अभिवाह

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सदिश क्षेत्र F की क्षेत्र किरणें अभिलम्ब n वाली सतहों से गुज़रती हुई, n और F के बीच का कोण θ है। फ़्लक्स किसी सतह को भेदकर निकलने वाली क्षेत्र की मात्रा का माप होता है।

अभिवाह या फ्लक्स (flux) की अवधारणा का भौतिकीव्यावहारिक गणित में कई तरह से उपयोग होता है। मोटे तौर पर, किसी स्थान, सतह या अन्य पदार्थ को पार करने वाली किसी पदार्थ, क्षेत्र (फिल्ड) आदि की मात्रा को अभिवाह कहते हैं। विद्युतचुम्बकत्व में विद्युत अभिवाह और चुम्बकीय अभिवह बहुत महत्वपूर्ण और उपयोगी संकल्पनाएँ हैं।

किसी क्षेत्र <math>A</math> के प्रत्येक बिन्दु पर क्षेत्र का मान F (नियत) हो तो उस क्षेत्र A से निकलने वाला अभिवाह

<math>\Phi=\vec F\cdot\vec A</math>.

ध्यान रहे कि यह प्रवाह से सम्बन्धित लेकिन भिन्न होता है - फ्लक्स वह मात्रा है जो किसी सतह को भेद रही है और इसमें बहाव आवश्यक नहीं है (यानि परिवहन परिघटना के विपरीत कोई चुम्बकत्व जैसी स्थाई परिघटना भी हो सकती है), जबकि प्रवाह में किसी प्रकार के भौतिक बहाव का होना आवश्यक है।

अभिवाह की सामान्य गणितीय परिभाषा

गणितीय संकल्पना के रूप में, अभिवाह को किसी सदिश क्षेत्र के तल समाकलन (सरफेस इन्टीग्रल) के रूप में अभिव्यक्त किया जाता है। [१]

<math>\Phi_F=\iint_A\mathbf{F}\cdot\mathrm{d}\mathbf{A}</math>

जहाँ F कोई सदिश क्षेत्र है, और dA सदिश क्षेत्रफल है (तल A का कोई अति लघु भाग)। यहाँ दो सदिश राशियों का अदिश गुणनफल (डॉट प्रोडक्ट) का समाकलन किया गया है।

शब्दोत्पत्ति

"फ़्लक्स" मूल रूप से लातिनी भाषा का एक शब्द है और इसका अर्थ "प्रवाह" होता है, हालांकि आधुनिक विज्ञान में "फ़्लक्स" (flux) और प्रवाह (flow) के दो ज़रा भिन्न अर्थ हैं। शब्दशास्त्रियों का मानना है कि "फ़्लक्स" शब्द स्वनानुकरणात्मक प्रक्रिया से बहते जल की ध्वनी पर पड़ा था। संस्कृत और लातिनी दोनों हिन्द-यूरोपी भाषा-परिवार की बहन भाषाएँ हैं, इसलिए संस्कृत में भी इसका एक सजातीय शब्द है, "स्रुत"। यूनानी भाषा में भी इसका सजातीय "रोई" (ροή) शब्द मौजूद है।[२]

इन्हें भी देखें

बाहरी जोड़

सन्दर्भ