स्पेनी गृहयुद्ध

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स्पेन का गृहयुद्ध (स्पेनी भाषा: Guerra Civil Española), 1936 से 1939 तक चला। यह युद्ध स्पेन के रिपब्लिकनों और राष्ट्रवादियों के बीच हुआ। इसे प्रायः लोकतन्त्र तथा फासीवाद के बीच युद्ध माना जाता है किन्तु अनेक इतिहासकार मानते हैं कि यह युद्ध वस्तुतः वामपंथी क्रांतिकारियों एवं दक्षिणपन्थी प्रतिक्रान्तिकारियों के बीच हुआ था। इस युद्ध में अन्ततः राष्ट्रवादियों की विजय हुई और उसके पश्चात फ्रैकों अगले ३६ वर्षों तक (१९७५ में अपनी मृत्यु तक) स्पेन का शासक बना रहा।

पापुलर फ्रंट के सत्तासीन होने के साथ एवं उनकी दक्षिणपंथी एवं मध्यमार्गियों के विरूद्ध अपनायी गयी नीतियों के कारण स्पेन गृहयुद्ध के कगार पर खड़ा हो गया। दक्षिणपंथी जनलर सांजुर्जो ने हिटलर से भेंटकर सहायता का आश्वासन प्राप्त किया। 12 जुलाई, 1936 ई. को दक्षिणपंथियों ने पुलिस अधिकारी केस्टिलो की हत्या कर दी। 13 जुलाई को इस घटना से उत्तेजित हो वामपंथियों ने एक दक्षिणपंथी सेनाधिकारी काल्वो सोटेलो की हत्या कर दी। इस प्रकार स्पेन में गृह युद्ध छिड़ गया। 17 जुलाई को मोरक्को में स्थित स्पेनी सेनाओं ने जनरल फ्रांकों के नेतृत्व में विद्रोह का बिगुल फूँक दिया। दक्षिणपंथी सैन्य अधिकारियों ने भी सशस्त्र संघर्ष छेड़ दिया। बाद में दक्षिणपंथियों का नेतृत्व भी जनरल फ्रांकों द्वारा संभाल लिया गया। इन विद्रोहियों को सैन्य अधिकारियों के साथ-साथ राजतंत्रवादियों, फासिस्ट एवं चर्च का भी समर्थन प्राप्त था। इटली एवं जर्मनी से भी इन्हें मदद मिल रही थी।

गृह युद्ध के दौरान ही सितंबर, 1936 ई. में वामपंथी फ्रांसिस्को लार्गा केवेलरो ने नवीन मंत्रिमण्डल का गठन कर उसमें समाजवादियों एवं साम्यवादियों को भी सम्मिलित किया। केवेलरों ने मजदूरों एवं कृषकों का भी सहयोग प्राप्त किया, परंतु नवंबर, 1936 ई . में जनरल फ्रांकों ने सरकार को राजधानी मेड्रिड छोड़कर बैलेशिया को राजधानी बनाने को बाध्य किया। जर्मनी एवं इटली ने जनरल फ्रांकों की सरकार को मान्यता प्रदान कर दी। उधर स्पेन की वामपंथी सरकार को रूस ने सहायता प्रदान की।

इसी बीच 1937 ई. में नरमदलीय समाजवादी जुआल नेगरिन ने केवेलरों के त्याग-पत्र के पश्चात् नवीन मंत्रिमण्डल बनाया और राजधानी वेलेशिया से बार्सोलोना स्थानांतरित की परंतु, फ्रांकों की सेनाओं ने 25 जनवरी, 1939 ई. को बोर्सोलोना पर अधिकार कर लिया। 28 मार्च, 1939 ई. को फ्रांकों ने मेड्रिड में प्रवेश किया। इस प्रकार स्पेन में गृहयद्ध समाप्त हुआ और जनरल फ्रांकों स्पेन का तानाशाह बन गया।

स्पेन के गृह युद्ध ने अंतर्राष्ट्रीय समीकरणों का निर्माण किया। स्पेन में गणतंत्र के विरोध ने इटली एवं जर्मनी की मित्रता को मजबूत किया। दूसरी ओर इंग्लैण्ड एवं फ्रांस से रूस नाराज हो गया। यह युद्ध गणतंत्र की पराजय एवं तानाशाही की जीत के रूप में देखा जा सकता है। वस्तुतः इंग्लैण्ड, फ्रांस एवं अमेरिका ने साम्यवाद को रोकने के लिए, तानाशाही के प्रति तुष्टिकरण की नीति अपनायी। इंग्लैण्ड एवं फ्रांस की तुष्टिकरण की नीति ने हिटलर एवं मुसोलिनी को अपना आत्मविश्वास बढ़ाने में मदद की और विश्व के राजनीतिक पटल पर इटली, जर्मनी, एवं जापान के साथ-साथ स्पेन के फ्रांको जैसे तानाशाह का भी उदय हुआ।

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