हीराकुद बाँध
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आधिकारिक नाम | ହୀରାକୁଦ ବନ୍ଧ (हीराकुद बन्ध) |
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स्थान | सम्बलपुर से 16.5 किमी |
निर्देशांक | साँचा:coord |
निर्माण आरम्भ | 1947 |
आरम्भ तिथि | 1957 |
निर्माण लागत | 1.01 billion Rs in 1953 |
बाँध एवं उत्प्लव मार्ग | |
प्रकार | Composite dam and reservoir |
घेराव | Mahanadi River |
~ऊँचाई | साँचा:convert |
लम्बाई | साँचा:convert (main section) साँचा:convert (entire dam) |
उत्प्लव मार्ग | 64 sluice-gates, 34 crest-gates |
उत्प्लव मार्ग क्षमता | साँचा:convert |
जलाशय | |
कुल क्षमता | साँचा:convert |
जलग्रह क्षेत्र | साँचा:convert |
पावर स्टेशन | |
टर्बाइन्स | Power House I (Burla): 2 x 49.5 MW, 3 x 37.5 MW, 2 x 32 MW Kaplan-type Power House II (Chiplima): 3 x 24 MW[१] |
स्थापित क्षमता | 347.5 MW[१] |
हीराकुद बाँध ओड़िशा में महानदी पर निर्मित एक बाँध है। यह सम्बलपुर से 15 किमी दूर है। 1957 में महानदी पर निर्मित यह बाँध संसार का सबसे बड़ा एवं लंबा बांध है। इसकी कुल लम्बाई 25.8 किमी० है। इस बाँध के पीछे विशाल जलाशय है जो एशिया का सबसे बड़ा कृत्रिम झील है।
यह परियोजना भारत में शुरू की गयी कुछ आरम्भिक परियोजनाओं में से एक है। बाईं ओर लामडूंगरी पहाड़ी से लेकर 4.8 किमी० दूर चंदीली पहाड़ी तक मुख्य बाँध है। इसके दोनों तरफ दो अवलोकन मीनार हैं, गाँधी मीनार व नेहरू मीनार। इसके जलाशय की तट रेखा 639 किमी० लम्बी है। इस बाँध को बनाने में इस्तेमाल हुए मृदा, कंक्रीट व अन्य सामग्री से कश्मीर से कन्याकुमारी तथा अमृतसर से डिब्रूगढ़ तक करीब आठ मीटर चौड़ी सड़क बनाई जा सकती थी। हीराकुण्ड की झील एशिया की सबसे बड़ी मानवनिर्मित झील है। इस बांध की लंबाई 4801मीटर है जिसमे 810 करोड़ घन मीटर जल संचित होता है। इसका उद्देश्य बाढ़ नियंत्रण एवं विद्युत उत्पादन करना है।
यह बांध विश्व का सबसे बड़ा एवं लंबा बांध है। हीराकुंड परियोजना पर हीराकुंड के अलावा दो और बांध उपस्थिति हैं।
1- टिक्करपाड़ा बांध 2- नाराज बांध