हंस गीता
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हंस गीता में श्रीकृष्ण के वे उपदेश हैं जो उन्होंने उद्धव को अपने अवतार तथा सांसारिक लीला की समाप्ति के ठीक पहले दिया था। इसे 'उद्धव गीता' भी कहते हैं। यद्यपि उद्धव गीता प्रायः एक अलग ग्रन्थ के रूप में प्रकाशित होती है, लेकिन यह भागवत पुराण के ग्यारहवें सर्ग में विद्यमान है जिसमें १००० से अधिक श्लोक हैं। हंस गीता, पुराण साहित्य का अंग मानी जाती है। हंस गीता में एक अवधूत की कहानी शामिल है जिन्हें वैष्णव लोग दत्तात्रेय मानते हैं।