हरे कृष्ण (मंत्र)
नेविगेशन पर जाएँ
खोज पर जाएँ
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.
इस लेख में सन्दर्भ या स्रोत नहीं दिया गया है। कृपया विश्वसनीय सन्दर्भ या स्रोत जोड़कर इस लेख में सुधार करें। स्रोतहीन सामग्री ज्ञानकोश के उपयुक्त नहीं है। इसे हटाया जा सकता है। (जुलाई 2020) साँचा:find sources mainspace |
हरे कृष्ण मंत्र कलिसंतरण उपनिषद में वर्णित है , जिसके रचयिता रघुनंदन भट्टाचार्य। जो ११ वैदिक उपनिषद में से नहीं है।जिसे वैष्णव लोग 'महामन्त्र' कहते हैं। १५वीं शताब्दी में चैतन्य महाप्रभु के भक्ति आन्दोलन के समय यह मंत्र प्रसिद्ध हुआ।। यह अति पवित्र मंत्र है ।। क्योंकि इसमें भगवान के बहुत से नाम एक साथ आ जाते हैं हालांकि भगवान के मुख्य नाम राम, कृष्ण, शिव, नारायण , हरी भी सार्थक है कलियुग के लिए।।
यह मंत्र निम्नलिखित है-
- हरे कृष्ण हरे कृष्ण
- कृष्ण कृष्ण हरे हरे
- हरे राम हरे राम
- राम राम हरे हरे॥
गौड़ीय वैष्णव परम्परा एवं 'अन्तर्राष्ट्रीय श्रीकृष्ण भावनामृत संघ' के संस्थापकाचार्य श्रील प्रभुपाद जी महाराज ने इस 'हरे कृष्ण महामंत्र' को पूरे विश्व में प्रसिद्ध कर दिया। parbhu krishna