सतेंद्र सिंह
डॉ सतेंद्र सिंह विकलांग व्यक्तियों के सशक्तिकरण के लिए कार्यरत एक मानवाधिकार संरक्षक हैं।[१] पेशे से चिकित्सक, डॉ सिंह ने सूचना का अधिकार अधिनियम के सटीक प्रयोग के जरिये निर्योग्यता के क्षेत्र में कई सराहनीय कदम उठाए हैं जिससे उन्हें भारत के निःशक्तता अधिकार आन्दोलन को समृद्ध किया। पोलियोमेलाइटिस की वजह से हुई अपने शारीरिक अक्षमताओं की चुनौतियों का इन्होने डटकर सामना कर दृढ़ संकल्प से एम बी बी एस और फिर एम डी करी। समान अवसर के लिए उन्होंने अपने साथ हुए भेदभाव का पुरजोर विरोध किया और न्याय के लिए इस विकलांग डॉक्टर के चार साल से अधिक लड़ाई के अथक परिणाम के स्वरुप एक हजार से अधिक केंद्रीय स्वास्थ्य सेवा (सीएचएस) की नौकरियों स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मन्त्रालय, भारत सरकार ने विकलांग डॉक्टरों के लिए खोलने का फैसला किया।[२] न्यायालय मुख्य आयुक्त निशक्तजन एवं राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (भारत) में इनकी याचिका के बाद भारतीय चिकित्सा परिषद ने भारत के सभी चिकित्सकीय महाविद्यालयों/विश्वविद्यालयों को विकलांगो के लिए सुगम्य होने के निर्देश दिए[३]]
इन्होने योगी आदित्यनाथ के मंत्री सत्यदेव पचौरी के द्वारा एक विकलांग कर्मचारी और विकलांगता का मज़ाक उड़ने पर नए विकलांगता कानून के अंतर्गत पहला केस किया[४]
सम्मान/पुरस्कार
साँचा:quote boxवह विकलांगता समुदाय में असाधारण नेताओं को दिए गए प्रतिष्ठित हेनरी विसकार्डि अचीवमेंट अवार्ड जीतने वाले पहले भारतीय हैं।[५] विकलांगता के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए दिल्ली सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय विकलांग दिवस पर २०१६ में इन्हे राजकीय पुरुस्कार से सम्मानित किया।[६]
सन्दर्भ
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