शिवनारायण द्विवेदी ‘रमेश’
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शिवनारायण द्विवेदी ‘रमेश’ उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद नगर के निवासी थे। इनका समय सम्वत् 1932-1992 है। इनका ‘बिलेलेले’ उपनाम भी मिलता है। आपके ‘मनमौज’, ‘गंगा लहरी’, ‘श्री रामविवाह’, ‘रमेशानुभव’, ‘कान्यकुब्ज पचीसी’, ग्रंथ प्रकाशित हैं। इन्होंने अनेक हास्य कविताएँ भी लिखी हैं।[१]
‘बिलेलेले’ की रेल पेल का अवलोकन कीजिए-
आली फाग की उमंग अंग अंग राग रंग
हाँसी की तरंग पै तरंग उठै बेरि बेरि।
ऊधम मचावै इठलावै इतरावै गावै
इत उत धावै लावै एकै एक घेरि घेरि।
कूदि किलकारी देत गारी देत तारी
भरि पिचकारी देत गेर कींच में लथेरि।
तामैं अलबेली बिलेलेले जी अकेले
रेले पेले ठेले घुसे जात हहरी हरषि हेरि।