hiwiki:पृष्ठ हटाने हेतु चर्चा/लेख/रवीन्द्र प्रभात
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परिणाम: लेख रखा गया, विषय स्पष्ट रूप से उल्लेखनीय है। <>< बिल विलियम कॉम्पटनवार्ता 15:50, 4 अक्टूबर 2013 (UTC)
नामांकन
रवीन्द्र प्रभात -विकिपीडिया -wikipedia के लिये गूगल परिणाम: खोज • समाचार • पुस्तक • विद्वान •
नामांकन के लिये कारण:
Absolutely no evidence of notability whatsoever. Did Google Search with both English and Hindi script. लवी सिंघल (वार्ता) 08:47, 1 अगस्त 2012 (UTC)
Shastri J.C.Filip SaidRavindra Prabhat is a writer, connected with many periodicals. He is also involved in active writing in print media and his blog Parikalpana. Once can discern a strong stream of nationalism, patriotism, and agony over the present situation in almost all his writings.I am always inspired on writing his new entries.[१]</ref> Pandey.manoj118 (वार्ता)
- In opposition to the nomination page to be deleted due
(1) Ravindra Prabhat is Hindi-known writer and popular new media specialist. Please watch Talk Show Ravindra Prabhat in Ustream [२]</ref>
(2)The honorary director of jahangirabad media institute and renowned urdu poet Gauhar Raza was interviewed by Ravindra Prabhat on the topic ""Literature, Social Change and Cyber Space"[३]</ref>
(3) हिन्दी साहित्य में एक एसे साहित्यकार हैं जिन्होंने साहित्यक ब्लॉगस को बड़ी गंभीरता से लिया और ब्लॉग के मुख्य विश्लेषको के रुप में अपना एक महत्वपूर्ण स्थान बनाया । [४]</ref>
(4)रवीन्द्र प्रभात इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ब्लॉगिंग के इतिहास पुरूष बनने के साथ अपने ताजा उपन्यास ताकि बचा रहे लोकतंत्र के माध्यम से कथा जगत में भी अपना हस्तक्षेप किया है।[५]</ref>
(5)रवीन्द्र प्रभात की पुस्तक की चर्चा सृजनगाथा में[६]</ref>
(6)रवीन्द्र प्रभात के दो चर्चित उपन्यास फ्लिपकार्ट पर [७]</ref>
(7) रवीन्द्र प्रभात के दलित विमर्श पर आधारित चर्चित उपन्यास ताकि बचा रहे लोकतन्त्र औल वेब स्टोर्स पर [८]</ref>
(8) रवीन्द्र प्रभात और अविनाश वाचस्पति द्वारा संपादित हिन्दी की पहली मूल्यांकनपरक पुस्तक की समीक्षा [९]</ref>
(9) रवीन्द्र प्रभात द्वारा लिखित पुस्तक हिन्दी ब्लोगिंग का इतिहास के लोकार्पण का समाचार[१०]</ref>
(10)चिटठा चर्चा में रवीन्द्र प्रभात के द्वारा किये जा रहे कार्य की समीक्षा[११]</ref>
(11) शास्त्री जे सी फिलिप की नज़रों मे रवीन्द्र प्रभात [१२]</ref>
(12) रवीन्द्र प्रभात का साक्षात्कार मंगलायातन मे [१३]</ref>
Considering the popularity of Ravindra Prabhat delete while it does not seem fair. So I am strongly reccommended for notability. Pandey.manoj118 (वार्ता) 08:02, 7 अगस्त 2012 (UTC)
- पृष्ठ हटाये जाने के नामांकन के विरोध मे कारण
“रवीन्द्र प्रभात ब्लॉग जगत में सिर्फ एक कुशल रचनाकार के ही रूप में नहीं जाने जाते हैं, उन्होंने ब्लॉगिंग के क्षेत्र में कुछ विशिष्ट कार्य भी किये हैं। वर्ष 2007 में उन्होंने ब्लॉगिंग में एक नया प्रयोग प्रारम्भ किया और ‘ब्लॉग विश्लेषण’ के द्वारा ब्लॉग जगत में बिखरे अनमोल मोतियों से पाठकों को परिचित करने का बीड़ा उठाया। 2007 में पद्यात्मक रूप में प्रारम्भ हुई यह कड़ी 2008 में गद्यात्मक हो चली और 11 खण्डों के रूप में सामने आई। वर्ष 2009 में उन्होंने इस विश्लेषण को और ज्यादा व्यापक रूप प्रदान किया और विभिन्न प्रकार के वर्गीकरणों के द्वारा 25 खण्डों में एक वर्ष के दौरान लिखे जाने वाले प्रमुख ब्लागों का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया। इसी प्रकार वर्ष 2010 में भी यह अनुष्ठान उन्होंने पूरी निष्ठा के साथ सम्पन्न किया और 21 कडियों में ब्लॉग जगत की वार्षिक रिपोर्ट को प्रस्तुत करके एक तरह से ब्लॉग इतिहास लेखन का सूत्रपात किया। ब्लॉग जगत की सकारात्मक प्रवृत्तियों को रेखांकित करने के उद्देश्य से अभी तक जितने भी प्रयास किये गये हैं, उनमें ‘ब्लॉगोत्सव’ एक अहम प्रयोग है। अपनी मौलिक सोच के द्वारा रवीन्द्र प्रभात ने इस आयोजन के माध्यम से पहली बार ब्लॉग जगत के लगभग सभी प्रमुख रचनाकारों को एक मंच पर प्रस्तुत किया और गैर ब्लॉगर रचनाकारों को भी इससे जोड़कर समाज में एक सकारात्मक संदेश का प्रसार किया।”[१४]</ref>
थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक के फुरामा सिलोम होटल के सभागार में दिनांक १६ से २१ दिसंबर २०११ तक आयोजित चतुर्थ अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मलेन में हिंदी के मुख्य ब्लॉग विश्लेषक एवं वहुचर्चित साहित्यकार रवीन्द्र प्रभात को हिंदी ब्लॉगिंग में उल्लेखनीय योगदान हेतु सृजन श्री सम्मान से अलंकृत किया गया। उन्हें इस सम्मान के अंतर्गत स्मृति चिन्ह, मान पत्र, अंग वस्त्र और एक निश्चित धनराशि के साथ साहित्यिक कृतियाँ भेंट की गयी। उल्लेखनीय है कि लखनऊ निवासी रवीन्द्र प्रभात ने हिंदी ब्लॉगिंग के क्षेत्र में कुछ विशेष कार्य किये हैं। हिंदी ब्लॉगिंग की पहली मूल्यांकनपरक पुस्तक के वे संपादक तथा हिंदी ब्लॉगिंग के पहले इतिहासकार हैं।[१५]</ref>
यूजीसी संपोषित ब्लॉगिंग पर पहली संगोष्ठी संपन्न : कल्याण (मुम्बई) : विगत ९ दिसंबर २०११ को सुबह १० बजे से कल्याण पश्चिम स्थित के.एम. अग्रवाल कला, वाणिज्य एवं विज्ञान महाविद्यालय में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग संपोषित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन हुआ . इस अवसर पर संस्था द्वारा कुछ हिंदी ब्लॉगर को अपने मंच पर ‘ब्लॉगभूषण सम्मान’ से सम्मानित किया। सम्मान स्वरूप इन्हें सम्मान पत्र, पुष्पगुच्छ व शाल भेंट की गयी। जो सम्मानित हुए उनके नाम हैं : रवि रतलामी, रवीन्द्र प्रभात, अविनाश वाचस्पति, सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी, शैलेश भारतवासी, डॉ. हरीश अरोरा एवम डॉ. अशोक कुमार मिश्र ।[१६]</ref>
समाजिक रूढियों को तोड़ने में तकनीक का योगदान किसी से छिपा नहीं है। जब कभी किसी नई तकनीक का विकास होता है, तो वह अंजाने में ही पहले से चली आ रही परम्पराओं के लिए चुनौती बन कर प्रस्तुत हो जाती है। इसके फलस्वरूप उसे आलोचना का शिकार होना पड़ता है, उसकी खिल्ली उड़ाई जाती है। लेकिन बावजूद इसके तकनीक किसी से हार नहीं मानती और देखते ही देखते लोगों के दिलो-दिमाग पर छाती चली जाती है। ऐसा ही कुछ रहा है ‘ब्लॉगिंग’ की तकनीक का सफर। इस सफर के स्वर्णिम भविष्य को जिन लोगों ने समय रहते पहचाना और उसके विकास में अपने स्तर से महत्वपूर्ण योगदान दिया, उनमें लखनऊ निवासी रवीन्द्र प्रभात का नाम उल्लेखनीय है। ‘परिकल्पना’ उनका चर्चित ब्लॉग है, जिसमें उनकी संवेदनाओं को, ब्लॉगिंग की हलचलों को और उसके विविध पहलुओं को नजदीक से देखा जा सकता है।रवीन्द्र प्रभात मूलत: एक कवि हैं और गजल विधा से गहराई से जुड़े रहे हैं।......
इनके अबतक 2 उपन्यास, एक काव्य संग्रह,दो गजल संग्रह,दो संपादित पुस्तक और एक ब्लोगिंग का इतिहास प्रकाशित है । रवीन्द्र प्रभात की लोकप्रियता को देखते हुये यह पृष्ठ हटाना उचित प्रतीत नहीं हो रहा है । 27.251.170.66 (वार्ता) 08:14, 7 अगस्त 2012 (UTC)
- नामांकन के विरोध मे
मुझे लगता है कि विश्वसनीयता के लिए यह संदर्भ पर्याप्त है और शायद अब कोई और संदर्भ की आवश्यकता प्रतीत नहीं हो रही है । मेरे समझ से इस लेख को विकिपीडिया पर प्रतिस्थापित किया जाना चाहिए । [१७]</ref> 27.251.170.66 (वार्ता)
एक और नया स्त्रोत : रवीन्द्र प्रभात के उपन्यास इंफीबीम पर [१८]</ref>
Pandey.manoj118 (वार्ता)
टिप्पणी ऊपर दिए गए विरोधों में दी गई कड़ियाँ कुछ इस प्रकार हैं:
- कड़ी 1, कड़ी 5 (जो कि दरअसल ब्लॉगस्पॉट ब्लॉग है) कड़ी 10, कड़ी 11, कड़ी 13, कड़ी 14: ब्लॉग
- कड़ी 7, कड़ी 8, कड़ी 18: लेखक की पुस्तक बेचती वेबसाइट
- कड़ी 3: एक यूट्यूब विडियो
- कड़ी 2: एक विडियो (प्राथमिक स्रोत)
- कड़ी 9: लेखक की अपनी साइट की कड़ी
- कड़ी 17 भारतकोश से है जो अपने-आप में एक विकी है, अतः विश्वसनीय स्रोत नहीं है।
इसके अतिरिक्त #पृष्ठ हटाये जाने के नामांकन के विरोध मे कारण के पहले अनुच्छेद में जो बातें लिखीं हैं, जब तक कोई तृतीय पक्ष का विश्वसनीय स्रोत (third party reliable source) उनका उल्लेख नहीं करता, तब तक वे कार्य उल्लेखनीय नहीं हैं, और ना ही उल्लेखनीयता सिद्ध करते हैं। लेखक को सृजनश्री सम्मान जो अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी सम्मलेन में दिया गया वह एक वेबसाइट srijangatha.com की ओर से था (लेख के अनुसार)। यद्यपि सम्मलेन अपने-आप में उल्लेखनीय है, एक वेबसाइट द्वारा दिए गए सम्मान की उल्लेखनीयता विचारणीय है। लेखक को महाविद्यालय द्वारा दिए सम्मान की उल्लेखनीयता भी विचारणीय है। #पृष्ठ हटाये जाने के नामांकन के विरोध मे कारण के अंतिम अनुच्छेद में दी बातें केवल दलीलें हैं जो ना तो कोई स्रोत प्रदान करती हैं, ना ही उल्लेखनीयता स्पष्ट करती हैं।
मूल लेख में लेखक के बारे में जो लिखा है, उसके अनुसार लेखक को सभी सम्मान ब्लॉग संगठनों द्वारा दिए गए हैं। इन पुरस्कारों का उल्लेख पुरस्कार देने वाले ब्लॉग संगठनों के अतिरिक्त किसी प्रकाशित पत्रिका या अखबार में नहीं दिया गया है (ऐसा कोई स्रोत यदि मौजूद भी हो तो भी लेख में प्रदान नहीं किया गया है)। इन सब बातों को देखते हुए, मुझे लगता है कि यदि इन्हें दिए पुरस्कार स्वयं में उल्लेखनीय नहीं हैं तो यह लेखक भी उल्लेखनीय नहीं हैं। और चूँकि इन पुरस्कारों के बारे में (अतः लेखक के बारे में) उल्लेखनीयता सिद्ध करते कोई भी तृतीय पक्ष के विश्वसनीय स्रोत प्रदान नहीं किये गए हैं, अतः इस लेख को हटा दिया जाना चाहिए।--सिद्धार्थ घई (वार्ता) 05:57, 27 अक्टूबर 2012 (UTC)
नामांकन के विरोध मे नई टिप्पणी मूल लेख मे लेखक के बारे मे जहां तक तृतीय पक्ष के विश्वसनीय स्रोत का प्रश्न है, तो यहाँ इस बात का उल्लेख आवश्यक है कि रवीन्द्र प्रभात जी की पहली पुस्तक उस समय अर्थात 1991 में चर्चा में आ चुकी थी जिस समय इन्टरनेट शैशवा अवस्था में था । जाहीर है इन्टरनेट के बिस्तार से पूर्व ये एक चर्चित व्यक्तिव के रूप में अपनी पहचान बना चुके थे । कई लोगों ने इनके बारे में बहुत कुछ लिखा है । इन्टरनेट की चर्चित कवयित्री रश्मि प्रभा ने तो इनके पूरे व्यक्तित्व की पड़ताल ही कर डाली है ।[१९]</ref> इससे बड़ा तृतीय पक्ष का विश्वसनीय स्त्रोत और क्या होगा ? मेरी समझ से इस लेख को नहीं हटाया जाना चाहिए। Mala chaubey (वार्ता)
Mala chaubey (talk • contribs) has made few or no other edits outside this topic.--सिद्धार्थ घई (वार्ता) 13:23, 12 नवम्बर 2012 (UTC)
- यह आवश्यक नहीं है की विश्वसनीय स्रोत इन्टरनेट पर उपलब्ध हों। अखबार, पुस्तकें, शोध कार्य, पत्रिकाएँ भी विश्वसनीय स्रोतों में आती हैं, परन्तु इस लेख में ऐसे किसी भी स्रोत का उल्लेख नहीं है। बिना विश्वसनीय स्रोतों के यह नहीं माना जा सकता कि व्यक्ति उल्लेखनीय है। अतः यह लेख हटाया जाना चाहिए।--सिद्धार्थ घई (वार्ता) 13:23, 12 नवम्बर 2012 (UTC)
"मूल पाठ में तृतीय पक्ष के विश्वसनीय स्त्रोत से संबंधित 49 सन्दर्भ प्रस्तुत कर दिए गए हैं,शायद यह प्रयाप्त हो,कृपया अवलोकन कर लेवें ." Mala chaubey (वार्ता)
नामांकन के विरोध मे पुन: नई टिप्पणी अंग्रेज़ी विकिपीडिया पर श्री रवीन्द्र प्रभात पर पृष्ठ (http://en.wikipedia.org/wiki/Ravindra_Prabhat) मेरे द्वारा बनाया गया है । अङ्ग्रेज़ी विकिपेडिया से जुड़े माननीय संपादकों के द्वारा मेरे कार्य को केवल स्वीकार ही नहीं किया गया , बल्कि सराहना भी की गयी, जिसका लिंक इसप्रकार है - http://en.wikipedia.org/wiki/User_talk:Mala_chaubey
मेरी समझ से अंग्रेज़ी विकिपीडिया पर पृष्ठ की वैश्विक स्वीकृति के पश्चात अब श्री रवीन्द्र प्रभात की उल्लेखनीयता पर किसी को कोई संदेह नहीं होना चाहिए । --Mala chaubey (वार्ता) 15:47, 9 फ़रवरी 2013 (UTC)
I am also strongly reccommended for notability--Pandey.manoj118 (वार्ता) 14:37, 11 फ़रवरी 2013 (UTC)
- इस पृष्ठ का अन्तिम परिणाम क्या निकला? यहाँ अद्यतन होना चाहिए।☆★संजीव कुमार (बातें) 11:43, 4 अगस्त 2013 (UTC)
- संजीव जी,
अब इस विषय पर चर्चा का कोई मतलब नहीं रह गया है । पिछले दिनों कुछ ऐसे सदस्य सक्रिय थे जिनके द्वारा कुछ पृष्ठों का सुनियोजित ढंग से चयन किया जाता था फिर मुद्दा बनाकर लड़ाई लड़ी जाती थी, ताकि नए सदस्य हमेशा खौफजदा रहे, या फिर विकिपीडिया छोड़ कर चला जाए । जब मैंने इस पृष्ठ को बचाने का बीड़ा उठाया, तो कई सदस्यों के अहंकार टकराने लगे । हिन्दी में एक कहावत है न कि घर का जोगी जोगड़ा बाहर का सिद्ध । मुझे बहुत बुरा लगा, मैंने हिन्दी और अंग्रेजी के कई वरिष्ठ सदस्यों से इस संदर्भ में बात की कि क्या किया जा सकता है ? एक वरिष्ठ सदस्य ने सुझाव दिया कि जब रवीन्द्र प्रभात की वर्ल्ड ओथोरीटी कंट्रोल (वैश्विक लोकप्रियता) है तो हिन्दी क्या अंग्रेजी और अन्य भाषाओं के विकिपीडिया पर भी स्थापित किया जा सकता है । आज मुझे खुशी है कि इस पृष्ठ का अस्तित्व हिन्दी में ही नहीं 42 अन्य भाषाओं के विकिपीडिया पर भी है । Mala chaubey (वार्ता) 12:43, 5 अगस्त 2013 (UTC)
- वाह! मालाजी। आपने यह बहुत ही अच्छा कार्य किया। मैंने आपकी यह टिप्पणी आज ही देखी, अतः देरी के लिए क्षमा चाहता हूँ लेकिन फिर भी इसपर रखा का टैग लगवा लेना अच्छा रहेगा। मैं सिद्धार्थ जी को लिखता हूँ, वो अथवा बिल जी ये टैग लगा देंगे तो नियमानुसार यह ठीक रहेगा।☆★संजीव कुमार (✉✉) 08:53, 4 अक्टूबर 2013 (UTC)
- ऊपर की चर्चा इस पृष्ठ पर हुए विचार-विमर्श का पुरालेख है। कृपया इसमें किसी तरह का बदलाव न करें। अनुवर्ती टिप्णियाँ उपयुक्त वार्ता पृष्ठ पर करनी चाहिए (जैसे कि लेख का वार्ता पृष्ठ या पृष्ठ हटाने हेतु चर्चा का वार्ता पृष्ठ)। इस पृष्ठ पर किसी भी प्रकार का कोई संपादन नहीं होना चाहिए।