हाइकु
(हाइकु संग्रह से अनुप्रेषित)
नेविगेशन पर जाएँ
खोज पर जाएँ
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.
हाइकु मूल रूप से जापानी कविता है। "हाइकु का जन्म जापानी संस्कृति की परम्परा, जापानी जनमानस और सौन्दर्य चेतना में हुआ और वहीं पला है। हाइकु में अनेक विचार-धाराएँ मिलती हैं- जैसे बौद्ध-धर्म (आदि रूप, उसका चीनी और जापानी परिवर्तित रूप, विशेष रूप से जेन सम्प्रदाय) चीनी दर्शन और प्राच्य-संस्कृति। यह भी कहा जा सकता है कि एक "हाइकु" में इन सब विचार-धाराओं की झाँकी मिल जाती है या "हाइकु" इन सबका दर्पण है।"[१] हाइकु को काव्य विधा के रूप में बाशो (१६४४-१६९४) ने प्रतिष्ठा प्रदान की। हाइकु मात्सुओ बाशो के हाथों संवरकर १७ वीं शताब्दी में जीवन के दर्शन से जुड़ कर जापानी कविता की युगधारा के रूप में प्रस्फुटित हुआ। आज हाइकु जापानी साहित्य की सीमाओं को लाँघकर विश्व साहित्य की निधि बन चुका है।
- हाइकु अनुभूति के चरम क्षण की कविता है।[२]
- बिंब समीपता (juxtaposition of the images) हाइकु संरचना का मूल लक्षण है। इस से पाठक को रचना के भाव में अपने आप को सहिकारी बनाने की जगह मिल जाती है।
- हाइकु कविता तीन पंक्तियों में लिखी जाती है। हिंदी हाइकु के लिए पहली पंक्ति में ५ अक्षर, दूसरी में ७ अक्षर और तीसरी पंक्ति में ५ अक्षर, इस प्रकार कुल १७ अक्षर की कविता है। हाइकु अनेक भाषाओं में लिखे जाते हैं; लेकिन वर्णों या पदों की गिनती का क्रम अलग-अलग होता है। तीन पंक्तियों का नियम सभी में अपनाया जाता है।
- ऋतुसूचक शब्द (कीगो)- एक अच्छे हाइकु में ऋतुसूचक शब्द आना चाहिए। लेकिन सदा ऐसा हो, यह जरूरी नही। हाइकु, प्रकृति तथा प्राणिमात्र के प्रति प्रेम का भाव मन में जगाता है। अत: मानव की अन्त: प्रकॄति भी इसका विषय हो सकती है।
- हिन्दी में हाइकु लिखने की दिशा में बहुत तेजी आई है। लगभग सभी पत्र-पत्रिकाएँ हाइकु कविताएँ प्रकाशित कर रही हैं। आकाशवाणी दिल्ली तथा दूरदर्शन द्वारा हाइकु कविताओं को कविगोष्ठियों के माध्यम से प्रसारित किया जा रहा है। लगभग ४०० (चार सौ) से अधिक हिन्दी हाइकु संकलन हिन्दी में प्रकाशित हो चुके हैं। हिंदी में संपूर्ण रूप से हाइकु पर आधारित एक अनियत कालीन पत्रिका हाइकु दर्पण[३] है।
- हाइकु कविता पर डॉ॰ करुणेश प्रकाश भट्ट ने लखनऊ विश्वविद्यालय से शोध कार्य किया है।[४]
सन्दर्भ
- ↑ धर्मयुग, १६ अक्टूबर १९६६
- ↑ जापानी कविताएँ, अनुवादक- डॉ॰सत्यभूषण वर्मा, सीमान्त पब्लिकेशंस इंडिया, १९७७, पृष्ठ-२२
- ↑ हाइकु दर्पण, प्रकाशक- हाइकु दर्पण, बी-12 ए / 58 ए, धवलगिरि, सेक्टर-34, नोएडा-201301
- ↑ हिन्दी तथा आधुनिक जापानी हाइकु का तुलनात्मक अध्ययन, डॉ॰ करुणेश प्रकाश भट्ट, संस्करण-प्रथम 2013, विकास प्रकाशन, 311 सी, विश्व बैंक बर्रा, कानपुर-208027, ISBN- 978-93-81317-58-7