स्वामी भक्तिसिद्धान्त सरस्वती
इस लेख में सन्दर्भ या स्रोत नहीं दिया गया है। कृपया विश्वसनीय सन्दर्भ या स्रोत जोड़कर इस लेख में सुधार करें। स्रोतहीन सामग्री ज्ञानकोश के उपयुक्त नहीं है। इसे हटाया जा सकता है। (सितंबर 2019) साँचा:find sources mainspace |
स्वामी भक्तिसिद्धान्त सरस्वती गोस्वामी प्रभुपाद (6 फ़रवरी 1874 – 1 जनवरी 1937) गौडीय वैष्णव सम्प्रदाय के प्रमुख गुरू एवं आध्यात्मिक प्रचारक थे।साँचा:ifsubst उन्हें 'भक्तिसिद्धान्त सरस्वती ठाकुर' भी कहते हैं। उनका मूल नाम विमल प्रसाद दत्त था। साँचा:ifsubst श्रीकृष्ण की भक्ति-उपासना के अनन्य प्रचारकों में स्वामी भक्तिसिद्धान्त सरस्वती गोस्वामी का नाम अग्रणी है।साँचा:ifsubst उन्हीं से प्रेरणा और आशीर्वाद प्राप्त कर स्वामी भक्तिवेदान्त प्रभुपाद ने पूरे संसार में श्रीकृष्ण भावनामृत संघ की शाखाएं स्थापित कर लाखों व्यक्तियों को हिन्दूधर्म तथा भगवान श्रीकृष्ण का अनन्य भक्त बनाने में सफलता प्राप्त की थी। साँचा:ifsubst
परिचय
स्वामी भक्तिसिद्धान्त का जन्म 20 जुलाई 1873 को चैतन्य महाप्रभु की शिष्य परम्परा के महान वैष्णव आचार्य भक्ति विनोद ठाकुर के पुत्र के रूप में जगन्नाथपुरी में हुआ था।साँचा:ifsubst गौड़ीय सम्प्रदाय के आचार्य पिताश्री से उन्हें बचपन में ही श्रीकृष्ण भक्ति का प्रसाद मिला था। श्रीमद्भगवद्गीता तथा चैतन्य महाप्रभु के पावन जीवन चरित्र ने उन्हें श्रीकृष्ण भक्ति के प्रचार-प्रसार की प्रेरणा दी।साँचा:ifsubst
भक्ति सिद्धान्त युवावस्था से ही अंग्रेजी तथा बंगला के प्रभावी वक्ता थे। युवा पीढ़ी विशेषकर उनके व्याख्यान सुनकर मंत्र-मुग्ध हो जाती थी। वे दक्षिणेश्वर मन्दिर जाकर प्राय: स्वामी रामकृष्ण परमहंस तथा स्वामी विवेकानन्द के सान्निध्य का लाभ उठाते थे।साँचा:ifsubst