हृदय प्रत्यारोपण

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
(हृदयप्रत्यारोपण से अनुप्रेषित)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.
दाता के दिल का स्थान दिखाते हुए एक फोटो ओर्थोतोपिक प्रक्रिया में सूचना रोगी के बाईं अत्रियम और महान वाहिकाओं को वापस कैसे जगह में छोड़ दिया जाता है).

दिल प्रत्यारोपण, या हृदय प्रत्यारोपण एक शल्य प्रतिक्रिया है जिसे ऐसे मरीज पर किया जाता है जो कि हृदय विफलता की अंतिम अवस्था पर हो, या जिसे गंभीर कोरोनरी धमनी की बीमारी हो. इसका सबसे सामान्य तरीका एक काम करते हुए दिल एक तुरंत मरे हुए इंसान के सरीर से निकाल लेते है जो अपना दिल दान करना चाहता था और उसे मरीज के शरीर में लगा देते है इस परक्रिया में मरीज का दिल सामान्य प्रक्रिया में निकाल दिया जाता है या दाता के समर्थन के लिए छोड़ दिया जाता है इस हम हेतेरोतोपिक प्रक्रिया कहते है मानव की इस जटिल बीमारी को दूर करने का सबसे विवादास्पद समाधान है. आपरेशन के बाद जीवित रहने की अवधि अब औसतन 15 साल है .[१]

विश्व का पहला मानव हृदय प्रत्यारोपण 3 दिसम्बर 1967 में दक्षिण अफ्रीका के केप टाउन शहर में क्रिस्टियन बर्नार्ड के द्वारा किया गया था. पूरी दुनिया में हर साल 3500 ह्रदय प्रत्यारोपण होता है और करीब 800000 लोग है जो दिल के चथुर्त श्रेणी के दोष से पीड़ित है और उन्हें नए अंग की जरुरत है. ये असमानता हमे १९९३ से गैर मानव ह्रदय के उपयोग के लिए अनुसन्धान करने में काफी प्रेरित किया है. अब ये संभव है की हम किसी दुसरे प्रजाति का दिल या आदमी के द्वारा बनाया गया कृतिम ह्रदय दिल के मरीज को लगा सकते है भले ही इसका प्रदर्शन अल्लोग्रफ्त की तुलना में कम सफल है. इंजीनियर भी चाहते है की अगले 15 सालो में इन निर्मित समस्याओ को दूर कर लिया जाये.

प्रतिवाद

कुछ रोगी ह्रदय परिवर्तन के लिए कम उपयोगी होते है खासकर जो इंसान दिल के कुछ असंबधिद रोग से ग्रसित रहते है. ये कुछ बीमारी है जो रोगी में होने के कारण ऑपरेशन के बाद जटिलताओं को बढा देता है.

  • गुर्दे, फेफड़े, या जिगर की बीमारी
  • इंसुलिन पर निर्भर मधुमेह की बीमारी के अलावा अन्य बीमारी.
  • जीवन के लिए खतरा पैदा करने वाली दिल से असंबंधित बीमारी
  • पैर की धमनिया, गर्दन और रक्त सम्बंधित बीमारी .
  • रक्त सम्बंधित फेफड़े की बीमारी.
  • थ्रोम्बोएम्बोलिस्म.
  • ६० से अधिक उम्र (केंद्रों के बीच कुछ भिन्नता)
  • शराब, तंबाकू या नशीली दवाओं के दुरुपयोग

प्रक्रियाएं

शल्यक्रिया पूर्व

एक ठेठ हृदय प्रत्यारोपण चालू होता है एक उपयुक्त दाता के साथ जो हाल ही में मृत या जिसका दिमाग मृत घोषित किया गया हो उसका दिल मिलने से. प्रत्यारोपण के समन्वयक मरीज अस्पताल के नर्स से मिलता है जो उसे अस्पताल आने को बोलती है ताकि उसका मूल्यांकन कर सके और शल्य के पहले दवा दे सके. इसी समय, दाता के सरीर से दिल निकाल लिया जाता है और सर्जनों की एक टीम उसका निरिक्षण करती है ये देखने के लिए की ये प्रतिरोपित करने के लिए सही स्थिति में है या नहीं. कभी कभी यह अनुपयुक्त माना जाता है . कभी कभी ये भावनात्मक रूप से अस्थिर मरीज के लिए बहुत ही चिंताजनक अनुभव होता है और उन्हें घर जाने से पहले भावनात्मक समर्थन की आवश्यकता होती है मरीज भी बहुत सारे भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक, शारीरिक परीक्षणों से गुजरता है ये यकीन करने के लिए की वो सब अच्छे मानसिक स्वास्थ्य में है और वो अपने दिल का अच्छा इस्तेमाल करेगा. मरीज को प्रतिरक्षादमन दवाई भी दी जाती है ताकि उसका प्रतिरक्षा प्रणाली उसके नए दिल को अस्वीकार न करे.

शल्यक्रियात्मक

देशी फेफड़े और महान कोशिकावो के साथ एक प्रतिरोपित दिल की योजनाबद्ध प्रत्यारोपण .

एक बार दाता के दिल का निरिक्षण पारित किया जाता है वैसे ही मरीज को ऑपरेटिंग कमरे में ले जाया जाता है और उसे चेत्नासुन्य करने वाली दवाई दी जाती है. उसे ओर्थोटोपिक या फिर हेतेरोतोपिक प्रक्रिया में लिया जाता है दाता और मरीज की हालत को देख कर.

ओर्थोटोपिक प्रक्रिया

ओर्थोटोपिक प्रक्रिया सर्जन के उरोस्थि छेदन मध्यम से मध्यस्थानिका को बेनकाब करता है. पैरीकार्डियम खुलता है और महान वाहिकाओं को कटा जाता है और मरीज को कार्डियोपल्मोनरी बाईपास के लिए संलग्न किया जाता है. असफल दिल को ट्रांज़ेक्शन कर के निकला जाता है फुफ्फुसीय शिरा को काटा नहीं जाता है बल्कि एक परिपत्र भाग की नसों में छोड़ दिया जाता है. दाता के दिल को त्रिमेद किया जाता है ताकि वो मरीज के बाये अलिंद और महान वाहिकाओं में फिट हो जाये. जब नया दिल चालू होता है तब मरीज को कार्डियोपल्मोनरी बाईपास से छुड़ाया जाता है और सिने को बंद किया जाता है.

हेत्रोतोपिक प्रक्रिया

हेत्रोतोपिक प्रक्रिया में मरीज का दिल तब तक नहीं हटाया जाता जब तक दाता का दिल उसे प्रत्यारोपित नहीं कर दिया जाता. नए दिल की इस्थिति ऐसी होती है ताकि दिल की कोठरिया और दोनों के दिलों की रक्त वाहिकाओं को जोड़ा जा सके ताकि एक प्रभावी जोड़ा दिल बन सके. ये प्रक्रिया मरीज के दिल को एक मौका देता है ठीक होने का और अगर दाता का दिल फ़ैल हो जाता है अस्वीकृति के कारण तो उसे निकाल दिया जाता है मरीज के दिल को काम करने का मौका दे के.हेत्रितोपिक प्रक्रिया केवल तभी किया जाता है जब दाता का दिल इतना मजबूत नहीं होता को वो खुद काम कर सके (सायद मरीज का सरीर दाता के सरीर से बड़ा होता है या दाता का दिल कमजोर होता है या फिर मरीज फुफ्फुसीय उच्च रक्तचाप से पीड़ित होता है.

पोस्ट ऑपरेटिव

मरीज को आईसीयू में ले लिया जाता है ठीक करने के लिए. जन वो जाग जाते है तब उन्हें विशेष इकाई में स्थानांतरितकर दिया जाता है मरीज कब तक अस्पताल में रहेगा ये उसके सामान्य स्वास्थ्य पर निर्भर करता है और उसका नया दिल कैसे काम कर रहा है और उनके अपने नए दिल की देखभाल करने की क्षमता निर्भर करता है. डॉक्टर हमेशा पसंद करते है की मरीज अस्पताल से तुरंत चला जाये ऑपरेशन के बाद ताकि कोई संक्रमण न हो (किसी भी जटिलताओं के बिना 2 सप्ताह में) एक बार मरीज को अस्पताल से छुट्टी मिलती है तब उसे बार-बार अस्पताल आना पड़ता है रेगुलर इलाज के लिए. उन्हें भी भावनात्मक समर्थन की आवश्यकता हो सकती है. अस्पताल में यात्राओं की संख्या को कम कर दिया जाता है मरीज के प्रत्यारोपण के साथ आराम मिलने के बाद. रोगी को जिंदगीभर प्रतिरक्षादमनकारी दवाई में रहना होता है ताकि उसका दिल अस्वीकार न हो जाये. चूंकि वैगस तंत्रिका ऑपरेशन के दौरान टूट जाता है इसलिए नया दिल लगभग १००बार धड़कता है एक मिनट में जब तक तंत्रिका जुड़ न जाये.

'जीवित ' अंग प्रत्यारोपण

डॉक्टरों ने फ़रवरी २००६ में जर्मनी में इतिहास बनाया है एक धडकते दिल को प्रत्यारोपित कर के. सामान्य रूप से एक दाता के दिल में पोटेशियम क्लोराइड इंजेक्शन लगाया जाता है ताकि उसके दिल की धड़कन रुक जाये उसे दाता के सरीर से निकलने से पहले ताकि बर्फ में पाक कर के सही से रख सके. बर्फ आमतौर पर दिल को चार से छह घंटे तक ताज़ा रख सकता है वो भी दिल के सुरुवात हालत के हिसाब से. दिल को ठंडा करने के बजाय, एक नया तरीका निकला गया है जो एक मशीन है जिसमे दिल को सरीर के तापमान के हिसाब से रखा जाता है और वो धडकता रहता है और उसमे गरम खून बहता रहता है. यह बहुत पारंपरिक विधि से अधिक समय के लिए एक उपयुक्त स्थिति में दिल को ताज़ा बनाए रख सकते हैं.

जटिलताएं

बाद के शल्योपचारक जटिलताओं संक्रमण, पूतिता, अंग अस्वीकृति, साथ ही पक्ष इम्मुनोसुप्रेस्सिवे दवा के प्रभाव में शामिल हैं. चूंकि प्रतिरोपित दिल एक जीव से उत्पन्न होता है, इसलिए प्राप्तकर्ता के प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए इसे अस्वीकार करने का प्रयास हो सकता है. इम्मुनोसुप्रेस्सिवे दवा जोखिम को कम कर देता है पर कुछ संक्रमण के प्रभाव हो सकते है.

पूर्वानुमान

ह्रदय प्रत्यारोपण प्रक्रिया रोग के निदान के लिए ओर्थोतोपिक प्रक्रिया का तरीका बढ़ रहा है पिछले २० साल से और जून ५,२००९ से जीवित रहने का रेट ऐसा है-

  • 1: वर्ष 88% (पुरुष), 77,2% (महिलाओं)
  • 3: 79,3% (पुरुष) वर्ष, 77.2% (महिलाओं)
  • 5: 73,1% (पुरुष) वर्ष, 67.4% (महिलाओं)

नवम्बर २००८ को एक अध्ययन किया गया डॉ॰एरिक वेइस के द्वारा जो जॉन्स स्कूल ऑफ मेडिसिन हॉपकिन्स विश्वविद्यालय से है वो भी अमेरिका सरकार के लिए जिसमे ये पाया गया की दिल प्रत्यारोपण ज्यादा अच्छा काम करता है जब वो सामान लिंग में किया जाता है. हालांकि, दाता की कमी के कारण ये संभव नहीं है.

अगस्त २००९ को ये जाना गया की टोनी हेस्मन वो मरीज था जो ह्रदय परिवर्तन करवाने के बाद ३१ साल तक जीवित था जो आज तक सब से ज्यादा है. हेस्मन को दिल १९७८ में मिला था वो भी २० साल की उम्र में जब उसका दिल प्नयूमोनिया के कारण कमजोर हो गया था. वो कैंसर के कारण अगस्त १०,२०१० को मर गया. ऑपरेशन स्तान्फोर्ड उनिवेरसिटी में हुआ था डॉ॰नोर्मन शुम्वय के अंडर जो अभी कर अपना काम कर रहे है ख़राब रिजल्ट के कारण . एक और नोट हृदय प्रत्यारोपण प्राप्तकर्ता, केली पर्किन्स, दुनिया के चारों ओर पहाड़ों पर चढ़ते अंग दान के प्रति जागरूकता को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे है.. पर्किन्स पहली बार दिल का प्रत्यारोपण प्राप्तकर्ता को माउंट के चोटियों चढ़ाई करने के लिए जाना जाता है.उसने मत.फूजी, मत.किलिमंजारो और बहुत सारे पहाड़ो में चढाई की है वो भी ह्रदय प्रत्यारोपण के १२ साल बाद. द्विघ्त क्रोएनिंग एक और दिल प्राप्तकर्ता है जो अंग दान के लिए सकारात्मक जागरूकता को बढ़ावा देने है. बीस साल के प्रत्यारोपण के बाद वो पहला आदमी है जिसने इरोंमन कम्पितिसन फिओना कुते दूसरा ऑस्ट्रलियन है जिसे १४ साल की उम्र मर ह्रदय प्रत्यारोपण कराया था. २४ साल की उम्र में अपने प्रत्यारोपण के बाद वो सबसे ज्यादा जिन्दा रहने वाली और बहुत ते पब्लिक काम करने वाली महिला है जो अंग दान को बढ़ावा देती है!

इन्हें भी देखें

  • जैविक पेसमेकर
  • क्सेनोग्रफिक

सन्दर्भ

साँचा:reflist

बाहरी कड़ियाँ

साँचा:Cardiac surgery साँचा:Organ transplantation