शवलेपन

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शवलेपन (साँचा:lang-en) विज्ञान कि सहायता से मानव अवशेष कों संरक्षण करने की कला है। यह प्रक्रिया अपघटन का अनुमान लगाने के लिए कि जाती है। इन्हें सम्भालने का उद्देश्य धार्मिक भी हो सकता है या फिर इन्हें किसी वैज्ञानिक या अन्य किसी उद्देश्य से भी संरक्षण किया जाता है। शवलेपन के तीन गोल स्वच्छता, प्रस्तुति, और संरक्षण (या बहाली) हैं।

इतिहास

यह प्रक्रिया 5000-6000 ई.पू से चलती आ रही है। कुछ लोग इसे विज्ञान के लिए करते हैं तो कुछ लोग धार्मिक उद्देश्य से।

आधुनिक तरीके

संयुक्त राज्य अमेरिका में नागरिक युद्ध के युग शवलेपन में रुचि फूट पड़ी और यह देश भर में बहुत आम हो गया।

आधुनिक तरीकों में देखा जाये तो अपघटन कों रोकने के लिए शव की धमनी नेटवर्क में विभिन्न रासायनिक समाधान के इंजेक्शन लगाये जाते हैं।

आज

आज कि दुनिया में देखा जाये तो श्व्लेपन का उपयोग शव के रिश्तेदारों या घरवालों के सामने उसकी बेहतर स्तिथि दिखने के लिए भी किया जाता है। अगर मन जाये तो अगर शव बेहतर दिखे तो यह रिश्तेदारों कि दुःख कि प्रक्रिया में सहायक मन जाता है। अर्थात अगर शव कि हालत बेहतर हो तो घरवाले शांत रहते हैं। श्व्लेपन सडन कि प्रक्रिया कों भी रोकने में सहायक होता है।

सन्दर्भ

  • Abrams, J.L. Embalming. 2008.
  • Frederick, L.G.; Strub, Clarence G. [1959] (1989). The Principles and Practice of Embalming, 5th ed., Dallas, TX: Professional Training Schools Inc & Robertine Frederick. OCLC 20723376.
  • Mayer, Robert G. (2000-01-27). Embalming: History, Theory and Practice, 3rd ed., McGraw-Hill/Appleton & Lange. ISBN 978-0-8385-2187-8.

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ