सामाजिक वाणिज्य

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.

सामाजिक वाणिज्य ई-कॉमर्स का एक उपवर्ग है जिस मे सामाजिक मीडिया,ऑनलाइन मीडिया - जो सामाजिक पारस्परिक व्यवहार का समर्थन करता है , शामिल है। [१] कम शब्दों मे सामाजिक वाणिज्य - ई-कॉमर्स लेनदेन मे सामाजिक नेटवर्क का उपयोग करता है। नवंबर 2005 में याहू! ने सामाजिक वाणिज्य शब्द का परिचय किया था। सामाजिक वाणिज्य अवधारणा का विकसित दाविद बेइसेल ने किया।

समयरेखा

नवंबर 2005 में याहू! ने सामाजिक वाणिज्य शब्द का परिचय किया था।

सामाजिक वाणिज्य के तत्व

  1. पारस्परिकता-जब कोई कंपनी किसी व्यक्ति को तोफे के रूप में कुछ दे तो, वो व्यक्ति उसे एहसान की तरह महसूस करके वो चाहे फिर से खरीदने जायेगा या फिर कंपनी के लिए अच्छी सिफारिशें देगा।
  2. समुदाय - जब लोगो को पता चलता है कि अकेला या समूह जो एक ही तरह के पसंद, मूल्यों, विश्वासों आदि को बाँटते है, लोग ज्यादा समुदाय के प्रतिबद्ध में रहना चाहते है जहाँ उन्हें भीतर स्वीक्रति लगे। जब ऐसी प्रतिबद्धता होती है तो तब वो एक समूह के रूप में एक ही तरह की पर्वर्तियाँ का पालन करते है और जब कोई सदस्य एक नया विचार या उत्पाद परिचय कराता है तो इसे पिछले विशवास के आधार और अपने कंपनयो के उत्पाद और सामजिक समुदायो के साथ स्वीकारा जाता है। कंपनी के लिए यह लाभदायक होगा अगर यह सामाजिक मीडिया साइट्स के साथ भागीदारी विकसित करें।
  3. सामाजिक सबूत - अगर कंपनी सकारात्मक प्रतिक्रिया चाहती है तो उसे इस सामजिक प्रतिक्रिया को स्वीकार करने के लिए उसे दिखाना पड़ेगा की अन्य लोग भी यह उत्पाद खरीदते है और पसंद करते है यह हम बहुत साड़ी ऑनलाइन कंपनियो को देख सकतें है जैसे कि ई बे और एमाज़ॉन.कॉम जब भी इनके यहाँ से कोई खरीदते है तो प्रतिक्रिया भी मांगते है और जब यह प्रतिक्रिया होती है तो वे तुरन्त अन्य लोगो के संबंध में खरीदा हुआ दिखाता है। अगर सिफारिश और प्रतिक्रिया खुली हो तो ही फायदेमंद रहता है, यह एक विक्रेता के रूप में आप के लिए विशवास पैदा करता है।
  4. प्राधिकरनण- कई लोगो को उत्पाद अच्छे गुणवत्ता वाली होने के सबूत की जरूरत पड़ती है यह सबूत दुसरो की सिफारिशों के आधारित भी हो सकती जो इस उत्पाद को ख़रीदा है फिर उपभोक्ता को उत्पाद खरीदने में अपने निर्णय पर भरोसा रहता है।
  5. पसंद - लोग दुसरो की सिफारिशों के आधारित विशवास करते है अगर कोई उत्पाद को ज्यादा पसंद किया जाता है तो फ़िर उपभोक्ता उस उत्पाद को खरीदने में अधिक विशवास करता है।
  6. कमी - आपूर्ति और मांग के भाग के रूप में उत्पादों को अधिक से अधिक मूल्य दिया जाता है अगर उसकी उच्च मांग हो या फिर एक कमी के रूप में माना जाता है, इसलिए जब उपभिक्ता आश्वस्त हो जाता है कि जो भी वो खरीदने जा रहा है वो कुछ अलग, विशेष और आसानी से नहीं पाया जा सकता तो उसके खरीदने की चाह भी बढ़ जाती है यदि विक्रेता भरोसा स्थापित करता है तो फिर उपभोक्ता उस उत्पाद को तुरंत खरीदना पसंद करेंगे।

सुविधाएँ

  1. सामग्री - संभावित जरूरत ग्राहकों के साथ ही रहे, बुनियादी और हितधारकों के मूल्यवान को वेब के माध्यम से प्रकाशित करे इनके प्रारंभिक उदाहरण विवर्णिक साइट्स के संगठन और यह सामग्री वेब पर वास्तविक सम में प्रकाशित किया जाता था। गूगल संगठन इन सब सामग्री को अनुक्रमण के मामले में सबसे आगे वेब पर दिखने में मदद करता आ रहा।
  2. समुदाय -दर्शको को समुदाय के रूप में देखने के उद्देशय से और स्थायी संबंधों के निर्माण हेतु उन्हें मूर्त मूल्य उपलब्ध कराते है। प्रारंभिक में समुद्राय पंजीकरण के माध्यम से जुटाने के लिए ईमेल कार्यक्रमो इसका प्रारंभिक उदाहरण याहू है, समूह और सामाजिक नेटवर्क नवीनतम अवतार है जहाँ समुदाय में वार्तालाप होती है और फेसबुक सबसे पारस्परिक संपर्क के लिए मंच प्रदान करता है।
  3. वाणिज्य - वेब के जरिए ग्राहकों की मांगो को पूरा किया जाता है, जैसे ऑनलाइन बैंक, बीमा कंपनिया, यात्रा की साइट्स जो व्यापारी से उपभोक्ता की सेवा को प्रदान कराता है। व्यापार से व्यापार की बहुत सारी साइट्स है जो हो स्टिंग के लिए सेवाओं की पूर्ति करता है।
  4. प्रसंग - मोबाइल के माध्यम से ओनलाइन दुनिया और असली दुनिया को ट्रैक करने में सक्षम है, ऑनलाइन बिल भुगतान में ग्राहक गूगल में या फिर फेसबुक या भौतिक स्थान या गूगके चेकइन के जरिए ऑनलाइन ही कर सकता है, जो व्यापार के जगह की तरह होता है यह सामाजिक वाणिज्य के लिए महत्वपूर्ण तत्व है जहां उत्पादकों को ग्राहकों की सूचि के बारे में जानकर उन्हें सेवा प्रदान कर सकता है।
  5. कनेक्शन -नई ऑनलाइन नेटवर्क लोगो के बीच संबंधो का दस्तावेजीकरण को परिभाषित करता है, यह संबंध भौतिक दुनिया या ऑनलाइन दुनिया के माध्यम से उत्पन्न हुए होंगें या दुसरो में पहली बार कनेक्शन के रूप में प्रकट हुआ होगा ग्राहकों के बीच में बातचीत का दायरा ही सामाजिक वाणिज्य का आधार है।
  6. वार्तालाप - दो पक्षो के बीच बातचीत से संभावना है कि एक मांग को पूरा कर सकें या नई मांग पैदा हो जाए। इसलिए व्यापारी को आपूर्तिकर्ता बाजार उपलब्ध कराता है। व्यापारियो की चुनौती यह है कि वो इनके वार्तालाप को देखे ध्यान में रखकर उन्हें उत्पाद और सेवा प्रदान करे। सरल उदाहरण जहां ग्राहक के बातचीत और मांगो को दर्शाता हो।

प्रकार

ऑनलाइन सामजिक वाणिज्य

ऑनलाइन सामाजिक वाणिज्य खुदरा व्यापारी जो सामाजिक बंटवारे और कार्यक्षमता को अपने वेबसाइट पर सहित करता है। कुछ उदाहरण जहां ग्राहकों को अपबु खरीदारी के अनुभव को बांटने को मौका देता है। ऑनलाइन ग्राहकों के शब्दों को भी सामाजिक वाणिज्य का हिस्सा माना जाता है यह ग्राहकों जे संबंधो को बढ़ाने में मदद करता है।

ऑफलाइन सामजिक वाणिज्य

ऑफलाइन सामजिक वाणिज्य - यह खुदरा विक्रेताओ के वेबसाइट के बाहर होने वाली गतिविधियों पर नजर रखता है, ये फेसबुक उत्पादों के पोस्टिंग और अन्य सामजिक नेटवर्क विज्ञापन आदि की शामिल करता है हालांकि कई बड़ी कंपनी इस विधि को छोड़ना चाहते है, कंपनी की कमजोर प्रदर्शन के लिए ग्राहकों का सामाजिक मीडिया पर व्यस्त रहना बताया गया है।

==सन्दर्भ==
  1. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।