स्वामी गोपाल दास

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स्वामी गोपाल दास (1822-1939) चूरु जिले के भैंरुसर गाँव में चौधरी बींजाराम कसवां के घर पैदा हुये। आपने चूरु में अनेक समाज सुधार के काम किये। यहाँ गायों के संरक्षण के कई काम किये। पर्यावरण सुधारने के लिये पेड़ लगाये और चारागाह विकास के काम जनभागीदारी से कराये। सन 1917-18 क भयंकर अकाल के समय इनकी समाज सेवा का दूसरा उदाहरण मिलना कठिन है। यहाँ के प्रसिद्ध कवि पंडित अमोलक चन्द ने ये पंक्तियां लिखी हैं:

"चूरु शहर में शोर भयो, जद जोर करयो पलेग महामारी।
लाश पड़ी घर के अन्दर ढक छोड़ चले बंद किवाड़ी।।
आवत है गोपाल अश्व चढ देखत जहाँ बीमार पड्यो है।
देत दवा वो दया करके नाथ, अनाथ को नाथ खड्यो है।।"
कबीर पाठशाला व पुत्री पाठशाला की स्थापना की !
26 जनवरी 1930 गोपालदास व चन्दनमल बहड ने चुरू के धर्मस्तुप (लालघंटाघर) पर तिरंगा फहराया!
ईन्होने "प्लेग" बीमारीयो का ईलाज भी कीया?
1932 के "बीकानेर षंडयंत्र केस" मे ईन्हे पकड़ कर जेल मे डाल दिया था! बीकानेर प्रजामंडल मे जनजागृति का श्रैय स्वामी जी को जाता है, ये एक महान नेतृत्व कर्ता थे