रोआनू चक्रवात
चक्रवाती तूफान (आईएमडी पैमाना) | |
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उष्णकटिबंधीय तूफान (SSHWS) | |
गठन | 17 मई 2016 |
व्यस्त | 23 मई 2016 |
(Remnant low after 22 मई) | |
उच्चतम हवाएं | 3-मिनट निरंतर : 85 किमी/घंटा (50 मील प्रति घंटा) 1-मिनट निरंतर : 100 किमी/घंटा (65 मील प्रति घंटा) |
सबसे कम दबाव | 983 hPa (mbar); 29.03 inHg |
मौत | 95 कुल, 132 लापता |
प्रभावित क्षेत्र | बांग्लादेश, म्यांमार, भारत, श्रीलंका |
रोआनू चक्रवात श्रीलंका और भारत से होते हुए 21 मई को दोपहर के समय बांग्लादेश में पहुँचा जिसके कारण बांग्लादेश के कई तटीय इलाकों में बाढ़ के हालात बन गए हैं तथा कई इलाकों में जमीनें धंस गयी हैं। विभिन्न समाचार पत्रों के अनुसार अब तक लगभग 24 लोगों के मारे जाने की ख़बर है तथा पाँच लाख लोगों को अपना घर बार छोड़ना पड़ा है। चक्रवात की वजह से पूरे बांग्लादेश में बिजली आपूर्ति बाधित है तथा कई बन्दरगाहों पर कार्य पर रोक लगा दी है। चक्रवात से श्रीलंका में लगभग ९२ तथा बांग्लादेश में २६ लोगों की जाने गयी। इनके अलावा भारतीय राज्यों तमिलनाडु ,उड़ीसा , केरल तथा आंध्रप्रदेश में भारी मूसलाधार बारिश हुई।
तैयारी और प्रभाव
श्रीलंका
श्रीलंका के मौसम विज्ञान विभाग ने इस चक्रवात हेतु 13 मई को ही चेतावनी जारी कर दी थी। इस तूफान के कारण आयी बाढ़ और भूस्खलन में 37 लोगों की मौत हो गई और 1,34,000 लोगों को उनके स्थान से सुरक्षित स्थान ले जाया गया। 21 मई तक मरने वालों की संख्या 71 तक पहुँच गया और 127 लोगों के लापता होने की सूचना भी मिली।
भारत
चेन्नई के कुछ भागों और तमिलनाडु में 24 घंटों के भीतर 93 मिमी से लेकर 116 मिमी तक बारिश हुई। चेन्नई के केलमबक्कम में 19 मई को 226 मिमी बारिश हुई।
चक्रवात के गोपालपुर से 280 किलोमीटर दूर पहुँचने के बाद से ही ओडिसा में धूल भरी आँधी चलने लगी थी। [१] सूचना के अनुसार पारादीप में 96 मिमी, पुरी में 85 मिमी, चन्दबाली में 63 मिमी, बालासोर में 52 मिमी, कटक में 31 मिमी और भुवनेश्वर में 29 मिमी वर्षा दर्ज किया गया। इस चक्रवात के प्रभाव के कारण ओडिशा में कई स्थानों में भारी वर्षा दर्ज की गई। ओडिशा सरकार ने राज्य के तटीय दक्षिणी और उत्तरी क्षेत्रों में कम से कम 12 जिलों में चेतावनी जारी की।[२] आन्ध्र प्रदेश और तेलंगाना में भी चेतावनी जारी की गयी।[३]
बांग्लादेश
यहाँ चक्रवात 21 मई को शनिवार के दिन दोपहर के समय 88 किलोमीटर की रफ्तार से आया था। इस चक्रवात के बांग्लादेश में पहुँचने से पहले ही बांग्लादेश की सरकार ने 5 लाख से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थान तक पहुँचा दिया था।[४] इसके आने के बाद पूरे देश में बिजली की सेवा पूरी तरह से ठप हो गई।[५][६] शाह अमानत अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की सभी उड़ानों को रद्द कर दिया गया। बांग्लादेश के अंतर्देशीय जल परिवहन प्राधिकरण ने जहाजों के आवाजाही पर रोक लगा दी।[७]
चक्रवात के बांग्लादेश में आने के बाद 7 जिलों के 24 लोगों की मौत हो गई।[८]
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
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