हेस नियम

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हेस नियम (Hess's Law) उष्मा-रसायन का सबसे प्रमुख नियम है। इसे स्विस वैज्ञानिक जरमेन हेनरी हेस ने सन् १८४० में प्रतिपादित किया था। इस नियम के अनुसार,

किसी रासायनिक क्रिया में क्षेपित या शोषित उष्मा की मात्रा मध्यवर्ती क्रियाओं पर निर्भर नहीं रहती, अर्थात् एक ही क्रिया को यदि एक से अधिक विधियों द्वारा पूरा किया जा सके, प्रतिकारक तथा क्रियाफल प्रत्येक क्रिया में पूर्णतया एक हों और उन सबकी अवस्थाएँ भी समान हों, तो विभिन्न विधियों में जो कुल उष्मा-परिवर्तन होगा, वह हर एक विधि के लिए समान होगा।

उष्मा-रसायन में हेस के नियम की उपयोगिता

हेस का नियम उष्मा-रसायन में बहुत उपयोगी सिद्ध हुआ है। इसकी सहायता से प्रत्यक्ष रूप से न की जा सकने वाली अभिक्रियाओं में होनेवाले उष्मा-परिवर्तनों को भी परोक्ष रूप से निकाला जा सकता है। उदाहरण के लिए; साधारणत: कार्बनिक यौगिकों की उत्पादन-उष्मा प्रत्यक्ष क्रिया द्वारा नहीं निकाली जा सकती, परंतु कार्बनिक यौगिक तथा इसके अवयव तत्वों की दहन-उष्मा को निर्धारित करके यौगिक की उत्पादन-उष्मा हेस के नियम से निकाल सकते हैं

उदाहरण

1) Given:

  • B2O3 (s) + 3H2O (g) → 3O2 (g) + B2H6 (g) (ΔH = 2035 kJ/mol)
  • H2O (l) → H2O (g) (ΔH = 44 kJ/mol)
  • H2 (g) + (1/2)O2 (g) → H2O (l) (ΔH = -286 kJ/mol)
  • 2B (s) + 3H2 (g) → B2H6 (g) (ΔH = 36 kJ/mol)

Find the ΔHf of:

  • 2B (s) + (3/2) O2 (g) → B2O3 (s)

After the multiplication and reversing of the equations (and their enthalpy changes), the result is:

  • B2H6 (g) + 3O2 (g) → B2O3 (s) + 3H2O (g) (ΔH = -2035 kJ/mol)
  • 3H2O (g) → 3H2O (l) (ΔH = -132 kJ/mol)
  • 3H2O (l) → 3H2 (g) + (3/2) O2 (g) (ΔH = 858 kJ/mol)
  • 2B (s) + 3H2 (g) → B2H6 (g) (ΔH = 36 kJ/mol)

Adding these equations and canceling out the common terms on both sides, we get

  • 2B (s) + (3/2) O2 (g) → B2O3 (s) (ΔH = -1273 kJ/mol)

2) a) Cgraphite+O2 → CO2 (g) ;(ΔH = -393.5 kJ) (direct step)

b) Cgraphite+1/2 O2 → CO (g) ; (ΔH = -110.5 kJ)
c) CO (g)+1/2 O2 → CO2 (g); (ΔH = - 283.02 kJ)

→In the reactions b) and c), the total ΔH = -393.5 kJ which is equal to ΔH in a)

The difference in the value of ΔH is 0.02 kJ which is due to measurement errors .

इन्हें भी देखें