समाश्रयण विश्लेषण
नेविगेशन पर जाएँ
खोज पर जाएँ
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.
सांख्यिकीय मॉडलिंग में, विभिन्न चरों के बीच सम्बन्ध का आकलन करने के लिए प्रयुक्त सांख्यिकीय प्रक्रियाओं के समूह को समाश्रयण विश्लेषण (रिग्रेशन एनालिसिस) कहते हैं। समाश्रय विश्लेषण में अनेकों चरों की मॉडलिंग करने और विश्लेषण करने के लिए बहुत सी तकनीकें प्रयोग की जातीं हैं। इसको और सरल रूप से कहें तो, समाश्रयण विश्लेषण हमें यह जानने में सहायता करता है कि जब किसी स्वतन्त्र चर (independent variable) का मान बदला जाता है तो परतन्त्र चर (dependent variable) का मान किस प्रकार बदलता है। उदाहरण के लिए, विभिन्न आयु वाले हजारों या लाखों लोगों की ऊँचाई की माप लेकर हम आदमी की आयु और उसकी उँचाई में एक सम्बन्ध स्थापित कर सकते हैं। यहाँ आयु एक स्वतन्त्र चर है तथा ऊँचाई परतन्त्र चर।
इन्हें भी देखें
- वक्र आसंजन (curve fitting)
- रैखिक समाश्रयण (लिनियर रिग्रेशन)
- संकेत प्रसंस्करणा
- पूर्वानुमान (forecasting)