शैरन (उपग्रह)
शैरन, जिसे कैरन भी कहतें हैं, बौने ग्रह यम (प्लूटो) का सब से बड़ा उपग्रह है। इसकी खोज १९७८ में हुई थी। २०१५ में प्लूटो और शैरन का अध्ययन करने के लिए अमेरिकी सरकार द्वारा एक "न्यू होराएज़न्ज़" (हिंदी अर्थ: "नए क्षितिज") नाम का मनुष्य-रहित अंतरिक्ष यान भेजने की योजना है। शैरन गोलाकार है और उसका व्यास १,२०७ किमी है, जो प्लूटो के व्यास के आधे से थोड़ा अधिक है। उसकी सतह का कुल क्षेत्रफल लगभग ४५.८ लाख वर्ग किलोमीटर है। जहाँ प्लूटो की सतह पर नाइट्रोजन और मीथेन की जमी गुई बर्फ़ है वहाँ शैरन पर उसकी बजाए पानी की बर्फ़ है। प्लूटो पर एक पतला वायुमंडल है लेकिन शैरन के अध्ययन से संकेत मिला है के उसपर कोई वायुमंडल नहीं है और उसकी सतह के ऊपर सिर्फ़ खुले अंतरिक्ष का व्योम है। शैरन पर प्लूटो की तुलना में पत्थर कम हैं और बर्फ़ अधिक है।
अन्य भाषाओँ में
शैरन को अंग्रेज़ी में "Charon" लिखा जाता है।
भीतरी बनावट
खगोलशास्त्रियों में आपस में मतभेद है के शैरन के अन्दर बर्फ़ और पत्थर की अलग तहें हैं या पूरे उपग्रह में एक जैसा बर्फ़ और पत्थर का मिश्रण है। प्लूटो और शैरन का घनत्व देखकर अंदाजा लगाया जाता है के प्लूटो का ७०% द्रव्यमान पत्थर है जबकि शैरन का केवल ५०-५५% पत्थर है। इस से कुछ वैज्ञानिकों की सोच है के प्लूटो पर किसी अन्य वस्तु के ज़बरदस्त टकराव से उसका ऊपर का मलबा उड़कर एक उपग्रह के रूप में इकठ्ठा हो गया। इसलिए शैरन में प्लूटो की ऊपरी सतह की बर्फ़ अधिक है और प्लूटो के अन्दर के पत्थर कम। लेकिन इस विचार में एक शंका पैदा होती है - अगर वास्तव में ऐसा हुआ होता तो शैरन का और भी बड़ा प्रतिशत हिस्सा बर्फ़ का बना होना चाहिए और प्लूटो का और भी बड़ा प्रतिशत हिस्सा पत्थर का। इसलिए कुछ अन्य वैज्ञानिकों का मानना है के शैरन और प्लूटो शुरू से ही अलग वस्तुएँ थीं जो टकराई, लेकिन फिर अलग होकर एक-दुसरे की परिक्रमा करने लगी।
उपग्रह या जुड़वाँ ग्रह
प्लूटो और शैरन का मेल सौर मण्डल में अनोखा है। शैरन का व्यास (डायामीटर) प्लूटो के आधे से ज़्यादा है और उसका द्रव्यमान प्लूटो का ११.६% है - जो सौर मण्डल में किसी भी उपग्रह-ग्रह की जोड़ी में सबसे अधिक है। तुलना के लिए पृथ्वी के चन्द्रमा का व्यास पृथ्वी का लगभग एक-चौथाई और द्रव्यमान पृथ्वी का केवल १.२% है। इस कारण से प्लूटो और शैरन का मिला हुआ द्रव्यमान केन्द्र का बिंदु प्लूटो के अन्दर नहीं बल्कि इन दोनों के बीच के खुले व्योम में पड़ता है और प्लूटो और शैरन दोनों इस बिंदु की परिक्रमा करते हैं। अगर खगोलशास्त्र की परिभाषाएँ सख्ती से लगाई जाएँ तो ऐसी स्थिति में दो खगोलीय वस्तुओं को ग्रह-उपग्रह न कहकर जुड़वाँ ग्रह कहा जाता है। फिर भी आम तौर पर शैरन को प्लूटो का उपग्रह ही माना जाता है।