सुषेण वैद्य

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.

सुषेण वैद्य रामायण के अनुसार लंका में वैद्य थे। उन्होंने इंद्रजीत द्वारा लक्ष्मण को मूर्छित कर देने पर उनकी चिकित्सा की थी।

साँचा:asbox इसको और आगे बढ़ता हुआ , में आप सभी को बताता हूं की वैध की भूमिका निभाने वाले कौन थे जिसने यह वैध का अभिनय किया और कैसे उनका जीवन बदल गया में सुमित चौरसिया महाराजपुर जिला छतरपुर मध्यप्रदेश से आईये एक पान की दुकान से लेकर रावण की लंका तक का राज बेध तक का सफर स्व रमेश चंद्र चौरसिया उज्जैन वालो का। सुमित की कलम से। मिलिए रामायण के #सुषेण_वैद्य से जिनकी संजीवनी बूटी से मिला था लक्ष्मण को जीवनदान लक्ष्मण को मूर्छित देख रो पडे थे राम उज्जैन के #स्व_रमेश_चौरसिया ने निभाई थी यादगार भूमिका आध्यात्मिक उज्जैन के बहादुरगंज निवासी स्व रमेश चौरसिया ने निभाई थी यादगार भूमिका

टी वी पर पुनः प्रसारित हो रही रामानन्द सागर निर्देशित रामायण इस समय अपने चरमोत्कर्ष पर हैं। मेघनाथ द्वारा चलाए गए अभिमंत्रित नागपाश बाण में राम लक्ष्मण बांध लेने के रोमांचक प्रसंग के बाद अब रामायण का अगला पडाव लक्ष्मण के मूर्छित होने और मेघनाथ वध का है। रामायण के उज्जैन कनेक्शन की चर्चा में मैं पहले ही बता चुका हूं कि रामायण सीरियल में लक्ष्मण के मूर्छित होने पर उनके लिए लाई गई संजीवनी बूटी को पीस कर उसे एक जीवनदायिनी दवा का रूप देने वाले सुषेण वैद्य की भूमिका निभाने वाले स्व रमेश चौरषिया उज्जैन के ही थे। वे देवास गेट पर पान की दुकान चलाते थे। प्रसंगानुसार रामायण में उल्लेख मिलता है कि जब राम-रावण युद्ध में मेघनाथ आदि के भयंकर अस्त्र प्रयोग से समूची लक्ष्मण मूर्छित हो मरणासन्न हो मरणासन्न अवस्था में पहुंच गए थे, तब हनुमानजी ने जामवंत के कहने पर वैद्यराज सुषेण को बुलाया और फिर सुषेण ने कहा कि आप द्रोणगिरि पर्वत पर जाकर 4 वनस्पतियां लाएं : मृत संजीवनी (मरे हुए को जिलाने वाली), विशाल्यकरणी (तीर निकालने वाली), संधानकरणी (त्वचा को स्वस्थ करने वाली) तथा सवर्ण्यकरणी (त्वचा का रंग बहाल करने वाली)। हनुमान बेशुमार वनस्पतियों में से इन्हें पहचान नहीं पाए, तो पूरा पर्वत ही उठा लाए। तब वैद्यराज सुषेण ने उनमें से संजीवनी बूटी को पहचान कर उसे पीस कर लेपन तैयार किया तब लक्ष्मण मृत्यु के मुख से बाहर निकल पाए। यह रामानन्द सागर की रामायण का एक मात्र ऐसा प्रसंग है जिसमें लक्ष्मण की मूर्छा को देखकर राम भी अपने आंसू रोक नहीं पाए। राम की सेना के सभी शूरवीर लक्ष्मण की मूर्छा देखकर विलाप में दुखी और अश्रु विगलित थे तब उम्मीद की एक मात्र किरण बनकर सामने आए सुषेण वैद्य की ओर सब टकटकी लगाए देख रहे थे। तभी उन्होंने वह कमाल कर दिखाया जिसे देखकर सभी की आश्चर्य मिश्रित खुशी का ठिकाना नहीं रहा। इस दृश्यांकन में भाग लेकर लौटने के बाद स्वयं श्री रमेश चौरसिया जी ने बताया था कि यह रोल उन्हें उनके परम मित्र अरविन्द त्रिवेदी (रावण) की अनुशंसा पर मिला था। उन्होंने ही श्री चौरसिया जी को रामानन्द जी सागर से मिलवाया था। एक साधारण पान वाले से सुषेण वैद्य तक सफर तय करने वाले रमेश चौरसिया दाढी और लम्बे बाल पहले से ही रखते थे। साईकिल पर घूमते थे। पूजापाठी और कदकाठी से एक वैद्यराज की कसौटी पर खरा उतरता देखकर ही सागर जी ने उन्हें इस भूमिका के लिए चुना था। रामायण सीरियल की शूटिंग से लौटने के बाद रातोंरात उनकी और उनकी दुकान की ख्याति इतनी बढ गई थी कि बाहर से कई लोग उनसे मिलने आने लगे थे। कुछ ग्रामीण जन तो उन्हें पहुंचा हुआ वैद्य मानकर उनसे अपनी बीमारी का इलाज करवाने तक चले आते थे। तब उन्हें उनसे पिण्ड छुडाना बडा मुश्किल होता था। रमेश चौरसिया जी ने अपनी भूमिका के फोटो फ्रेम कर अपनी दुकान पर लगवा दिए थे जिसे लोग आते - जाते देखते थे। इतना सब होने पर भी सदा हंसमुख मिलनसार बने रहने वाले रमेश चौरसिया की जिन्दगी में इससे कोई खास बदलाव नहीं आया। वे जैसे सीधे सरल थे अंत तक वैसे ही बने रहे।

  1. कोरोना जनित अवकाश ने रामायण के पुनः प्रसारण के कारण उनसे जुडी स्मृतियों को एक बार फिर ताजा कर दिया।

उज्जयिनी के नाम को रामायण धारावाहिक के साथ जोडने वाले #स्व_रमेश_चौरसिया (#सुषेण_वैद्य )की स्मृति को प्रणाम।- डाॅ देवेन्द्र जोशी जी की कलम से,, संपूर्ण चौरसिया समाज को गौरान्वित किया आपका अभिनय सदैव हम ह्रदय में जाग्रत रहेगा। ह्रदय से शत शत प्रणाम।। 🙏🙏#जयश्रीराम🙏🙏

नोट यहाँ जनकारी मेरी दृष्टि से सही है,लेकिन कोई साक्ष्य नही मिला लोगो के बताया अनुसार है।