शिवराम कश्यप

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.

शिवराम कश्यप (सन् १८८२ - १९३४), भारतीय वनस्पतिविज्ञानी थे। अभिनेत्री कामिनी कौशल इनकी पुत्री थीं।

परिचय

शिवराम कश्यप का जन्म पंजाब के झेलम नगर के एक प्रतिष्ठित सैनिक परिवार में हुआ था। सन् १८९९ में आने पंजाब विश्वविद्यालय की मैट्रिकुलेशन परीक्षा पास की तथा सन् १९०४ में आगरा के मेडिकल स्कूल की उपाधि परीक्षा में उत्तीर्ण विद्यार्थियो में सर्वप्रथम स्थान प्राप्त किया। मेडिकल स्कूल में पढ़ते समय ही आपने इंटरमीडिएट सायंस की परीक्षा दी और पंजाब विश्वविद्यालय में सर्वप्रथम आए। उत्तर प्रदेश के मेडिकल विभाग में सेवा आरंभ की ओर सेवा करते हुए पंजाब विश्वविद्यालय की बी.एस-सी. परीक्षा भी दी और फिर सर्वप्रथम स्थान प्राप्त किया। सन् १९०६ में गवर्नमेंट कालेज, लाहौर, में आप सहायक प्रोफेसर नियुक्त हुए तथा तीन वर्ष बाद वनस्पति शास्त्र का विषय लेकर, आपने एम.एस-सी. परीक्षा पास की और विश्वविद्यालय के एम.ए. और एम.एस-सी. कक्षाओं के विद्यार्थियों में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया। सन् १९१० में आप इंग्लैण्ड गए तथा दो वर्ष पश्चात् केंब्रिज विश्वविद्यालय से आपको नैचुरल सायंस ट्राइपॉस की डिग्री प्राप्त हुई।

स्वदेश वापस आने पर, आप गवर्नमेंट कालेज, लाहौर, में वनस्पति शास्त्र के प्रोफेसर नियुक्त हुए। सन् १९१९ में आप युनिवर्सिटी प्रोफेसर हुए तथा सन् १९२९ में आपकी पदोन्नति इंडियन एडुकेशनल सर्विस में हुई। आप पंजाब विश्वविद्यालय के फेलो तथा सिंडिकेट के सदस्य भी निर्वाचित हुए और दीर्घ काल तक विज्ञान विभाग के डीन रहे। आगरा, लखनऊ तथा बनारस विश्वविद्यालयों के विज्ञान विभागों से भी आप बराबर संबद्ध थे। विज्ञान को आपकी बहुमूल्य देन के आधार पर, पंजाब विश्वविद्यालय ने सन् १९३३ में आपको डॉक्टर ऑव सायंस की मानोपाधि दी। सन् १९१९ में भारतीय विज्ञान कांग्रेस के वनस्पति अनुभाग के तथा सन् १९२२ में पूर्ण अधिवेशन के आप अध्यक्ष निर्वाचित हुए थे। सन् १९२० में इंडियन वोटैनिकल सोसायटी की स्थापना पर आप उसके मंत्री तथा पाँच वर्ष बाद उसके सभापति हुए। इस संस्था के जर्नल के मुख्य संपादक रहने के सिवाय, आप हॉलैंड के 'क्रॉनिका बोटैनिका' नामक पत्र के सलाहकार संपादक रहे।

डा. कश्यप ने वनस्पति शास्त्र से संबंधित अनेक मौलिक अनुसंधान किए और मूल्यवान लेख लिखे हैं, जिनमें एक्विसीटम (Equisetum) के लैंगिक जनन, पश्चिमी हिमालय के लिवरवर्ट (liverworts) तथा तिब्बत के वनस्पतिसमूह पर लिखे लेखों ने आपकी ख्याति देश और विदेश में फैला दी। इन्होंने पश्चिमी हिमालय तथा पश्चिमी और मध्य तिब्बत में लंबी यात्राएँ कीं। इस प्रदेश की खोज तथा यहाँ की वनस्पतियों के अध्ययन में इनकी विशेष रुचि थी। दुर्बल स्वास्थ्य पर भी निरंतर खोज में लगे रहकर, डा. कश्यप ने सिद्ध कर दिया कि वैज्ञानिक अनुसंधान के आगे वे अपने जीवन तक को भी कोई महत्व नहीं देते थे।

बाहरी कड़ियाँ