स्तॅपी

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मंगोलिया में स्तॅपी पर लगे खेमे
बसंत के मौसम में रूस के इलोवलिंसकी ज़िले में स्तॅपी की घास में खिले जंगली फूल
मंगोलियाई स्तॅपी में अश्वधावन

स्तॅप, स्तॅपी या स्टेपी (अंग्रेज़ी: steppe, रूसी: степь) यूरेशिया के समशीतोष्ण (यानि टॅम्प्रेट) क्षेत्र में स्थित विशाल घास के मैदानों को कहा जाता है। यहाँ पर वनस्पति जीवन घास, फूस और छोटी झाड़ों के रूप में अधिक और पेड़ों के रूप में कम देखने को मिलता है। यह पूर्वी यूरोप में युक्रेन से लेकर मध्य एशिया तक फैले हुए हैं। स्तॅपी क्षेत्र का भारत और यूरेशिया के अन्य देशों के इतिहास पर बहुत गहरा प्रभाव रहा है। ऐसे घासदार मैदान दुनिया में अन्य स्थानों में भी मिलते हैं: इन्हें यूरेशिया में "स्तॅपी", उत्तरी अमेरिका में "प्रेरी" (prairie), दक्षिण अमेरिका में "पाम्पा" (pampa) और दक्षिण अफ़्रीका में "वॅल्ड" (veld) कहा जाता है।[१]

स्तॅपी में तापमान ग्रीष्मऋतु में मध्यम से गरम और शीतऋतु में ठंडा रहता है। गर्मियों में दोपहर में तापमान ४० °सेंटीग्रेड और सर्दियों में रात को तापमान -४० °सेंटीग्रेड तक जा सकता है। कुछ क्षेत्रों में दिन और रात के तापमान में भी बहुत अंतर होता है: मंगोलिया में एक ही दिन में सुबह के समय ३० °सेंटीग्रेड और रात के समय शून्य °सेंटीग्रेड तक तापमान जा सकता है। अलग-अलग स्तॅपी इलाक़ों में भिन्न मात्राओं में बर्फ़ और बारिश पड़ती है। कुछ क्षेत्र बड़े शुष्क हैं जबकि अन्य भागों में सर्दियों में भारी बर्फ़ पड़ती है। Rahuma singh

इतिहास

स्तॅपी एक विशाल मैदानी क्षेत्र है जिसकी वजह से प्राचीनकाल में लोग और व्यापार यूरेशिया के एक कोने से दूरे कोने तक जा सका। प्रसिद्ध सिल्क रूट इसी स्तॅपी से होकर गुज़रता था और इसपर चीन, उत्तर भारत, मध्य एशिया, मध्य पूर्व, तुर्की और यूरोप के बीच माल और लोग आया जाया करते थे और सांस्कृतिक तत्व भी फैले। अनुवांशिकी दृष्टिकोण से उत्तर भारत में बहुत से पुरुषों का पितृवंश समूह आर१ए है। ठीक यही मध्य एशिया, रूस, पोलैंड इत्यादि में पाया जाता है और माना गया है कि यह स्तॅपी के ज़रिये ही फैला।[२] भारत में आये बहुत से हमलावर भी इसी क्षेत्र से आये थे। मुग़ल सलतनत शुरू करने वाले सम्राट बाबर उज़बेकिस्तान के स्तॅपी क्षेत्र से आये. शक (स्किथियन) लोग, जिनमें भारतीय सम्राट कनिष्क भी एक थे, इसी क्षेत्र से उत्पन्न हुए और बहुत से भारतीयों का कुछ वंश इसी जाति से आया है।[३] भारत का प्रभाव भी जातिय, धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से इस क्षेत्र पर बहुत गहरा रहा। बौद्ध धर्म का फैलाव इसका एक बहुत बड़ा उदाहरण था और भारतीय चिह्न (जैसे कि स्वस्तिक, माथे पर बिंदियाँ, इत्यादि) यहाँ के कई पुरातात्त्विक स्थलों पर मिले हैं।[४]

सन्दर्भ

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