सल्फ़ोनिक अम्ल

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सल्फोनिक अम्ल की सामान्य संरचना

सल्फ़ोनिक अम्ल (sulfonic acid) कार्बन-सल्फर यौगिकों के समूह का एक सदस्य है जिसका सामान्य सूत्र R−S(=O)2−OH है, जहाँ R कोई कार्बनिक एल्किल या एरिल समूह है तथा S(=O)2−OH समूह कोई सल्फोनिल हाइड्रॉक्साइड है। सल्फोनिक अम्ल को सल्फ्युरिक अम्ल माना जा सकता है जिसका एक हॉइड्रॉक्साइड समूह एक कार्बनिक समूह द्वारा स्थापित कर दिया गया हो।

अनेक कार्बनिक यौगिक सल्फ़ोनिक अम्ल संजात बनाते हैं। ये ऐलिफैटिक (aliphntic) हो सकते हैं या ऐरोमैटिक (aromatic)। ऐलिफैटिक सल्फ़ोनिक अम्ल कठिनता से बनते हैं और व्यावहारिक दृष्टि से किसी महत्व के नहीं हैं। ऐरोमैटिक सल्फ़ोनिक अम्ल सरलता से बनते हैं और महत्व के हैं। इनकी सहायता से अनेक कार्बनिक यौगिक बनाए जाते हैं और अविलेय कार्बनिक यौगिक जल में विलेय बनाए जाते हैं। इनका व्यावहारिक उपयोग जल-अविलेय रंजकों को जल विलेय रंजकों में परिवर्तित करने में होता है।

सल्फ़ोनिक अम्ल बनाने के लिए सामान्य सल्फ़ोनिक अम्ल, सधूम सल्फ़ोनिक अम्ल (ओलियम oleum), सल्फ़ोनिल क्लोराइड, सल्फ़र ट्राइऑक्साइड, सोडियम बाइसल्फ़ाइड आदि, प्रयुक्त हुए हैं। बेंज़ीन से बेंज़ीन मोनोसल्फ़ोनिक अम्ल, बेंज़ीन डाइसल्फ़ोनिक अम्ल तथा बेंजीन ट्राइसल्फ़ोनिक अम्ल प्राप्त होते हैं। बेंज़ीन केंद्रक में तीन से अधिक सल्फ़ोनिक समूह नहीं प्रविष्ट करते। ऐनिलीन से सल्फ़ेनिलिक अम्ल प्राप्त होता है, जिसे सल्फ़ऐनिकल अम्ल कहते हैं। यह रंजकों के निर्माण में काम आता है। नैपथेलीन से निम्न ताप (लगभग ८० सें.) पर नैपथेलीन ऐल्फ़ा-सल्फ़ोनिक अम्ल और उच्च ताप (लगभग १८० सें.) पर नैपथेलीन बीटा-सल्फ़ोनिक अम्ल बनते हैं। एंआसीन से ऐंआसीन सल्फ़ोनिक अम्ल बनता है।

सल्फ़ोनिक अम्ल क्रिस्टलीय ठोस, आर्द्रताग्राही, जल में विलेय तथा प्रबल अम्लीय होते हैं और धातुओं से अच्छे क्रिस्टलीय लवण बनाते हैं। क्षारीय धातुओं के लवण जल में अति विलेय होते हैं पर अन्य धातुओं के लवण न्यूनाधिक अविलेय होते हैं। कार्बनिक सल्फ़ोनिक अम्लों को दाहक क्षार के साथ तपाने से, सल्फ़ोनिक समूह का स्थान हाइड्रॉक्सिल समूह ले लेता है और इस प्रकार ऐरोमैटिक सल्फ़ोनिक अम्लों से फिनोल प्राप्त होते हैं। पोटैशियम सायनाइड के साथ तपाने से नाइट्राइल बनते हैं और तनु सल्फ्यूरिक अम्ल के उपचार से, सल्फ़ोनिक अम्ल समूह, हाइड्रोजन से विस्थापित हो जाता है। बेंज़ीन सल्फ़ोनिक अम्ल को फ़ॉस्फ़ोरस क्लाराइड के साथ उपचारित करने से बेंजीन-सल्फोनिक क्लोराइड बनता है, जिसका अमोनिया के साथ उपचार कने से बेंज़ीन सल्फ़ोनेमाइड प्राप्त होता है। ऐसे ही अनेक संजात आजकल सल्फ़-ड्रग के नाम से प्रसिद्ध हैं और अनेक रोगों के लिए अचूक ओषधि के रूप में प्रसिद्धि पा चुके हैं।

सन्दर्भ

इन्हें भी देखें