हर्बट होप रिस्ली
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उपक्षेप
हर्बट होप रिस्ली का जन्म जनवरी ४, १८५१ मे हुआ। हर्बट होप रिस्ली एक अंग्रेज़ी नृवंशविज्ञानशास्त्री और औपनिवेशिक प्रशासक थे। वह १९०१ के जनगणना मे ब्रिटिश भारत के सारे हिन्दू अबादी को जाति व्यवस्था का औपचारिक आवेदन देने के लिये प्रसिद्ध हैं।
प्रारम्भिक जीवन
रिस्ली का जन्म इंग्लेंड के बकिंघमशायर मे १८५१ मे हुआ।उन्होंने बेंगाल सुबा के सारे हिन्दु जातियों और जनजातियों के उपर व्यापक अध्ययन किया था। भारतीय प्रशासनिक सेवा शामिल होने से पहेले उन्होनें न्यू कॉलेज, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय मे अपनी पडाई की। रिस्ली के पिता एक अधिशिक्षक थे और उनकी माँ जॉन होप, जो ग्वालियोर के बेंगाल मेडिकल सर्विस में काम करते थे उनकी बेटी थी। शुरू मे उनको बेंगाल के मिडनापुर मे सहायक मजिस्ट्रेट और सहायक जिला कलेक्टर बनकर प्रविष्टि मिली। उस जगह पर वन जनजातियाँ बसे हुए थे। रिस्ली ने इनके बारे मे पडना प्रारंभ किया और अपनी बाकी की ज़िंदगी मे ऐसे ही कयी जनजातियों के विज्ञान पर दिलचस्पी रखी।
रिस्ली और भारत
रिस्ली बेंगाल सरकार के सहायक सचिव बने और १८७९ मे उनको भारतीय सरकारके गृह विभाग के अवर सचिव नियुक्त किया। १७ जून १८७९ मे उनका विवाह एलसी जुली ओप्परमन से हुआ। शादी के बाद १८८० मे वापस जिला स्तर मे काम करने के लिये गोविन्दपुर आये।१८८५ मे 'बेंगाल के नृवंशविज्ञान सर्वेक्षण' नामक एक परियोजना संचालन करने के लिये वह चुने गये थे। इसके बाद रिस्ली का काम था पुलिस मे जांच को नेतृत्व करना, और उससे ज्यादा बेंगाल और शाही सरकार के प्रशासनिक कार्य। १८९९ मे उनको जनगणना आयुक्त नियुक्त किया था और आगामी १९०१ का दषवर्शीय जनगणना की तैयारी और समचार लेखन का काम सौंपा था। १९११ के जनगणना मे भी उस व्यावाम के लिये तैयार किये हुए विस्त्रत नियमों का इस्तमाल किय था। रिस्ली कहना था की मानवशास्त्रीय माप ने भारतीय जातियों को सात नस्लीय प्रकार मे से एक के रूप मे वर्णन करना मुमकिन किया था। भारत के लोगों के बारे मे रिस्ली ने घनिष्ट ज्ञान विकसित किया था। उनके काम ने मूल निवासी भारतीयों के ऐथ्नोलोजिकल जांच की राय पूरी तरह से बदल दिया था। फरवरी १९१० मे रिस्ली न्यायिक विभाग के स्थायी सचिव नियुक्त हुवे थे। ३० सितंबर १९११ मे विम्बलडन मे रिस्ली चल बसे।
हवाला
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