यहां लगना पड़ा। मेरा अनुभव दो के बराबर तो नहीं था। इस कारण भूल व त्रुटियां हुईं। फिर भी आगे से ध्यान दूंगा। दो सदस्यों के एकदम से चले जाने पर मुझे मजबूरी में ये काम संभालना पड़ा। तीसरा डोडो और अन्य प्रत्याशी लेख प्रत्याशी सूची में रहते हैं, तो कोई भी चाहे तो संपादन/सुधार कर सकता है। जहां तक पूर्णिमा जी से आग्रह की बात है, वो मैं बहुत पहले ही सदस्य वार्ता:पूर्णिमा वर्मन#आलेख स्तंभ ०९:३०, १५ जून २००९ (UTC) को उनसे निवेदन कर चुका हूं। जहां तक वर्तनी दोषों की बात है, तो जिस प्रकार आलोचक जी दूसरों के संदेशों में गलतियां बताते हैं (मैंने कभी इसे गलत नहीं समझा, व सुधारा ही है) उन्हीं के संदेशों में बहुत से वर्तनी दोष हैं। किंतु यदि हम बताएं तो छोटे मुंह बड़ी बात होंगे, और यहां ये बताना मेरा ना उद्देश्य है, ना इच्छा ही। मैंने तो सदा ही मेरे द्वारा विकसित/लिखित लेखों के संपादन/सुधार आदि के लिए सबका स्वागत ही किया है। इसलिए यह प्रार्थना है, कि इस प्रकार ब्यूरोक्रैट जैसे शब्द प्रयोग ना करें। और अनुभवी लोगों से निवेदन है, कि मात्र आलोचना तक सीमित ना रहकर सुधार व संपादन हतु आगे आएं।--आशीष भटनागर वार्ता १५:११, ३ जुलाई २००९ (UTC)
- आशीष जी ! आप ने लिखा है-- "जिस प्रकार आलोचक जी दूसरों के संदेशों में गलतियां बताते हैं (मैंने कभी इसे गलत नहीं समझा, व सुधारा ही है) उन्हीं के संदेशों में बहुत से वर्तनी दोष हैं।"
आशीष जी ! आलोचक की वर्तनी दोषों को अवश्य यहाँ लिखें। गलती किसी की भी हो वह सही होनी ही चाहिए। हो सकता है कि आलोचक को हिन्दी के उन शब्दों की सही जानकारी ही न हो जिन्हें आप जानते हों? लेकिन आप यहाँ वे गलतियाँ लिखे अवश्य। मुझे बहुत अच्छा लगेगा।--आलोचक १५:३४, ३ जुलाई २००९ (UTC)
- देखिए, एक तो मेरा काम या इच्छा ऐसी गलतियां(बिना कारण या बड़ों को) बताना नहीं है, जितना इन गलतियों के बारे में लिखा, उस पर भी बहुत क्षमा चाहूंगा। आपकी गलतियां निकालने के लिए शायद मेरा मुंह बहुत छोटा है। यहां शायद लिखाने में भी जोर पड़ा है मुझे। जिसकी स्वयं इतनी गलतियां हों, वो किसी दूसरे अनुभवी को क्या गलतियां दिखाए? फिर भी मात्र एक बार, आपके अनुरोध पर लिखता हूं, जिसके लिए उसमें जितने शब्द हैं, उनसे कई गुणा क्षमा मांगता हूं, व आपसे यह वादा भी, कि आप इस खास बात के लिए मुझे क्षमा करेंगे, अभी और यहीं।
- पूर्णमा, आशिष, व्यूरोक्रेट (ब्यूरोक्रेट), वारीकी, प्रतिउत्तर(प्रत्युत्तर या प्रति उत्तर बिना संधि), यहा हाल रहा,
- मेरे विचार से क्षमा के सागर में एक और लोटा जल अब डालने की आवश्यकता नहीं होगी। हां मेरी अन्य पुरानी भूलों को इस वादे के साथ भुल जाएंगे, कि आगे भी मेरी आलोचना करते ही रहेंगे। जिस प्रकार बिना मृत्तिका-लेपन (साबुन) के स्नान अधूरा है (पुराणानुसार) उस ही प्रकार बिना आलोचना/निंदा के, लेखन भी व्यर्थ है।--आशीष भटनागर वार्ता १५:५४, ३ जुलाई २००९ (UTC)
- आशीष जी ! धन्यवाद इतनी गलतियाँ खोजने के लिए। ये गलतियाँ टाइप की नहीं हैं, आलोचक को पता ही नहीं था कि ये वर्तनी दोष है। आप को अब कुछ बताने की आवश्यकता नहीं है, हाँ आप यह जानकारी अवश्य दे दें कि निम्नलिखित वाक्यांश जो मैं आपके लिखे संदेश से यहाँ दे रहा हूँ---
उपरोक्त
अन्यथा ना लें।
महत्वपूर्ण
हिन्दी की विद्वान
नहीं ना।
वो
छोटे मुंह बड़ी बात होंगे
मेरा ना उद्देश्य है, ना इच्छा ही।
मैंने तो सदा ही मेरे द्वारा विकसित/लिखित
लिखाने में भी जोर पड़ा है मुझे।
वो किसी
कई गुणा
साथ भुल जाएंगे
उस ही प्रकार बिना
-- क्या ये सब शुद्ध हैं ? जिससे इन्हें मानक मानकर अन्य लोग भी इसी तरह का लिखने का अनुसरण करें । कोई वाक्य जब अशुद्ध होता है तो उसका प्रभाव एक पाठक पर क्या पड़ता है, इसे वही अनुभव कर सकता है जो वाक्यगत शुद्धता को समझता है। मैं तो इसलिए कुछ प्रयास कर रहा था कि आप शायद विकी के प्रबंधक भी हैं, और एक प्रबंधक के ऐसे वर्तनीगत दोष जो उनके अभ्यास में आ गए हैं, उन्हें दूर करा दिया जाए ...... पर आपकी तार्किक क्षमता के सामने वर्तनीगत दोष भला किस खेत की मूली हैं.... । यायावर जी ने कुछ ऐसा ही लिखा तो सदस्यों ने अशिष्ट भाषा में प्रतिक्रियाएँ लिख डालीं...... किसी प्रबंधक ने लिखने वाले सदस्य को मना नहीं किया। सुरुचि ने अवश्य इस पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
--आलोचक ०३:१५, ४ जुलाई २००९ (UTC)
- आशीष जी ! आपने यह लेख अभी-अभी बनाया है....... इसे पढ़कर भी तो देखिए...... ऐसे लेखों को एक बार पढ़ लेने के बाद कोई भला आदमी विकी पर दुबारा आएगा ??
- आशीष जी ! आपने यह लेख अभी-अभी बनाया है....... इसे पढ़कर भी तो देखिए...... ऐसे लेखों को एक बार पढ़ लेने के बाद कोई भला आदमी विकी पर दुबारा आएगा ??
" भारतीय प्रवेश द्वार भारत के दक्षिण [[मुम्बई] के तट पर स्थित है। ये प्रवेशद्वार एक असिताश्म का बना हूआ एक वृत्तखण्ड हे- जिसकी ऊंचाई २६ मीटर की हे। इस प्रवेशद्वार मे पर्यटनो के लिऐ नाव-भ्रमण सेवाऐ भी उपल्ब्ध हे। प्रवेशद्वार को बाना ने के लिऐ पिला असिताश्म इसतामल किया गया हे। ये प्रवेशद्वार का निर्माण राजा जॉजॅ पंचम और रानी मॅरी के आगमान [२ दिसम्बर १९११ मे] का स्मरणोत्सव मनाने के लिऐ किया था। इसके वास्तुशिल्पी जॉजॅ विटैट थे. यह १९२४ में बन कर तैयार हुआ था।"
मैं चाहता हूँ कि इस तरह के लेख जो विकी के प्रबंधक जैसे व्यक्ति बना रहे हैं, इस पर अन्य प्रबंधकों की क्या राय है ?
--आलोचक ०३:३१, ४ जुलाई २००९ (UTC)
- जो पाठ के अंश आपने बताए हैं, वे संभवतः गेटवे ऑफ़ इन्डिया लेख के हैं। मैंने ऐसा कोई लेख आज कल तो क्या ये लेख बनाया ही नहीं है। आप कृपया संदेश में देने से पूर्व इसका अवतरण इतिहास देखें। साथ ही मेरे योगदान भी देख सकते हैं। इस लेख का भी अंतिम संपादन मेरे संदेश लिखने तक 2009-03-05T07:24:32 Xqbot का ही है। तब आपने कैसे और कहां देख लिया, कि मेरा अभी अभी बनाया हुआ लेख है। कृपया ध्यानपूर्वक देखें। अवतरण इतिहास के लिंक यहां हैं। लेख गेटवे ऑफ़ इन्डिया है व मेरे योगदान यहां हैं। मैंने भरपूर क्षमा याचना के साथ ही आपके अनुरोध पर कुछ वर्तनी दोष लिखे थे, किंतु आपने लिख दिया कि आलोचक को पता ही नहीं कि ये वर्तनी दोष हैं। वारीकी या बारीकी एवं पूर्णमा या पूर्णिमा में से कौन सा सही है, इसे किसी विद्वान से पूछने की आवश्यकता है क्या? आपके संदेश में जब चाहें आलोचक की ओर से संबोधन होता है, व कहीं भी वो एक थर्ड पर्सन हो जाता है। इसका अर्थ भी समझ नहीं आया है। सीधे फर्स्ट पर्सन में क्यों नहीं लिखते हैं। वैसे आपकी इच्छा, मुझे कोई आपत्ति नहीं है। हां उपरोक्त वाक्यांशों में यदि गलतियां हैं, या मेरी कोई भी गलतियां हों तो अवश्य आगे भी बताते रहें, मैं सदा ही सुधारूंगा। सीखने की कोई समय सीमा नहीं होती है। हां एक और बात, किसी प्रबंधक ने लिखने वाले को मना किया या नहीं, ये आपको पता चले आवश्यक नहीं है। कुछ बातें हम चैट पर भी करते हैं, जिनका यहां उल्लेख भी नहीं होता है। सधन्यवाद--आशीष भटनागर वार्ता ०६:३१, ४ जुलाई २००९ (UTC)
ळ ल और ड़
पुना के पास एक जगह है जिसे अंग्रेजी मे Talvade और मराठी मे तळ्वडे कहॉ जाता है। हिंदी मे इसे कैसे लिखेंगे। क्या हिंदी मे ळ का उपयोग कर सकते है। कृपया मार्गदर्शन करे। --गुंजन वर्मासंदेश ०८:३६, १६ अगस्त २००९ (UTC)
- हिंदी में इसके लिए आमतौर पर ताडदेव वर्तनी का प्रयोग होता है।--मुक्ता पाठक ०८:४०, १६ अगस्त २००९ (UTC)
- मुक्ता जी आप तलवडे तो नहीं कहना चाहतीं थीं? आप द्वारा बतायी गयी वर्तनी मराठी और अंग्रेजी दोनों वर्तनियों से बिल्कुल मेल नहीं खा रही है।
- मेरी जानकारी जहां तक है मराठी में 'तिळक' को हिन्दी में 'तिलक' लिखा जाता है। इसलिये मेरा अनुमान था कि 'ळ' के स्थान पर 'ल' कर देने से काम चल जाना चाहिये।
अनुनाद सिंह ०९:०७, १६ अगस्त २००९ (UTC)
- मुक्ता जी धन्यवाद ! क्या आप ताडदेव वर्तनी के बारे मे कोई संदर्भ दे सकती है। अनुनाद जी तिळ्क को हिंदी मे तिलक बोलते है इसलिये शायद "तिलक" लिखना उचित होगा पर अगर हम तळ्वडे का मराठी उच्चारण देखे तो वह हिन्दी के तड़वड़े के समान सुनाई देगा। इसलिय तलवडे लिखना उचित नही होगा। जैसे एक और मराठी शब्द है शिरोळे जिसका उच्चारण शिरोड़े है। अंग्रेजी मे यह शब्द Shirole लिखा जयेगा जिस से ड़ का उच्चारण नही आता है। मेरा प्रश्न है की क्या हिन्दी मे ऐसे शब्दो को लिखने का कोई विषेष तरीका है। मैने मराठा साम्राज्य पर लेख बनाने शुरु कीये है जहॉ ऐसे कई शब्द आते है। महाराष्ट्र से बाहर रहने वाले शायद अंग्रेजी के Talvade को पढ़ कर हिंदी मे उसे तलवडे लिखे पर मेरा निवास स्थान पुणे है इसलिये मै इनके स्थानिय उच्चारण से परिचित हूँ। --गुंजन वर्मासंदेश १४:१७, १६ अगस्त २००९ (UTC)
- माफ़ कीजिएगा गलती हो गई तलवडे ही सही है। अनुनाद जी, ध्यान देने के लिए धन्यवाद। अनेक स्थानों पर मराठी के ळ को ल लिखा जाता है जबकि अनेक स्थानों पर ड़। यह गूगल में सर्च कर के जाना जा सकता है कि हिंदी में किस वर्तनी का प्रयोग किया जा रहा है।--मुक्ता पाठक १४:५०, १६ अगस्त २००९ (UTC)
- अंग्रेजी हिज्जे से काम नहीं चलेगा। आप हिन्दी में वैसे ही लिखिए जैसे उस शब्द का उच्चारण होता है, ना कि transliteration from english to hindi। अतः talvade को तड़वडे लिखना ज्यादा उचित होगा। वैसे अगर किसी मराठी को हिन्दी में नाम लिखना होगा तो ळ का उपयोग करेगा या फिर ड़ या फिर ल? what's common practice? आप common practice को भी follow कर सकते हैं। -- सौरभ भारती (वार्ता) १५:३१, १६ अगस्त २००९ (UTC)
- मराठी में ळ अक्षर ड़+ल का मेल होता है। अतं इसे हिन्दी या अन्य भाषा में दोनों में से किसी ओर भी ले जाया जा सकता है, ठीक वैसे ही जैसे अरबी में द+ज़+व(उ+अ) होता है, जिसे रमज़ान में प्रयोग किया जाता है। अब रमज़ान को तभी कोई रमज़ान(हिन्दी विकि) लिखाता है, तो कहीं रमदान(अंग्रेज़ी विकि) मिलता है तो कहीं रमदुआन, कहीं रमज़ुआन कहते हैं, जबकि अरबी लोग रमद्ज़ुआन जैसा कुछ कहते हैं। इसे शायद पूर्णिमा जी जानती और बेहतर बता सकती हैं। वैसे ही ळ को भी किसी भी ओर ले जा सकते हैं, किंतु हमें प्रचलन देखना होगा, और जिसका सर्वश्रेष्ठ तरीका है, उससे मिलते हुए अन्य शब्द या उसको अन्य भाषाओं में क्या कहते हैं।वैसे इस खाश शब्द को तो तलवड़े कहेंगे। यह पहले भी सुना हुआ है।--आशीष भटनागर वार्ता १५:४६, १६ अगस्त २००९ (UTC)
- मैंने अभी गूगल पर खोजा, तो मुझे तलवडे और तळवडे पर काफी उत्तर आए, पर तड़वडे पर कोई नहीं आया। मुझे लगता है कि या तो आप तळवडे ही उपयोग में लाएँ, क्योंकि ळ हिन्दी का हिस्सा है, या फिर तलवडे। -- सौरभ भारती (वार्ता) १५:३९, १६ अगस्त २००९ (UTC)
- मराठी के /ळ/ के लिये हिन्दी में /ल/ का ही प्रयोग करें । /ळ/ का उच्चारण जो भी हो उससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता है । बात बस इतनी है कि आधुनिक आर्य भाषाओं में /ल/ और /ळ/ का विभाजन जो कि कुछ भाषाओं में देखने को मिलता है, वो एक ही ध्वनिग्राम (phoneme) के दो, समय के साथ विकसित, विविध रूप का जोड़ा है । मानक हिन्दी भाषियों को /ळ/ पहचान में आ जाएगा परन्तु वे /ल/ और /ळ/ में भेद नहीं करेंगे । इसके विपरीत /ड/ और /ड़/ (और उसी का महाप्राण, /ढ/ और /ढ़/) एक और जोड़ा है, जिनके बीच में मानक हिन्दी भेद करती है । पंजाबी, हरयाणवी, ठेंठ खड़ी बोली, राजस्थानी भाषाएँ, गुजराती और मराठी सब /ल/ और /ळ/ में भेद करती हैं । Maquahuitl १४:४१, २१ अगस्त २००९ (UTC)
- विकी की गति फिर मन्द हो गई है। अभी ३५२९५ संख्या ही दिख रही है।--122.162.250.43 १५:०२, १८ अगस्त २००९ (UTC)
स्वत: अनुवाद कब करें
अभी 'वार्ता पृष्ठ' जोड़ने से समबन्धित बात चल रही थी। इसी सिलसिले में मैं स्वत: अनुवाद के बारे में यह कहना चाहता हूँ कि इसका अनुवाद किसी पहले से मौजूद लेख को 'दबाने' के लिये न किया जाय। इसका उपयोग यदि करना ही है तो केवल नये लेखों के सृजन के लिये किया जाय।
कारण यह है कि अब भी अब भी 'स्वत: अनुवाद' बहुत हद तक भ्रामक, अस्पष्ट और असहज हैं। इसलिये इनसे पहले से किये गये मेहनत को ढकना मेहनत की बर्बादी है; कोई नया सृजन नहीं है।
अनुनाद सिंह ०७:४३, १९ अगस्त २००९ (UTC)
- आपकी बात से मैं पूर्णतः सहमत हूं, अनुनाद जी, इस संदर्भ में मै Wikitrans द्वारा जोड़े जा रहे लेखों की ओर प्रबंधकों का ध्यान दिलाना चाहूंगा। कृपया इस पर जल्द रोक लगाई जाए।
--Charu ०७:५६, १९ अगस्त २००९ (UTC)
- I have reminded all the active editors not once but twice about Wikitrans, but it seems they did not heed my words. I had already put this in chaupal twice. Please see this [१] Now it's time that we should handle this user Wikitrans strongly. I believe each editor (prabhandak) have right to ban a user for certain period of time. If you see Wikitrans's vaarta page you would see that we have reminded him of his irresponsible act several times. My earnest request to all the Editors is that please control wikitrans other wise he would soon ruin the reputation of hindi wiki and hindi wiki would be known as a wiki of poor translations. --गुंजन वर्मासंदेश ०८:५७, १९ अगस्त २००९ (UTC)
(I am sorry for using english as I am in office and can not type devnagri. This issue was important so it was necessary to be addressed immediately.)
- लीजिये चेन्नई का भी Wikitrans ने उद्धार कर दिया है. 203.199.153.24 ०९:२२, १९ अगस्त २००९ (UTC)
- मैंने पूर्ववत कर दिया है 203.199.153.24 ०९:२४, १९ अगस्त २००९ (UTC)
- सक्रिय सदस्य कृपया ध्यान दें। Wikitrans को स्वतः अनुवाद का विध्वंसकारी काम रोकने का अनुरोध कर दिया गया है। यदि इसके बाद भी वे अपना ये अभ्यास जारी रखते हैं, तो जिसकी भी नज़र पड़े, कृपया मुझे या किसी भी प्रबंधक को सूचित करें। अन्य सदस्यों का इर बात पर ध्यानाकर्षण का धन्यवाद --आशीष भटनागर वार्ता ०९:५३, १९ अगस्त २००९ (UTC)
- मैंने पूर्ववत कर दिया है 203.199.153.24 ०९:२४, १९ अगस्त २००९ (UTC)
- लीजिये चेन्नई का भी Wikitrans ने उद्धार कर दिया है. 203.199.153.24 ०९:२२, १९ अगस्त २००९ (UTC)
हमारे द्वारा संपादित लेखों पर व्यक्त चिंताओं का समाधान --wikitrans वार्ता 11.38 AM, 28 अगस्त 2009 (IST)
हिन्दी विकिपीडिया पर अंग्रेजी शीर्षक वाले लेख
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यही बात तो एक सज्जन ने ३-४ महीने पूर्व भी कही थी
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ठंडा होना
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चरी नृत्य
चरी पशुओं के हरे चारे को कहते हैं अतः इस लेख का शिर्षक चरी नृत्य करने की कृपा करें। — इस अहस्ताक्षरित संदेश के लेखक हैं -Miss Richa choudhary (वार्ता • योगदान) 20:23, 11 अप्रैल 2015 (UTC)
- पूर्ण हुआ।☆★संजीव कुमार (✉✉) 11:30, 12 अप्रैल 2015 (UTC)
moss का हिंदी अनुवाद
साँचा:mbox— इस अहस्ताक्षरित संदेश के लेखक हैं -Aevynn (वार्ता • योगदान) 03:23, 11 जून 2015 (UTC)
- ध्यान दें, साँचे के अनुसार वर्णित कोई भी चर्चा आरम्भ नहीं की गयी है। चर्चा का कारण भी कुछ अस्पष्ट है। हाँ, वैज्ञानिक शब्दावली के अनुसार Moss का हिन्दी अनुवाद हरिता के स्थान पर मॉस ही होना चाहिए। यदि ऐसी कोई चर्चा आरम्भ की जाती है तो उस चर्चा के अनुसार निर्णय लिया जायेगा।☆★संजीव कुमार (✉✉) 05:20, 11 जून 2015 (UTC)
- क्या "काई" और "moss" एक ही चीज़ नहीं होती हैं? कुछ शब्दकोशों के अनुसार "moss" का अनुवाद "काई" होता है। अगर "काई" सही अनुवाद है, तो शायद "मॉस" के अलावा इस पृष्ठ का दूसरा शीर्षक "हरिता" के बजाय "काई" होना चाहिए, क्योंकि "हरिता" शब्द इस संदर्भ में विकिपीडिया के बाहर बहुत कम मिलता है। Aevynn (वार्ता) 20:59, 18 जून 2015 (UTC)
- आपकी यह चर्चा चौपाल पर भेज दिया है। उसके अनुसार आगे का निर्णय किया जायेगा। कृपया वि:चौपाल#मॉस या हरिता पर इसका अनुसरण करें।☆★संजीव कुमार (✉✉) 12:16, 19 जून 2015 (UTC)
- क्या "काई" और "moss" एक ही चीज़ नहीं होती हैं? कुछ शब्दकोशों के अनुसार "moss" का अनुवाद "काई" होता है। अगर "काई" सही अनुवाद है, तो शायद "मॉस" के अलावा इस पृष्ठ का दूसरा शीर्षक "हरिता" के बजाय "काई" होना चाहिए, क्योंकि "हरिता" शब्द इस संदर्भ में विकिपीडिया के बाहर बहुत कम मिलता है। Aevynn (वार्ता) 20:59, 18 जून 2015 (UTC)