सावनी रविंद्र

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.
सावनी रविंद्र
चित्र:savani.jpg
पृष्ठभूमि की जानकारी
जन्मसाँचा:br separated entries
मृत्युसाँचा:br separated entries
गायिका
जालस्थलsavaniravindra.com

साँचा:template otherसाँचा:ns0

सावनी रविंद्र (जन्म: २२ जुलाई १९८९, पुणे, महाराष्ट्र, भारत) भारतीय संगीतसृष्टी,विशेषतःमराठी संगीतक्षेत्र,की नामवंत गायिका है। "होणार सून मी या घरची" इस लोकप्रिय धारावाहिक मे गाये हुये "तू मला,मी तुला गुणगुणू लागलो पांघरु लागलो सावरू लागलो " इस गीत की वजह से उनकी आवाज घरघर मे पहुच चुकी है। इस गाने ने चाहताओ के दिल जीत लिये है। 'होनार सून मी ह्या घरची'इस धारावाहिक के 'नाही कळले कधी', 'तुझे माझे गाव', 'तुझ्यासवे' ये तीन गाने सावनीजी के नाम पर है। इसी धारावाहिक मे गाये हुये गीत 'तुझ्यासवे' के सोलो व्हर्जन के साथ एक व्हिडीओ प्रसिद्ध हुआ है,इस व्हिडीओ मे सावनीजीने नायिका आणि गायिका की दोहरी भूमिका निभाई है। कोकनी भाषा मे भी उन्होने गाने गाये है। अभी अभी उन्होने तमिल गायन क्षेत्र मे प्रवेश किया है। अबतक उन्होने चार तमिल गाने गाये है। २०११ मे संपन्न हुये "आयडीया सा रे ग म पा" कार्यक्रम के अंतिम पाच स्पर्धको मे सावनीजी का समावेश था। [१]

प्राथमिक जीवन

२२ जुलाई को संगीत क्षेत्र से जुडे परिवार मे सावनीजी का जन्म हुआ। शास्त्रीय गायक और गायक अभिनेता रहे उनके पिता डॉ॰ रविंद्र घांगुर्डे और मराठी संगीत नाटिका की गायिका अभिनेत्री डॉ॰वंदना घांगुर्डे इन मातापितासे सावनी को बचपन से ही संगीत के पाठ मिले। पिता डॉ॰ रविंद्र घांगुर्डे से विविध रागो की पेहचान होने के बाद सावनी नाट्यसंगीत आणि सुगम संगीत भी गाने लगी| ८ साल की उमरे से ही सावनीने मराठी सुगम संगीत का शिक्षण सुप्रसिद्ध संगीत दिग्दर्शक पं. यशवंत देव से लेना शुरू कर दिया था। नादब्रम्ह परिवार आयोजित श्री यशवंत देवजी के अमृत महोत्सवी सत्कार प्रसंगी सादर किये हुये 'देवगाणी' इस कार्यक्रम मे श्रीमती आशा भोसले की उपस्थिती मे सावनी को गाने एका मौका मिला। इस कार्यक्रम के दौरान उनका गाना सुनने के बाद महाराष्ट्र के तत्कालीन सांस्कृतिक मंत्री प्रा.रामकृष्ण मोरेने, सावनी का चुनाव भारते के माजी राष्ट्रपती डॉ॰ ऎ.पी.जे. अब्दुल कलामजी को मिलने भेजे जानेवाले महाराष्ट्र के संघ मे किया। १४ नवंबर २००२ के दिन सावनीने राष्ट्रपती भवन मे राष्ट्रपतीजी से मुलाकात की। इस वक्त यशवंत देवजी रचित गीत और सावनी के स्वरोने राष्ट्रपती भवन का माहोल सुहाना हो गया था।

महाराष्ट्र मे पुना स्थित फ़र्ग्युसन महाविद्यालय से सावनीजीने अपनी शिक्षा पूर्ण की। इसा महाविद्यालय द्वारा कुच्छ चुनिंदा प्रतिभावान विद्यार्थीओ को युरोप मे भेजा गया था। इस समूह मे सावनीका समावेश था। सावनीने रवी दातेजी से गजल[२] की शिक्षाली है और पं. पंढरीनाथ कोल्हापुरेजी[३] से शास्त्रीय संगीत के पाठ पढे है। सावनीने बीए संस्कृत और एमए मराठी की पदवी प्राप्त की है। भारती विश्वविद्यालय से उन्होने एमए म्युजिक की पदवी संपादित है।

पार्श्व गायन

नादब्रह्म पुणे निर्मित व पार्श्वगायिका सावनी रवींद्र प्रस्तुत 'लताशा' नामक लता मंगेशकरजी और आशा भोसलेजी के सुरेल कार्यकाल पर आधारित कार्यक्रम वो करती है।

'गझल का सफर'[४], 'ब्लॅक ऍन्ड व्हाईट',[५] 'गुलझार - बात पश्मिने कि'[६]जैसे असंख्य कार्याक्रमो मे उन्होने अपने स्वरो के जादू को बिखेरा है। ब्लॅक ऍन्ड व्हाईट इस कार्यक्रम के प्रयोग अमेरिका, लंडन, दुबई, अबुधाबी यहाँ पर भी हो चुके है। अजय अतुल के दुबई,अमेरिका मे हुये लाईव्ह कॉन्सर्ट मे सावनीजी ने सहभाग लिया है। अबतक देश तथा विदेशो मे उदा.मस्कत,सिंगापूर,इस्त्राईल,कॅनडा,झिंम्बांबे इन देशो मे सावनी के गायन के कार्यक्रम हो चुके है।

'अजिंठा','अजब लग्नाची गजब गोष्ट'[७],'भैरू पैलवान कि जय','ती रात्र', 'मानसन्मान', 'दांडगी मुलं','पाच नार एक बेजार','नीळकंठ मास्तर','गुरूपौर्णिमा','कुणी घर देता का घर'[८],'प्राइम टाइम','पिंडदान','शॉर्टकट' य इन मराठी सिनेमा मे उन्होने पार्श्वगायन किया है। संगीत कार्यक्रम,सिनेमा इन के साथ ही उनके 'आशाये' इस हिंदी तथा 'अजूनही' और 'कॅनव्हास' ये दो मराठी अल्बम चाहताओ के पसंत मे खरे उतरे है। [९]

'बंधन' सह्याद्री वाहिनी,'बे दुने दहा'स्टार प्रवाह,'ढाबळ'स्टार प्रवाह,'कमला'कलर्स मराठी,'म्युजिक ट्रक'सह्याद्री वाहिनी,इत्यादी मालिकांओ के शीर्षक गीत और झी मराठी के शीर्षकगीत उन्होने गाये है।

उनके 'सूर आनंदघन' इस कार्यक्रम के प्रयोग महाराष्ट्र मे अनेक जगह होते रेहते हैं। इस की साथ पं. यशवंत देवजी के देवगाणी इस कार्यक्रम मे और अन्य कार्यक्रमो मे ज्येष्ठ गायक अरुण दाते, पं. सुरेश वाडकर, रवींद्र साठे, रविंद्र जैन, उत्तरा केळकर, श्रीधर फडके इन के साथ सावनीजी अपने गायन संबंधित कार्यक्रम करती है। पीछले 10 सालो से ज्येष्ठ संगीत दिग्दर्शक भावगंधर्व पं.हृदयनाथ मंगेशकर[१०] के साथ सावनी 'भावसरगम','शिवाकल्याण राजा','अमृताचा घनु' ये कार्यक्रम करती आ रही है। युरोपियन मराठी संमेलन,२०१४,अखिल भारतीय मराठी साहित्य संमेलन,घुमान,२०१५,स्कॉटलंड,बृहन्महाराष्ट्र मंडळ अधिवेशन,बोस्टन,अमेरिका,२०१५ इन जगह उन्होने अपने सुरो का जादू बिखेरा है।

पुरस्कार

सावनी को असंख्य पुरस्कारो से सन्मानित किया गया है। इन मे बालकलाकारो को दिये जानेवाले शाहू मोडक पुरस्कार, मोरया फ़ाऊंडेशन तर्फ़े मोरया गोसावी पुरस्कार आणि रतिलाल भावसार पुरस्कार,अजितदादा पवार फ़ाऊंडेशन पुरस्कार इन पुरस्कारो का समावेश है।

सन्दर्भ

साँचा:reflist