संज्ञेय अपराध
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भारत, श्रीलंका, पाकिस्तान और बांग्लादेश में अपराध (क्राइम) की दो श्रेणीयाँ की गयी हैं-
- (१) संज्ञेय अपराध (Cognizable offence),
- (२) असंज्ञेय अपराध (non-cognizable offence).
आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) में संज्ञेय अपराध की परिभाषा ऐसे अपराध के रूप में की गई है, जिसमें गिरफ्तारी के लिए पुलिस को किसी वारंट की जरूरत नहीं होती। संज्ञेय अपराध सामान्यतः गंभीर होते हैं जिनमें पुलिस को तुरन्त कार्य करना होता है। संज्ञेय अपराध में पुलिस बिना मेजिस्ट्रेट की आज्ञा अनुसंधान प्रारम्भ कर सकती है।
सीआरपीसी में यह भी कहा गया है कि पुलिस को ऐसे मामलों में एफआईआर दर्ज करना चाहिए। दंड प्रक्रिया संहिता की प्रथम अनुसूची के कॉलम सं. 4 में भारतीय दंड संहिता में वर्णित प्रत्येक अपराध के लिए यह अंकित किया गया है कि वह अपराध संज्ञेय है अथवा असंज्ञेय।
प्रमुख संज्ञेय अपराध
- देशद्रोह
- घातक आयुधों (हथियारों) से लैस होकर अपराध करना,
- लोकसेवक द्वारा रिश्वत मामला,
- बलात्कार,
- हत्या,
- लोकसेवक नहीं होने पर गलत तरीके से स्वयं को लोकसेवक दर्शाकर विधि विरुद्ध कार्य करना। जनता को ऐसा आभास हो कि संबंधित व्यक्ति लोकसेवक है।
- विधि विरुद्ध जमाव। योजना बनाकर गैर कानूनी कार्य करना। सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाना।
इन्हें भी देखें
- प्राथमिकी (FIR)
- जमानत
- पुलिस अन्वेषण (Police Investigation)
बाहरी कड़ियाँ
- संज्ञेय अपराधों की एफआईआर और अन्वेषण (वेबदुनिया)
- जीरो एफ आई आर की अवधारण (नवभारत टाइम्स)
- भारत में अपराध के प्रकार (न्याय)