हरेश बुधरानी
हरेश किशिनचंद बुधरानी | |
जिब्राल्टर संसद के स्पीकर
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कार्यकाल 2004 – 2012 | |
जन्म | साँचा:birth date मुम्बई, महाराष्ट्र, भारत |
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राष्ट्रीयता | ब्रिटिश (जिब्राल्टेरियन) |
विद्या अर्जन | किंग्स कॉलेज, लंदन कॉलेज ऑफ़ लॉ |
व्यवसाय | बैरिस्टर व्यपारी राजनेता |
विभाग | हिन्दू मर्चेंट्स एसोसिएशन ऑफ़ जिब्राल्टर के अध्यक्ष जिब्राल्टर संसद के स्पीकर |
हरेश किशिनचंद बुधरानी (साँचा:lang-en), क्वींस काउंसेल, भारतीय मूल के जिब्राल्टेरियन बैरिस्टर हैं। इन्होंने अपनी शिक्षा इंग्लैंड के शैक्षणिक संस्थानो से प्राप्त करी थी तथा अगस्त 1975 में बैरिस्टर बन गए। यह 2004 तक हिन्दू मर्चेंट्स एसोसिएशन ऑफ़ जिब्राल्टर के अध्यक्ष रहे थे। यह जिब्राल्टर संसद में सितम्बर 2004 से अक्टूबर 2012 तक स्पीकर थे। इस पद पर रहते हुए इनके ऊपर व्यापार कर सम्बन्धी हेराफेरी का आरोप लगा था।
जीवनी
बुधरानी का जन्म भारत के महाराष्ट्र राज्य की राजधानी मुम्बई (जब बम्बई) में जून 1952 को हुआ था। इन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा डर्बीशायर में पूरी की तथा उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए सरी के गिल्डफोर्ड शहर में स्थित कॉलेज ऑफ़ लॉ (वर्तमान नाम: द युनिवर्सिटी ऑफ़ लॉ) में गए।
बुधरानी के अनुसार जिब्राल्टर की हिन्दू आबादी धीरे-धीरे मुख्य धरा में आई है तथा यह प्रक्रिया लगातार जारी है। इनकी 1973 में की गई टिप्पणी के अनुसार हिन्दू जिब्राल्टर के अन्य नृजातीय समूहों के बीच धीरे-धीरे अपनाए गए। उदाहरण के तौर पर नवम्बर 2012 में हिन्दुओ के सबसे बड़े त्योहार दीपावली के आयोजन के लिए जिब्राल्टर के महापौर ने हिन्दू समाज को जिब्राल्टर सिटी हॉल में आमंत्रित किया था।[१]
वर्ष 1974 में इन्होंने लंदन के किंग्स कॉलेज से कानून में स्नातक की डिग्री प्राप्त करी।[२] बुधरानी ने बाद में इन्स ऑफ़ कोर्ट स्कूल ऑफ़ लॉ में भाग लिया और अगस्त 1975 में बैरिस्टर बन गए।[३]
कैरियर
बुधरानी हिन्दू मर्चेंट्स एसोसिएशन ऑफ़ जिब्राल्टर (हिन्दी: जिब्राल्टर का हिन्दू व्यापारी संघ) के वर्ष 2004 तक अध्यक्ष रहे। बुधरानी ने अपना पद जिब्राल्टर हाउस ऑफ़ असेम्बली के स्पीकर का पद संभालने के लिए छोड़ा था। जिब्राल्टर सोशल डैमोक्रैट्स ने न्यायाधीश जॉन ई॰ अलकैंटेरा के हाउस ऑफ़ असेम्बली के स्पीकर पद पर से दिए त्यागपत्र के पश्चात बुधरानी को रिक्त पद के लिए नामांकित किया। इस नामांकन में विपक्ष ने अपनी स्वीकृति नहीं दी थी।[३] सितम्बर 2004 में बुधरानी ने जिब्राल्टर हाउस ऑफ़ असेम्बली (जो अब जिब्राल्टर संसद के नाम से जाना जाता है) में स्पीकर का पद संभाला। जिब्राल्टर में कोई इतना बड़ा पद सम्भालने वाले बुधरानी पहले भारतीय मूल के नागरिक थे।[४]
दिसम्बर 2011 में बुधरानी को मुख्यमंत्री फेबियन पिकार्डो (जिब्राल्टर सोशलिस्ट लेबर पार्टी के सदस्य) ने पुनर्नियुक्त किया।[५] अक्टूबर 2012 में यह स्पीकर के पद से सेवानिवृत्त हो गए थे।[६]
विवाद
मई 2012 में बुधरानी पर व्यापार कर सम्बन्धी हेराफेरी के आरोप के पश्चात जिब्राल्टर ट्रेज़री ने इनकी स्पीकर की तनख्वाह पर रोक लगा दी थी।[७] बुधरानी इन आरोपो का पूर्ण रूप से तो खंडन नहीं किया परन्तु कहा था कि स्थानीय मीडिया द्वारा दिखाए गए आंकड़े सही नहीं हैं तथा उनके ऊपर के ऋण की राशि इतनी अधिक नहीं है।[८] मीडिया द्वारा बताया गया ऋण 150,000 जिब्राल्टर पौंड से अधिक था।[७]