हिन्दी की सौ श्रेष्ठ पुस्तकें
चित्र:|350px|हिन्दी की सौ श्रेष्ठ पुस्तकें जयप्रकाश भारती की रचना है। इसमें सौ श्रेष्ठ हिन्दी पुस्तकों का प्रत्येक के लिये तीन-चार पृष्ठों में सकारात्मक परिचय दिया गया है। किताब में विवेचित अधिकतर पुस्तकें पुरस्कृत हैं और अपने विषय और प्रस्तुति में अनूठी हैं। इसमें स्वाधीनता से पहले की चौबीस और बाद की चौहत्तर पुस्तकों की चर्चा है। इस पुस्तक में हिन्दी के बाइस काव्यों और पच्चीस उपन्यासों पर चर्चा है। पुस्तक में रचनाओं का परिचय देते हुए लेखक की शब्द-संपदा, शैली और भाषा प्रवाह की झलक के लिए जहां-तहां उनकी कुछ पंक्तियां उद्धृत की हैं। हर पुस्तक का प्रथम प्रकाशन-वर्ष भी दिया है और पुस्तक को प्राप्त प्रमुख पुरस्कार-सम्मान का उल्लेख भी है। कृति-विशेष का परिचय देने के बाद लेखक की कुछ अन्य पुस्तकों का उल्लेख भी अंत में किया गया है।[१]
परिचय
यह पुस्तक बताती है कि केवल कविता, कहानी, उपन्यास और नाटक से ही साहित्य नहीं बनता। उसमें विज्ञान, दर्शन, संस्मरण, आत्मकथा, जीवनी, प्रौद्योगिकी, इतिहास तथा अन्य विषयों पर हिन्दी में पुस्तकों का समृद्ध भंडार उपलब्ध है। पुस्तकों के विषय तथा उनके लेखक सहित तथा पुस्तकों की सूची नीचे दी गयी है-
- पत्रकारिता - बालमुकुन्द गुप्त -- शिवशम्भू के चिट्ठे
- भारतीय संस्कृति - दिनकर -- संस्कृति के चार अध्याय
- आत्मकथा -- डॉ राजेन्द्र प्रसाद -- ‘आत्मकथा’
- हरिवंशराय बच्चन -- ‘दशद्वार से सोपान तक’ (चार खंड)
- लोकगीत -- देवेन्द्र सत्यार्थी -- ‘बेला फूले आधी रात’
- इतिहास -- मन्मथनाथ गुप्त -- ‘भारतीय क्रन्तिकारी आन्दोलन का इतिहास’
- 'अनमोल विरासत'
- रिपोर्ताज -- रामशरण जोशी -- ‘आदमी, बैल और सपने’
- गम्भीर अध्ययन -- राजेन्द्र अवस्थी -- ‘काल-चिंतन’
- वासुदेवशरण अग्रवाल -- ‘पाणिनीकालीन भारतवर्ष’
- रामविलास शर्मा -- ‘प्राचीन भाषा परिवार और हिंदी’
- कहानी संग्रह -- राहुल सांकृत्यायन -- वोल्गा से गंगा
- राजेन्द्र यादव -- ‘यहां तक’(दो भाग)
इस पुस्तक में विवेचित करीब आधी किताबें प्रचलित विधाओं से अलग हैं और हिन्दी में लेखन की व्यापक परिधि को दर्शाती हैं। ऐसी कुछ पुस्तके हैं-
- रामकथा : उत्पत्ति और विकास’,
- ‘आज भी खरे हैं तालाब’,
- ‘मन के रोग’,
- ‘संसार के महान गणितज्ञ’,
- ‘संसार के अनोखे पुल’,
- ‘शिकार’, सागर विज्ञान’,
- ‘भारतीय पक्षी’,
- ‘धर्म और साम्प्रदायिकता’,
- ‘ऐतिहासिक स्थानावली’,
- ‘अच्छी हिन्दी’
- कामताप्रसाद गुरु की ‘हिन्दी व्याकरण’(1920 ई., 590 पृष्ठ)
- फादर कामिल बुल्के की आठ सौ पृष्ठ का ग्रन्थ ‘रामकथा : उत्पत्ति और विकास’
- उपन्यास -- ‘परीक्षा गुरु’
- ‘गोदान’,
- ‘आपका बंटी’
- ‘इदन्नमम’
- ‘त्यागपत्र’
- ‘मैला आंचल’
- ‘कुरु-कुरु स्वाहा’
- काव्य : ‘सूरसागर’, ‘रामचरितमानस’, ‘पद्मावत’, ‘प्रिय-प्रवास’, ‘साकेत’, ‘कामायनी’, ‘चिदम्बरा’, ‘परिमल’, ‘यामा’, ‘हंसो-हंसो जल्दी हंसो’
- विश्वकोश -- ‘हिन्दी विश्वकोश’ (बारह खंड)