हान राजवंश
हान राजवंश (चीनी: 漢朝, हान चाओ; अंग्रेज़ी: Han Dynasty) प्राचीन चीन का एक राजवंश था जिसने चीन में २०६ ईसापूर्व से २२० ईसवी तक राज किया। हान राजवंश अपने से पहले आने वाले चिन राजवंश (राजकाल २२१-२०७ ईसापूर्व) को सत्ता से बेदख़ल करके चीन के सिंहासन पर विराजमान हुआ और उसके शासनकाल के बाद तीन राजशाहियों (२२०-२८० ईसवी) का दौर आया। हान राजवंश की नीव लिऊ बांग नाम के विद्रोही नेता ने रखी थी, जिसका मृत्यु के बाद औपचारिक नाम बदलकर सम्राट गाओज़ू रखा गया। हान काल के बीच में, ९ ईसवी से २३ ईसवी तक, शीन राजवंश ने सत्ता हथिया ली थी, लेकिन उसके बाद हान वंश फिर से सत्ता पकड़ने में सफल रहा। शीन राजवंश से पहले के हान काल को पश्चिमी हान राजवंश कहा जाता है और इसके बाद के हान काल को पूर्वी हान राजवंश कहा जाता है।
४०० से अधिक वर्षों का हान काल चीनी सभ्यता का सुनहरा दौर माना जाता है। आज तक भी चीनी नसल अपने आप को 'हान के लोग' या 'हान के बेटे' बुलाती है और हान चीनी के नाम से जानी जाती है। इसी तरह चीनी लिपि के भावचित्रों को 'हानज़ी' (यानि 'हान के भावचित्र') बुलाया जाता है।[१]
केन्द्रीकरण
हान राजवंश की शुरुआत में साम्राज्य को दो हिस्सों में बांटा गया: केन्द्रीय-शासित क्षेत्र और स्वशासित रियासतें। इन स्वशासित प्रदेशों के अपने राजकुंवर हुआ करते थे। आगे चलकर साम्राज्य ने स्वयं को संगठित करने की कोशिश करी तो इनमें से कुछ रियासतों ने विद्रोह कर दिया जो चीनी इतिहास में 'सात राज्यों का विद्रोह' के नाम से प्रसिद्ध है। इसे कुचलकर हान साम्राज्य एक संगठित राज्य बनाने में कामयाब रहा।
शिन्योंगनु के साथ झड़पें और मध्य एशिया में विस्तार
हान साम्राज्य के उत्तर में पूर्वी यूरेशियाई स्तेपी में एक शियोंगनु नामक ख़ानाबदोश जाति रहती थी जो समय-समय पर हान क्षेत्रों पर हमला करते थे। २०० ईसापूर्व में उनके नेता मोदू चानयू ने हान सेना को मात दे दी। हान साम्राज्य उनसे समझौता करने पर मजबूर हो गया जिसमें १९८ ईपू में एक हान चीनी राजकुमारी दुल्हन बनकर शियोंगनु सरदार से ब्याही गई। चीनी इतिहासग्रंथ महान इतिहासकार के अभिलेख में उसके लेखक सीमा चियान ने लिखा कि हान का सोचना था कि समय के साथ उस राजकुमारी का पुत्र शियोंगनु साम्राज्य का राजा बनेगा और वह चीनी सम्राट को अपना नाना मानेगा। उसने कहा कि 'भला कभी कोई बच्चा अपने नाना पर हमला करता है क्या?' लेकिन ऐसा नहीं हुआ और ऐसे विवाहों के बावजूद हाथापाई जारी रही जिसमें कभी हान चीनियों का पलड़ा भारी होता था और कभी शियोंगनु लोगों का।[२] धीरे-धीरे हान साम्राज्य मध्य एशिया में फैला और तारिम द्रोणी तक पहुँच गया, जिस क्षेत्र में आगे चलकर यूरोप और एशिया के बीच का प्रसिद्ध रेशम मार्ग व्यापार के लिए स्थापित हुआ।
राजकाल
हान राजवंश का काल चीन के लिए एक तरक्क़ी और विकास का दौर था। झोऊ राजवंश ने जो सिक्कों पर आधारित मुद्रा व्यवस्था चलाई थी उसे बढ़ाया गया और ११९ ईसवी में एक टकसाल चलाई गई। इस में गढ़े सिक्के चीन में तंग राजवंश (६१८-९०७ ईसवी) के ज़माने तक चलते थे। अपने फ़ौजी अभियानों और नए क़ब्ज़ा करे गए क्षेत्रों को संगठित करने के लिए सरकार ने नमक और लोहे के निजी कारोबारों को ज़ब्त कर लिया और राजकीय संपत्ति बना लिया। आगे चलकर इनका वापस निजीकरण कर दिया गया लेकिन इनके मालिकों पर भारी कर लगाया गया।
हान साम्राज्य में सम्राट सब से ऊपर होता था, लेकिन अपने मंत्रिमंडल को भी वह काफ़ी शक्तियाँ देता था। यह मंत्री शाही परिवारों से और पढ़े-लिखे लोगों से चुने जाते थे। सरकार धर्म के क्षेत्र में कुन्फ़्यूशियसी धर्म को बढ़ावा देती थी। इस दौर में चीन में विज्ञान का बहुत विकास हुआ। काग़ज़ बनाए की तकनीकों में, खगोलशास्त्र में, नाव के पतवार (रडर) बनाने में, गणित में, भौगोलिक नक़्शे बनाने में और अन्य क्षेत्रों में बहुत सी नयी चीज़ें विकसित हुई।
पश्चिमी हान
हान राजवंश के प्रारंभिक काल को पश्चिमी हान कहते है| इस काल में हान सम्राटो ने चीन की सीमओं को दूर दूर तक फैलाया था, मध्य एशिया और कोरिया के कई हिस्सों को चीन के अधीन ला दिया गया था। हान सम्राटो ने कर की दरे कम की और रोम, भारत, तिब्बत आदि देशो से व्यापर शुरू किया| शिन राजवंश की स्थापना के बाद पश्चिमी हान काल का अंत हुआ|
पूर्वी हान
शिन राजवंश के छोटे से से शासन काल के बाद हान सम्राटो ने दुबारा अपनी शक्ति बदानी शुरू कर दी और इस काल का नाम पूर्वी हान काल पडा| इस काल में कोरिया आदि कुछ प्रान्त स्वतंत्र हो गए, धीरे धीरे हान राज्य के कई सामंतो ने विद्रोह शुरू कर दिया और पूर्वी हान सम्राटो के अंत के साथ ही हान राजवंश का अंत हुआ|
राजवंश का अंत
सन् ९२ ईसवी के बाद राजमहल में मौजूद हिजड़े (जो चीनी दरबारों में बहुत हुआ करते थे) आपसी द्वेष और राजनैतिक दुश्मनियाँ भड़काने में अग्रसर हो गए। ताओ धर्म भी बढ़ रहा था और उसके अनुयायियों ने सम्राट के ख़िलाफ़ विद्रोह भड़काए। हिजड़ों से तंग आकर फ़ौजी नेताओं ने उन सब को सम्राट लिंग (१६८-१८९ ईसवी) की मृत्यु के बाद क़त्ल कर डाला। फिर सैनिक नेताओं और शाही परिवारों की शक्ति बिना किसी रुकावट के बढ़ने लगी। वे अपने-अपने इलाक़ों के सरदार और तानाशाह बन गए और उन्होने आपस में साम्राज्य को बाँट डाला। वेई राज्य के राजा, त्साओ पी (曹丕, Cao Pi), ने २२० ईसवी में सिंहासन पर क़ब्ज़ा कर लिया और उस समय के सम्राट शियान को हटा दिया। हान राजवंश ख़त्म हो गया और चीन में तीन राजशाहियों का काल आरम्भ हो गया।[३]
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ Gateway to Chinese Classical Literature स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।, Xiaoxiang Li, LiPing Yang, Asiapac Books Pte Ltd, 2005, ISBN 978-981-229-394-7, ... The Han dynasty was founded in 206 BC, and ushered in a Golden Age for the Chinese nation. Consisting of two periods — the Western Han (206 BC-AD 25) and the Eastern Han (AD 25-220) ...
- ↑ The Great Wall: The Extraordinary Story of China's Wonder of the World स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।, John Man, Da Capo Press, 2009, ISBN 978-0-306-81839-4, ... By 200 BC, therefore, the two rival empires confronted each other, Xiongnu v. Han China ... a Chinese princess being used to bind non-Chinese people into the Chinese sphere, the idea being that her son – in effect, the emperor's grandson – would in due course become king of her adoptive realm; and, as Sima Qian wrote, 'whoever heard of a grandson attacking his grandfather? ...
- ↑ The imperial order स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।, Robert G. Wesson, University of California Press, 1967, ... The great Han dynasty was in due course weakened by intrigues between families of empresses and the eunuch corps; the latter eventually succeeded in making the emperor a puppet, bringing about a palace revolution and the fall of the dynasty ...