शेख हसीना
शेख हसीना साँचा:small | |
---|---|
बांग्लादेश की प्रधानमन्त्री
| |
पदस्थ | |
कार्यालय ग्रहण 6 January 2009 | |
राष्ट्रपति | Iajuddin Ahmed Zillur Rahman Abdul Hamid |
पूर्वा धिकारी | Fakhruddin Ahmed साँचा:small |
पद बहाल 23 June 1996 – 15 July 2001 | |
राष्ट्रपति | Abdur Rahman Biswas Shahabuddin Ahmed |
पूर्वा धिकारी | Muhammad Habibur Rahman साँचा:small |
उत्तरा धिकारी | Latifur Rahman साँचा:small |
पद बहाल 10 October 2001 – 29 October 2006 | |
पूर्वा धिकारी | Khaleda Zia |
उत्तरा धिकारी | Khaleda Zia |
पद बहाल 20 March 1991 – 30 March 1996 | |
पूर्वा धिकारी | Abdur Rab |
उत्तरा धिकारी | Khaleda Zia |
Leader of the Bangladesh Awami League
| |
पदस्थ | |
कार्यालय ग्रहण 17 May 1981 | |
पूर्वा धिकारी | Syeda Zohra Tajuddin |
जन्म | साँचा:br separated entries |
राजनीतिक दल | Bangladesh Awami League |
अन्य राजनीतिक संबद्धताऐं |
Grand Alliance साँचा:small |
जीवन संगी | Wazed Miah साँचा:small |
बच्चे | Sajeeb Wazed Saima Wazed |
शैक्षिक सम्बद्धता | Azimpur Girl's High School Eden Mohila College University of Dhaka |
धर्म | Islam |
हस्ताक्षर | |
साँचा:center |
शेख हसीना (जन्म: २८ सितम्बर १९४७) बांग्लादेश की वर्तमान प्रधानमंत्री हैं। वे बांलादेशे ९वीं राष्ट्रीय संसद के सरकारी पक्ष की प्रधान एवं बांग्लादेश अवामी लीग की नेत्री हैं। वे बांलादेश के महान स्वाधीनता संग्राम के प्रधान नेता तथा बांग्लादेश सरकार के प्रथम राष्ट्रपति राष्ट्रीय जनक बंगबन्धु शेख मुजीबुर्रहमान की पुत्री हैं।
परिचय
उनके पिता, माँ और तीन भाई १९७५ के तख्तापलट में मारे गए थे। उस हादसे के बाद भी उन्हें राजनीतिक सफलता आसानी से नहीं मिली। उन्होंने ८० के दशक में बांग्लादेश में जनरल इरशाद के सैनिक शासन के ख़िलाफ़ जो मुहिम छेड़ी, उसके दौरान उन्हें कई बार जेल जाना पड़ा। जनरल इरशाद के बाद भी उन्हें जनरल की पत्नी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की खालिदा ज़िया से कड़ी प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ कड़वी और लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी।
१९९६ में शेख हसीना ने चुनाव जीता और कई वर्षो तक देश का शासन चलाया। उसके बाद उन्हें विपक्ष में भी बैठना पड़ा। उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा। उन पर एक बार जान लेवा हमला भी हुआ जिसमें वे बाल बाल बच गईं लेकिन उस हमले में २० से भी ज़्यादा लोगों की मौत हो गई। एक बार फिर बांग्लादेश राजनीति के गहरे भँवर में फंस गया और देश की बागडोर सेना-समर्थित सरकार ने संभाल ली। इस सरकार ने शेख हसीना पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए और उनका ज्यादातर वक्त हिरासत में ही गुज़रा। इस बीच वे अपने इलाज के लिए अमरीका भी गईं और ये अंदाज़ा लगाया जा रहा था कि वे जेल से बचने के लिए शायद वापस लौट कर ही ना आएँ। लेकिन वे वापस लौटीं और दो साल के सैनिक शासन समेत सात साल बाद २००८ में हुए संसदीय चुनावों में विजय प्राप्त की।