हिना
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हिना | |
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लॉसोनिया इनर्मिस | |
Scientific classification | |
Binomial name | |
लॉसोनिया इनर्मिस |
हिना या हीना (अरबी:حــنــا, pronounced /ħinnaːʔ/ )एक पुष्पीय पौधा होता है जिसका वैज्ञानिक नाम लॉसोनिया इनर्मिस है। इसे त्वचा, बाल, नाखून, चमड़ा और ऊन रंगने के काम में प्रयोग किया जाटा है। इससे ही मेहंदी भी लगायी जाती है।[१][२]
मेंहदी (henna) का वानस्पतिक नाम 'लॉसोनिया इनर्मिस' (lawsonia inermis) है और यह लिथेसिई (lythraceae) कुल का काँटेदार पौधा है। यह उत्तरी अफ्रीका, अरब देश, भारत तथा पूर्वी द्वीप समूह में पाया जाता है। अधिकतर घरों के सामने की बाटिका अथवा बागों में इसकी बाड़ लगाई जाती है जिसकी ऊँचाई आठ दस फुट तक हो जाती है और यह झाड़ी का रूप धारण कर लेती है। कभी कभी जंगली रूप से यह ताल तलैयों के किनारे भी उग आती है। टहनियों को काटकर भूमि में गाड़ देने से ही नए पौधे लग जाते हैं। इसके छोटे सफेद अथवा हलके पीले रंग के फूल गुच्छों में निकलते हैं, जो वातावरण को, विशेषत: रात्रि में अपनी भीनी महक से सुगंधित करते हैं। फूलों को सुखाकर सुगंधित तेल भी निकाला जाता है। इसकी छोटी चिकनी पत्तियों को पीसकर एक प्रकार का लेप बनाते हैं, जिसे स्त्रियाँ नाखून, हाथ, पैर तथा उँगलियों पर श्रृंगार हेतु कई अभिकल्पों में रचाती हैं। लेप को लगाने के कुछ घंटों के बाद धो देने पर लगाया हुआ स्थान लाल, या नारंगी रंग में रंग जाता है जो तीन चार सप्ताह तक नहीं छूटता। पत्तियों को पीसकर भी रख लिया जाता है, जिसे गरम पानी में मिलाकर रंग देने वाला लेप तैयार किया जा सकता है। इसपौधे की छाल तथा पत्तियाँ दवा में प्रयुक्त होती हैं।[३][४][५][६]
चित्र दीर्घा
सन्दर्भ
- ↑ साँचा:cite DNB Linnaeus dedicated the genus Lawsonia to Isaac Lawson (d. 1747).
- ↑ साँचा:citation
- ↑ साँचा:cite book
- ↑ साँचा:cite book
- ↑ साँचा:cite encyclopedia
- ↑ साँचा:cite book