शेर सिंह राणा
समशेर सिंह राणा | |
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जन्म | साँचा:br separated entries |
मृत्यु | साँचा:br separated entries |
जीवनसाथी | प्रतिमा सिंह |
पंकज सिंह उर्फ समशेर सिंह राणा एक राजनीतिज्ञ है, इन्होंने 2001 मैं सम्बन्धित एक भारतीय डकैत से सांसद बनी फूलन देवी की हत्या की । अगस्त 2014 में, राणा को आजीवन कारावास और देवी की हत्या के लिए ₹100,000 (लगभग US$1,600) का जुर्माना, साथ ही साथ साजिश के आरोप, 10 साल की सजा सुनाई गई थी।[१] राजपूत सम्राट पृथ्वीराज चौहान के अवशेषों को वापस भारत ले आए। अब राणाजी एक राजनेता के रूप में काम करते हैं और उनकी अपनी पार्टी है.[२] [३]
फूलन देवी की हत्या
25 जुलाई 2001 को दिल्ली स्थित सरकारी आवास के सामने फूलन देवी की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई।[४] इस घटना के दो दिन बाद आरोपी शेर सिंह राणा ने देहरादून में पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया और हत्या में शामिल होने की बात स्वीकार कर ली। इस हत्या को अंजाम देने का जो कारण सामने आया वह चौंकाने वाला था। पुलिस के अनुसार राणा ने बहमई हत्याकाण्ड में मारे गए 22 राजपूतों की हत्या का बदला लेेेेने के लिए हत्या की। [५][६]
जेल से फरार
लगभग तीन साल पश्चात 17 फरवरी 2004 को राणा फिल्मी अंदाज में तिहाड़ जेल से फरार हो गये। तिहाड़ जैसी अतिसुरक्षित जेल से किसी कैदी का फरार हो जाना अपने आप में बहुत बड़ी बात थी ओर योजना के अनुसार राणा तालिबान चले गए और महाराज पृथ्वीराज चौहान की अस्थियाँ लेकर आये। जिस कारण राणा एक बार फिर सुर्खियों में आ गये। लेकिन 17 मई 2006 को राणा को एक बार फिर कोलकाता के एक गेस्ट हाउस से गिरफ्तार कर लिया गया।[७] अगस्त 2014 में दिल्ली की एक निचली अदालत ने फूलन देवी हत्याकाण्ड के दोषी शेर सिंह राणा को उम्रकैद तथा 1 लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है।[८]
तिहाड़ जेल से फरार
राणा 17 फरवरी 2004 को दोस्त संदीप की मदद से तिहाड़ जेल से फरार हो गया,संदीप ने पुलिस के वेश में राणा को हरिद्वार के दरबार में ले जाने का नाटक किया.[९] और बाद में राणाजी मुरादाबाद गय और एक होटल में चेक-इन किया। राणाजी ने फिर उनके रिश्तेदारों से संपर्क किया जिन्होंने उन्हें संदीप के माध्यम से 1 लाख रुपये भेज दिये.फिर राणाजी वहाँ से रांची चले गए और उन्होंने अपने मित्र संजय गुप्ता के नाम से पासपोर्ट के लिए आवेदन किया.[१०]
पासपोर्ट के लिए दो महीने के इंतजार के दौरान, राणाजी गया और वाराणसी गए, जहां उन्होंने अपने फाइनेंसर सुभाष ठाकुर से मुलाकात की, जो तब स्थानीय जेल में बंद थे। राणा इसके बाद कोलकाता गए, जहां उन्होंने तीन महीने का बांग्लादेश वीजा प्राप्त किया।[११] राणा ने संजय के रूप में प्रस्तुत होकार खुलना में किराए के लिए एक घर लिया और वहीं रहने लगे, बांग्लादेश भाग फरार होन के बाद, रणजी ₹16,500 में एक सैटेलाइट फोन खरीदा ताकि वह बिना ट्रैक किए अपने रिश्तेदारों और दोस्तों से संपर्क कर सके।[१२] और फिर दुबई से अफगानिस्तान की यात्रा की,[१०] - उन्हें व्यक्तिगत खर्च के रूप में लगभग ₹15,000 से ₹20,000 प्रति माह मिलते रहे.[१३] उनकी बहादुरी और बुद्धिमत्ता की हिंदू क्षत्रिय (राजपूत) सेना ने प्रशंसा की।[१४]
राणाजी अफगानिस्तान चले गए और 11वीं शताब्दी के हिंदू राजपूत शासक पृथ्वीराज चौहान के अवशेष लाए,उन्होंने इसका 40 मिनट का वीडियो बनाया और इसे यूट्यूब पर अपलोड कर दिया था , जो इस दावे की पुष्टि करता है.राणाजी को उनकी बहादुरी और बुद्धिमत्ता के कारण सरकार ने उसे न्याय दो और उनकी सजा माफ कर दी [१५]
2012 विधानसभा चुनाव
शेर सिंह राणा ने 2012 में उत्तर प्रदेश के जेवर से निर्दलीय चुनाव भी लड़ा।
सन्दर्भ
- ↑ साँचा:cite news
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