संस्कृत आयोग

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.

प्रथम संस्कृत आयोग

भारत सरकार ने प्रथम संस्कृत आयोग की 1956 में संस्कृत आयोग की स्थापना की थी। प्रोफेसर सुनीति कुमार चटर्जी को इसका अध्यक्ष नियुक्त किया गया। इस पद पर रहते हुए उन्होंने एक रिपोर्ट तैयार की जो साहित्य तथा कला कृति है। संस्कृत आयोग ने संस्कृत के विविध आयामों पर विस्तृत प्रकाश डाला।

द्वितीय संस्कृत आयोग

द्वितीय संस्कृत आयोग का गठन 58 साल बाद २०१४ में किया गया और इसे यूपीए-2 सरकार ने लोकसभा चुनाव के कुछ पहले ही गठित किया था। इसके अध्यक्ष पद्मभूषण सत्यव्रत शास्त्री थे। संस्कृत भाषा के सभी स्वरूपों की मौजूदा स्थिति का मूल्यांकन करने और पारम्परिक संस्कृत ज्ञान को आधुनिक शिक्षा प्रणाली से जोड़ने के लिये दूसरे संस्कृत आयोग का गठन किया गया था।

प्राचीन भारत में वैज्ञानिक उपलब्धियों को रेखांकित करते हुए आयोग ने भाषा के उन्नयन के लिए कई सिफारिशें की हैं। आयोग ने अपनी 460 पृष्ठों की अंतिम रिपोर्ट मानव संसाधन विकास मंत्रालय को सौंप दी है।

प्रमुख संस्तुतियाँ

  • 13 सदस्यीय पैनल ने स्कूली शिक्षा में चार भाषा फार्मूले को लागू करने का भी सुझाव दिया है। इसके तहत कक्षा 6 से 10 तक संस्कृत की पढ़ाई को अनिवार्य विषय बनाने की सिफारिश की गई है।
  • विशेष प्रयोगशालाएं स्थापित करने की भी सिफारिश की गई है, जहां वैज्ञानिक और विद्वान साथ-साथ बैठकर प्राचीन भारत के वैदिक यज्ञों, वैदिक यज्ञ की राख के उपचारात्मक गुण, वर्षा आदि विश्वासों का परीक्षण कर सकें।
  • सभी वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकी संस्थाओं में संस्कृत पेपर को अनिवार्य किया जाए।
  • सभी संकायों में संस्कृत अध्यापकों की नियुक्ति की जाए।

जैसा कि इस आयोग ने सिफारिश की है कि कक्षा 6 से 10 तक संस्कृत की पढ़ाई को अनिवार्य विषय बनाया जाए, लेकिन इस पर केन्द्र सरकार कह चुकी है स्कूलों में 10वीं कक्षा तक संस्कृत भाषा को अनिवार्य विषय बनाने का कोई प्रस्ताव नहीं है।

केन्द्र सरकार नई दिल्ली के राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, तिरुपति के राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ, नई दिल्ली के लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ और उज्जैन के महर्षि संदिपनी राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान जैसे विश्वविद्यालयों के माध्यम से संस्कृत भाषा, साहित्य और दुर्लभ शास्त्रों के परिरक्षण, प्रसार, संरक्षण और विकास के सभी उपाय कर रही है। राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान के तहत 21 आदर्श संस्कृत महाविद्यालय, चार आदर्श शोध संस्थान, 11 परिसर और महर्षि सांदिपनी राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान के अधीन 73 वैदिक पाठशालाएं हैं जिन्हें वित्तीय सहायता दी जाती है।

इसके अलावा संस्कृत के प्रख्यात विद्वानों के सम्मान के लिये सम्मान प्रमाण-पत्र और संस्कृत के युवा विद्वानों के सम्मान के लिये महर्षि वादरायण व्यास सम्मान की योजना चल रही है। इस योजना के तहत अप्रवासी भारतीय या विदेशी नागरिक के लिये एक अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार भी समाविष्ट किया गया है।

बाहरी कड़ियाँ