संभाजी भिडे

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.
संभाजी भिडे
जन्म संभाजी विनायक भिडे
सबनिसवाडी, सतारा, महाराष्ट्र, भारत
राष्ट्रीयता भारतीय
व्यवसाय हिंदुत्ववादी सामाजिक कार्यकर्ता
कार्यकाल 1980 तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहे, अब श्री शिवप्रतिष्ठान हिंदुस्थान से कार्य देखते हें।

संभाजी विनायक भिडे महाराष्ट्र से एक हिन्दुत्ववादी कार्यकर्ता हैं। वर्तमान में वे श्री शिवप्रतिष्ठान हिंदुस्थान के संस्थापक एवं प्रमुख हैं। वे अपने समर्थको के बीच "भिडे गुरुजी" के नाम से लोकप्रिय हैं।[१] 1980 तक वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहे, किन्तु कुछ विवाद के कारण अलग होकर एक नया संगठन बनाकर कार्य करने लगे, जिसकी मूल भावना राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के ही करीब थी। आगे चलकर उन्होने 1984 में श्री शिवप्रतिष्ठान हिंदुस्थान की स्थापना की।

संभाजी भिडे का नाम भीमा कोरेंगाव हिंसा भडकाने मे भी सामने आया था, जो मामला अभी कोर्ट में है।[२]

प्रारंभिक जीवन

भिडे महाराष्ट्र के सांगली जिले के रहने वाले है। उनका जन्म सतारा जिले के सबनिसवाडी में हुआ था। उनकी आयु ८७ वर्ष है (कब?)।[३] नरेंद्र मोदी भिडे गुरुजी को अपना प्रेरणा स्थान मानते हैं।[४][५]

कार्यक्षेत्र

भिडे गुरुजी वर्ष 1980 तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहे। उनका कार्यक्षेत्र जादातर पूरा महाराष्ट्र है जहां उन्होने आरएसएस का संगठन स्तर पर काम शुरू किया था। खुदका कट्टर हिंदुत्व पर आधारित ऐसा संघटन शुरू किया जिसका नाम रखा गया, 'श्री शिवप्रतिष्ठान हिंदुस्थान'जो छत्रपती शिवाजी महाराज और धर्मवीर संभाजी महाराज के तत्व विचारोंपर और कट्टर मराठा हिंदूत्व आधारित हें। ।[६][७][८]

विवाद

वर्ष 2009 में उनके संगठन ने दूसरे संगठनों के साथ मिलकर जोधा-अकबर फ़िल्म का विरोध किया था, जिसके बाद पुरे महाराष्ट्र कें ज़िलों में काफ़ी हिंसा हुई थी।साँचा:cn

पंढरपुर के विट्ठल की यात्रा को महाराष्ट्र में काफ़ी महत्वपूर्ण माना जाता है, पुणे में जून 2017 में इन पर इस यात्रा को अवरुद्ध करने का आरोप लगा था।साँचा:cn यह घटना भी काफी विवादित हुयी।

तीसरी घटना महाराष्ट्र के पुणे के पास भीमा कोरेगांव में 1 जनवरी 2018 की है, जहां की हिंसा की आंच पूरे महाराष्ट्र में फैल गयी। उल्लेखनीय है कि दलित समाज ने 1 जनवरी1818 में हुये ईस्ट इंडिया कंपनी की पेशवाओं पर जीत के रूप में एक कार्यक्रम का आयोजन किया था। इस युद्ध में दलितों ने ईस्ट इंडिया कंपनी की ओर से युद्ध किया था। दलित समाज इसे असमानता एवं अन्याय पर जीत के रूप में मनाता है। इस दौरान कई हिंदूवादी संगठनों ने इसका विरोध किया जिस कारण हिंसा हुई। 1 जनवरी 2018 के केरगाव भिमा में जयस्तंभ को अभिवादन करने आये हुए लोंगो जातिवादी लोगों द्वारा पथराव और मारपीठ हुई। उनकी गाडीयों को भी तोडा और जलाया गया। इसका आरोप संभाजी भिडे पर लगा, क्योंकी उन्होंने हिंसा के कुछ दिन पहले वहां के सवर्णो को दलितों के खिलाफ चेताया था। प्रकाश आम्बेडकर ने इस हिंसा के विरोध में 3 जनवरी 2018 को 'महाराष्ट्र बंद' का अवाहन किया, इसे बडा समर्थन मिला और उस बंद में भिडे की गिरप्तारी की मांग उठाई गई। इसके बाद महाराष्ट्र सरकार ने कोरेगाव हिंसा के जांच के लिए एक 'सत्यशोधक समिती' गठीत की, इस कमिटी ने संभाजी भिडे को कोरेगाव हिंसा का मुख्य सुत्रधार एवं आरोपी बताया।[९][१०]

व्यक्तिगत जीवन

भिडे गुरुजी अत्यन्त साधारण तरीके से जीवन बिताते हैं। वो ब्रह्मचारी जीवन में राहते हें। उनके खाने और रहने का इंतज़ाम उनके कार्यकर्ताओं (धारकरी) के ज़िम्मे रहता है। वह सफ़ेद रंग का एक धोती-कुर्ता पहनते हैं और चप्पल नहीं पहनते हैं। एक त्यागी का जीवन और उनका जीवन एक ही हे। उनके श्लोक बहोत लोगोंको पसंद आते हैं।[३][११][१२]

सन्दर्भ

  1. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  2. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  3. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  4. साँचा:cite web
  5. साँचा:cite web
  6. साँचा:cite web
  7. साँचा:cite web
  8. साँचा:cite web
  9. साँचा:cite web
  10. साँचा:cite web
  11. साँचा:cite web
  12. साँचा:cite web