शक्ति प्रवाह का अध्ययन

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साँचा:asbox शक्ति इंजीनियरी के सन्दर्भ में, किसी शक्ति प्रणाली में विद्युत शक्ति के प्रवाह तथा अन्य प्राचलों (जैसे वोल्टता) की गणना करना शक्ति-प्रवाह अध्ययन (power-flow study) या उद्भार प्रवाह अध्ययन ( load-flow study) कहलाता है। यह अध्ययन, शक्ति प्रणाली को स्टीडी-स्टेट में मानते हुए, किसी दिये हुए लोड के लिये, की जाती है। इसके द्वारा प्रणाली के विभिन्न बिन्दुओं (नोडों) पर वोल्टता, वोल्टता कोण, वास्तविक शक्ति तथा आभासी शक्ति आदि की गणना की जाती है।

शक्ति-प्रवाह अध्ययन का उद्देश्य यह है कि इसके माध्यम से पहले से ही पता रहता है कि किस स्थिति में क्या होगा। उदाहरण के लिये, हम पहले से ही पता कर सकते हैं कि कोई ट्रान्समिशन लाइन रखरखाव के लिये काट दी जाय (बन्द कर दी जाय) तो क्या शेष लाइनों के माध्यम से, लाइनों की क्षमता के अन्दर रहते हुए भी, लोडों को आवश्यक शक्ति की पूर्ति की जा सकेगी या नहीं।

शक्ति-प्रवाह अध्ययन की दृष्टि से बसें (buses) तीन प्रकार की मानी जातीं हैं-

  • (१) लोड बसें (या PQ buses) -- इन बसों पर वास्तविक शक्ति P तथा आभासी शक्ति Q के मान ज्ञात होते हैं,
  • (२) जनित्र बसें (या, PV buses) -- इन बसों पर वास्तविक शक्ति P तथा वोल्टता V ज्ञात होती है (किन्तु वोल्टता के कोणांक अज्ञात होते हैं।)
  • (३) स्लैक बसें (Slack buses) -- जनित्र से जुड़ी हुई बसों में से किसी एक को 'स्लैक बस' कहा जाता है और इस पर वोल्टता V ज्ञात होता है तथा वोल्टता का कोणांक मान लिया जाता है।

उपरोक्त ज्ञात राशियों के साथ विभिन्न बसों को जोड़ने वाली लाइनों की प्रतिबाधाएँ भी दी होती हैं। इस स्थिति में शेष राशियां (लोड बसों के वोल्टेज और कोणांक, जनित्र बसों के कोणांक, लाइनों में प्रवाहित विद्युत धारा, उनमें प्रवाहित विद्युत शक्ति की मात्रा और दिशा आदि) गणना करके निकाली जातीं हैं। गणना की दृष्टि से यह समस्या एक अरैखिक समस्या (नॉन-लिनियर प्रॉबुलम) है। अतः इसका वैश्लेषिक हल नहीं मिल सकता। किन्तु इसका अंकीय हल (numerical solution) निकाला जा सकता है, जिसके लिये कई विधियाँ हैं। बड़ी-बड़ी शक्ति प्रणालियों की शक्ति-प्रवाह की गणना के लिये कम्प्युटर सिमुलेशन सॉफ्टवेयरों का उपयोग किया जाता है।

इस गणना का आधार यह है कि स्थायी-अवस्था में

(१) कुल उत्पादित वास्तविक विद्युत-शक्ति, खपत होने वाली कुल विद्युत शक्ति के बराबर होती है, तथा
(२) कुल उत्पादित रिएक्टिव विद्युत-शक्ति, खपत होने वाली कुल रिएक्टिव विद्युत शक्ति के बराबर होती है।

<math>P_i=\sum_{k\not =i} \frac{\sin\alpha_{ik}}{X_{ik}}\left|V_i\right|^2 + \left|V_i\right| \sum_{k \not =i} \frac{\left|V_k\right|}{X_{ik}}\sin(\delta_i-\delta_k-\alpha_{ik})</math>

<math>Q_i=\sum_{k \not =i}\left[\frac{\cos\alpha_{ik}}{X_{ik}}-\frac{1}{2X_{cik}}\right]\left|V_i\right|^2 - \left|V_i\right|\sum_{k \not = i}\frac{\left|V_k\right|}{X_{ik}}\cos(\delta_i-\delta_k-\alpha_{ik})</math>

जहाँ:

  • <math>X_{ik}</math> बस i तथा k के बीच रिएक्टेन्स है,
  • <math>R_{ik}</math> बस i तथा k के बीच प्रतिरोध है,
  • <math>\alpha_{ik}=R_{ik}/X_{ik}</math>
  • <math>\delta_i</math> बस i का कोणांक है,
  • <math>V_i</math> बस i की वोल्टता है।

इन्हें भी देखें