२००८ विधानसभा चुनाव
विधानसभा चुनाव २००८
जम्मू-कश्मीर में सात चरणों में चुनाव
चुनाव आयोग ने रविवार को जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव की घोषणा कर दी। वहां 17 नवंबर से 24 दिसंबर के बीच सात चरणों में वोट डाले जाएंगे। मतगणना 28 दिसम्बर को होगी। इस तरह राज्य की 87 सीटों के लिए चुनाव प्रकिया करीब सवा महीने तक चलेगी। चुनाव कार्यक्रमों की घोषणा करते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त एन. गोपालास्वामी ने यहां बताया कि बर्फ से घिरे लेह और कारगिल क्षेत्र में शुरुआती दो चरणों में मतदान होगा। राज्य के कुछ राजनीतिक दलों द्वारा चुनाव का अभी माकूल समय नहीं बताने के बावजूद चुनाव के सवाल पर उन्होंने कहा कि आयोग ने जोखिम उठाया है। चुनाव का विरोध पहले से कम हुआ है। गौरतलब है कि पीडीपी इस समय चुनाव के खिलाफ है और नेशनल कांफ्रेस भी शुरू में विरोध कर चुकी है। राज्य में चुनाव को लेकर चुनाव आयुक्तों के बीच मतभेदों की बात उन्होंने स्वीकारी और कहा कि सभी का अपना अलग नजरिया होता है और सभी पहलुओं पर विचार करना पड़ता है। समझा जाता है कि दोनों चुनाव आयुक्त तुरंत चुनाव के पक्ष में हैं, जबकि मुख्य चुनाव आयुक्त अलग राय रखते हैं। कम मतदान की आशंका पर उन्होंने कहा कि काफी कुछ राजनीतिक दलों पर निर्भर करता है। उन्होंने बताया कि चुनाव कराने के लिए राज्य की मशीनरी की मदद के लिए अन्य राज्यों के 3500 कर्मचारियों का दस्ता तैयार रहेगा। केंद्र ने भी निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव के लिए पर्याप्त सुरक्षा बलों की तैनाती का आश्वासन दिया है।
अलगाववादी करेंगे बायकाट
हुर्रियत कांफ्रेंस समेत कई अलगाववादी संगठनों ने जम्मू-कश्मीर में चुनाव को बेकार की कवायद बताते हुए इसका बायकाट करने का ऐलान किया है तो कांग्रेस व भाजपा ने इसका स्वागत किया है।
जोखिम का फंडा: मुख्य चुनाव आयुक्त ने चुनाव कराने के फैसले के पीछे का फंडा यूं समझाया। चुनाव पर जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक दलों की हां-ना का गणित था- पहले दो ना और एक हां-ना के बीच यानी पाजिटिव कैटेगरी थी। बाद में एक ना बदल गई हां में। इस तरह समीकरण एक हां, एक ना और एक हां-ना के बीच का हुआ और बस इसी गणित पर आयोग ने चुनाव कराने का जोखिम उठा लिया।
चुनाव कब-कब
17,23,30 नवम्बर
7, 13, 17, 24 दिसम्बर
करीब 65 लाख मतदाता, 87 विधानसभा क्षेत्र
चुनाव क्यों
अमरनाथ भूमि विवाद में राज्य की कांग्रेस सरकार से जब पीडीपी ने समर्थन वापस ले लिया तो अल्पमत में आने पर मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने इस्तीफा दे दिया। राजनीतिक अस्थिरता के बाद प्रदेश में राज्यपाल शासन लगा दिया गया। इसकी मियाद 10 जनवरी को पूरी हो रही है और इससे पहले सूबे में चुनी हुई सरकार जरूरी है।