सनल एडामारकू

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.
सनल एडामारकू
Sanal Edamaruku in Helsinki.jpg
जन्म साँचा:birth date and age
तोडुपुज़ा, केरल, भारत
शिक्षा प्राप्त की केरल विश्वविद्यालय
प्रसिद्धि कारण भारतीय रेशनलिस्ट असोशिएशन के अध्यक्ष और रेशनलिस्ट इंटरनेशनल के संस्थापक-अध्यक्ष
धार्मिक मान्यता कोई नहीं (नास्तिक)
माता-पिता जोसफ एडामारकू
सोले एडामारकू

सनल एडामारकू (जन्म: २६ मई १९६५) भारतीय तर्कवादी और लेखक हैं। वो रेशनलिस्ट इंटरनेशनल संस्था के संस्थापक अध्यक्ष और सम्पादक हैं।[१] उन्होंने वर्ष २०१२ में मुम्बई के एक कैथोलिक गिरजाघर में अचानक पानी निकलने के चमत्कार का पर्दाफास किया था जिसके बाद उसी सप्ताह मुम्बई पुलिस ने कैथोलिक समूहों की ओर से सनल के ख़िलाफ ईशनिंदा की तीन शिकायतें दर्ज की। इसके बाद से वो स्वनिर्वासित जीवन बिता रहे हैं।[२]

पूर्व जीवन

एडामारकू का जन्म १९५५ में केरल राज्य के तोडुपुज़ा में हुआ। उनके पिता जोसफ एडामारकू एक भारतीय पत्रकार हैं और उनकी माँ सोले एडामारकू लेखिका हैं।[३] उनके माता पिता हिन्दू-ईसाई धर्म दोनों से मिश्रित होने के कारण एडामारकू का पालन पोषण विशिष्ट धार्मिक प्रभाव रहित रहा। उनके माता पिता की जिद के कारण वो भारत के प्रथम छात्र रहे जिनका विद्यालयी रिकॉर्ड में "धर्म रहित" लिखा गया।[४]

एडामारकू की आयु जब पन्द्रह वर्ष थी तब उनकी एक पड़ोसी एथलीट की मृत्यु हो गई क्योंकि उनका परिवार आस्था चिकित्सा में विश्वास करता था और उन्होंने चिकित्सा उपचार नहीं लिया, इस घटना के बाद वो तर्कवादी-नास्तिक कार्यकर्ता बन गये।[५]

२०१२ में ईशनिंदा मामला

मार्च २०१२ में एडामारकू ने मुम्बई के ऑवर लेडी ऑफ़ वेलांकन्नी चर्च में एक रपट की जाँच की जिसके अनुसार ईसा मसीह के पैर के अंगूठे से अचानक पानी निकल रहा था। उन्होंने अपने अन्वेषण में पाया कि वहाँ पास ही में एक पाइप में रिसाव के कारण यह पानी आ रहा था।[६][७]

अप्रैल २०१२ में मुम्बई के कैथोलिक गिरजाघर ने मुम्बई के विभिन्न पुलिस थानों में भारतीय दण्ड संहिता की धारा २९५ए के तहत एडामारकू के खिलाफ शिकायत की।[८] धारा २९५ए वर्ष १९२७ में अधिनियमित हुई थी जिसके अनुसार किसी वर्ग की धार्मिक भावना आहत करने के इरादे से उसके धर्म और धार्मिक विश्वास का अपमान करना दण्डनीय अपराध माना गया है।[९][१०]

सन्दर्भ