व्यक्तित्व विकार

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व्यक्तित्व विकार
वर्गीकरण व बाहरी संसाधन
आईसीडी-१० F60.
आईसीडी- 301.9
एमईएसएच D010554

व्यक्तित्व विकार भिन्न प्रकार के व्यक्तित्वों और व्यवहारों का एक वर्ग है जिसे अमेरिकन साइकियेट्रिक एसोसियेशन (APA) निम्न प्रकार से परिभाषित करता है,

"आतंरिक अनुभव और व्यवहार का एक स्थायी तरीका जो इन लक्षणों को प्रकट करने वाले व्यक्ति की संस्कृति की अपेक्षाओं से स्पष्टतया भिन्न होता है।"[१][२] इसे पहले स्वभाव विकार के नाम से जाना जाता था।

इंटरनेश्नल स्टेटिस्टिकल क्लासिफिकेशन ऑफ डिसीज़ एंड रिलेटेड हेल्थ प्रॉब्लम्स (ICD-10), ने भी व्यक्तित्व विकार को परिभाषित किया है। जिसे विश्व स्वास्थ संगठन (वर्ल्ड हेल्थ और्गनाईज़ेशन) द्वारा प्रकाशित किया गया है। व्यक्तित्व विकार ICD-10 Chapter V: Mental and behavioural disorders के अंतर्गत वर्गीकृत किये गए हैं, विशेषकर मानसिक और व्यवहारिक विकारों के अंतर्गत: 28F60-F69.29 वयस्क व्यक्तित्व और व्यवहार के विकार.[३]

आदर्श रूप से व्यक्तित्व विकार के विभिन्न स्वरुप किसी व्यक्ति की व्यवहार संबंधी प्रवृत्तियों की गंभीर समस्याओं से संबद्ध होते हैं, जो आमतौर पर व्यक्तित्व के अनेकों पहलुओं को शामिल करते हैं और लगभग हमेशा ही काफी हद तक निजी और सामाजिक विदारण से जुड़े होते हैं। इसके अतिरिक्त कई परिस्थितियों में व्यक्तित्व विकार अनम्य और व्यापक होता है, जो काफी हद तक ऐसे व्यवहार के आत्म-अनुरूपता (अर्थात यह प्रवृत्ति उस व्यक्ति की आत्म एकात्मकता के सामान होती है) के कारण होता है और इसलिए वह व्यक्ति इसे उचित समझता है। इस प्रकार के व्यवहार के फलस्वरूप सम्बंधित व्यक्ति सामंजस्य स्थापित को हतोत्साहित करने करने का दोषपूर्ण कौशल ग्रहण करने लगता है जो उन निजी समस्याओं का कारण बन सकता है जिनसे सम्बंधित व्यक्ति अत्यधिक चिंता, बेचैनी और अवसाद का शिकार हो सकता है।[४]

व्यवहार संबंधी इन प्रवृत्तियों की शुरुआत आदर्श रूप से किशोरावस्था के बाद के चरणों से वयस्कता की शुरूआत के बीच देखी जा सकती है और कुछ असामान्य मामलों में यह बचपन में भी देखी जा सकती है।[१] इसलिए यह असंभव ही है कि व्यक्तित्व विकार का निदान 16 या 17 साल की उम्र से पहले करवाना उचित होगा। निदान संबंधी सामान्य निर्देश जो सभी प्रकार के व्यक्तित्व विकारों के लिए लागू होते हैं, वे नीचे दिए जा रहे हैं, इनके हेतु पूरक वर्णन प्रत्येक उप प्रकार के साथ दिए गए हैं।

व्यक्तित्व विकार का निदान काफी व्यक्तिपरक हो सकता है; हालांकि, अनम्य और विस्तृत व्यवहारिक प्रवृत्तियों के कारण प्रायः काफी गंभीर निजी और सामाजिक समस्याएं हो जाती हैं और साथ ही सामान्य क्रियाओं में भी व्यवधान पड़ता है। अनुभूति, विचार और व्यवहार की अनम्य और अविरत प्रवृत्तियां आधारभूत विशवास प्रणाली के कारण जनित मानी जाती हैं और इन प्रणालियों की ओर स्थायी कल्पनाओं या "डिसफंक्शनल इस्कीमेटा" (कॉगनिटिव मॉड्यूल्स) के नाम से संकेत किया जाता है।

वर्गीकरण

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)

  • (F60.) विशिष्ट प्रकार के व्यक्तित्व विकार
    • (F60.0) पीड़नोन्मादी व्यक्तित्व विकार
    • (F60.1) इस्कीजॉयड व्यक्तित्व विकार
    • (F60.2) असामाजिक व्यक्तित्व विकार
    • (F60.3) सीमावर्ती व्यक्तित्व विकार
    • (F60.4) नाटकीय व्यक्तित्व विकार
    • (F60.5) सनकी-बाध्यकारी व्यक्तित्व विकार
    • (F60.6) चिन्ता संबंधी (परिवर्जक) व्यक्तित्व विकार
    • (F60.7) निर्भरता व्यक्तित्व विकार
    • (F60.8) अन्य विशिष्ट प्रकार के व्यक्तित्व विकार
      • आत्मकामी व्यक्तित्व विकार
      • निष्क्रिय-आक्रामक व्यक्तित्व विकार
    • (F60.9) अनिर्दिष्ट व्यक्तित्व विकार
  • (F61.) मिश्रित और अन्य प्रकार के व्यक्तित्व विकार

डीएसएम IV (DSM-IV) एक्सिस II में, 10 प्रकार के व्यक्तित्व विकारों को 3 संघों के समूह में अनुसूचित करता है। डीएसएम (DSM) में उन व्यवहारगत प्रवृत्तियों के लिए भी एक वर्ग है जो इन 10 विकारों के अंतर्गत नहीं आते लेकिन फिर भी व्यक्तित्व विकार के लक्षण प्रकट करते हैं। इस श्रेणी को यह नाम दिया गया है: वे व्यक्तित्व विकार जिनका विवरण अन्य रूप में नहीं दिया गया है।

क्लस्टर A (असामान्य या विचित्र विकार)

  • पीड़नोन्मादी व्यक्तित्व विकार (DSM-IV code 301.0) : इसके प्रमुख लक्षण अतार्किक शंका और अन्य लोगों के प्रति अविश्वास की भावना है।
  • इस्कीजॉयड व्यक्तित्व विकार (DSM-IV code 301.20) : सामाजिक संबंधों के प्रति अरुचि, अन्य लोगों के साथ समय बिताने को आवश्यक नहीं समझना, प्रसन्नता की अनुभूति कर पाने में असमर्थता, अन्तरावलोकन.
  • इस्किजोटाइपल व्यक्तित्व विकार (DSM-IV code 301.22) : इसकी प्रमुख विशेषता विचित्र व्यवहार या विचार होते हैं।

क्लस्टर B (नाटकीय, भावनात्मक या अनियमित विकार)

  • असामाजिक व्यक्तित्व विकार (DSM-IV code 301.7) : कानून और दूसरों के अधिकारों के प्रति व्यापक असम्मान।
  • सीमावर्ती व्यक्तित्व विकार (DSM-IV code 301.83) : अत्यधिक "निम्न या उच्च" विचारधारा, संबंधों में अस्थायित्व, आत्म-प्रतिबिम्ब करने की प्रवृत्ति, इनकी पहचान व व्यवहार प्रायः स्वयं को नुकसान पहुंचाने और आवेगात्मक व्यवहार तक पहुंच जाते हैं। सीमावर्ती व्यक्तित्व विकार महिलाओं में पुरुषों की अपेक्षा तीन गुना अधिक पाया जाता है।[५]
  • नाटकीय व्यक्तित्व विकार (DSM-IV code 301.50) : अत्यधिक ध्यान आकर्षित करने वाला व्यवहार जिसमे अनुचित यौन सम्मोहन और ओछा या अतिरंजित व्यवहार भी सम्मिलित होता है।
  • आत्मकामी व्यक्तित्व विकार (DSM-IV code 301.81) : वैभवता, प्रशंसा की इच्छा और समानुभूति की कमी की प्रवृत्ति।

क्लस्टर C (चिंता या भय संबंधी विकार)

  • परिवर्जित व्यक्तित्व विकार (DSM-IV code 301.82) : सामाजिक निरोध, अपर्याप्तता की भावना, नकारात्मक मूल्यांकन के प्रति अत्यधिक संवेदनशीलता और सामाजिक पारस्परिक क्रिया का परिहार।
  • निर्भरता व्यक्तित्व विकार (DSM-IV code 301.6) : अन्य लोगों पर अत्यधिक मानसिक निर्भरता।
  • सनकी-बाध्यकारी व्यक्तित्व विकार (यह सनकी-बाध्यकारी विकार से अलग है) (DSM-IV code 301.4) : इसके प्रमुख लक्षणों में नियमों और नैतिक व्यवहारों का बाध्यकारी अनुपालन तथा अत्यधिक नियमितता आते हैं।

परिशिष्ट B: आगे के अध्ययन के लिए मापदंड सेट और अक्ष

परिशिष्ट B निम्नलिखित विकारों को शामिल करता है।[६] अब भी यह विकार चिकित्सकों के मध्य व्यापक स्तर पर मान्य विकारों के रूप में देखे जाते हैं, उदहारण के लिए थियोडोर मिलियन.[७]

  • अवसाद संबंधी व्यक्तित्व विकार - यह अवसादपूर्ण संज्ञानों और वयस्कता के साथ शुरू होने वाले व्यवहारों की एक व्यापक प्रवृत्ति है।
  • निष्क्रिय-आक्रामक व्यक्तित्व) विकार (नकारात्मक व्यक्तित्व विकार - यह नकारात्मक प्रवृत्ति और अंतर्वैयक्तिक परिस्थितियों में निष्क्रिय प्रतिरोध की प्रवृत्ति है।

हटा दिए गए:

करोड़ों लोगों के द्वारा आज भी यह विकार मान्य माने जाते हैं।[७] यह DSM-III-R में थे लेकिन DSM-IV से इन्हें हटा दिया गया था। यह दोनों ही "प्रपोस्ड डायग्नोस्टिक कैटेगरीज़ नीडिंग फर्दर स्टडी",[८] नामक परिशिष्ट में प्रकाशित हुए और इसलिए इनका कोई ठोस नैदानिक मापदंड नहीं है।

  • परपीड़क व्यक्तित्व विकार - यह निर्दयी, अपमानजनक और आक्रामक व्यवहार की प्रवृत्ति वाला होता है।
  • आत्म-पराजय संबंधी व्यक्तित्व विकार (दुर्व्यवहार संबंधी व्यक्तित्व विकार)-इसका प्रमुख लक्षण किसी व्यक्ति के आनंद और उसके लक्ष्य का अवमूल्यन है।

कारण

कॉलेज जाने वाले लगभग 600 पुरुष विद्यार्थियों पर किये गए एक अध्ययन में, जिनकी औसत आयु लगभग 30 वर्ष थी और जो किसी नैदानिक समूह से नहीं लिए गए थे, बचपन के यौन और शारीरिक दुर्व्यवहार के अनुभवों और वर्तमान के व्यक्तित्व विकार लक्षणों का परीक्षण किया गया। बाल दुर्व्यवहार का इतिहास निर्णायक ढंग से लक्षण विज्ञान के उच्च स्तरों से जुड़ा हुआ था। दुर्व्यवहार की गंभीरता सांख्यिकीय दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण थी लेकिन चिकित्सकीय दृष्टि से यह नगण्य थी, लक्षण विज्ञान का प्रसरण क्लस्टर A,B और C और मापांक तक विस्तृत था। [९]

इस बात के स्पष्ट प्रमाण हैं कि बचपन में दुर्व्यवहार और उपेक्षा वयस्क अवस्था में व्यक्तित्व विकार विकसित करने के पूर्ववर्ती जोखिम हैं।[१०] निम्नांकित अध्ययन में दुर्व्यवहार की गतावलोकी रिपोर्टों की नैदानिक समुदाय के साथ तुलना करने का प्रयास किया गया जिसमे उन मामलों में बचपन से वयस्कता तक साइकोपैथोलॉजी को प्रमाणित किया जिन्होंने दुर्व्यवहार और उपेक्षा का अनुभव किया था। दुर्व्यवहार के शिकार हुए समूह ने सर्वाधिक प्रमाणित ढंग से और सदैव साइकोपैथोलॉजी की प्रवृत्ति के उच्च स्तर का प्रदर्शन किया। यह देखा गया कि आधिकारिक रूप से प्रमाणित शारीरिक दुर्व्यवहार के अनुभव ने असामाजिक और आवेगपूर्ण व्यवहार के विकास में मजबूत भूमिका निभायी. दूसरी ओर, उपेक्षा के रूप में दुर्व्यवहार का शिकार हुए मामले जिसने चाइल्डहुड पैथोलॉजी को जन्म दिया, उनमे वयस्कता में आंशिक ढीलेपन का अनुभव किया गया।[१०]

रोग-निदान

आइसीडी-10 (ICD-10) के अनुसार, व्यक्तित्व विकार का निदान ऐसा होना चाहिए कि वह विशिष्ट व्यक्तित्व विकारों के अंतर्गत अनुसूचित विशिष्ट मापदंडों के अतिरिक्त निम्नांकित सामान्य मापदंडों को भी अवश्य ही संतुष्ट करे:

  1. इस बात के प्रमाण हैं कि किसी व्यक्ति के लक्षण और आतंरिक अनुभवों तथा व्यवहार की स्थायी प्रवृत्ति समग्र रूप से सांस्कृतिक रूप से अपेक्षित और स्वीकृत क्षेत्र (या "नॉर्म") से महत्त्वपूर्ण रूप से विचलित होती है। इस प्रकार का विचलन निम्न दिए गए क्षेत्रों में से एक से अधिक क्षेत्र में अवश्य ही प्रत्यक्ष होना चाहिए:
    1. 1. संज्ञान (अर्थात, बातों, लोगों और घटनाओं को ग्रहण करने और उनकी व्याख्या करने का तरीका; अपनी और अन्य लोगों की प्रवृत्ति व छवि बनाने की प्रवृत्ति);
    2. प्रभावकारिता (सीमा, तीव्रता, भावनात्मक उत्तेजना और प्रतिक्रिया का औचित्य);
    3. आवेगों पर नियंत्रण और आवश्यकताओं की संतुष्टि;
    4. अन्य लोगों के साथ सम्बन्ध स्थापित कर पाने और अंतर्वैयक्तिक परिस्थितियों को संभालने का तरीका.
  2. यह विचलन अवश्य ही ऐसे व्यवहार द्वारा व्यापक रूप से स्पष्ट होना चाहिए जो अनम्य या अनुकूलन को बाधित करने वाला हो या अन्यथा अनेकों निजी और सामाजिक परिस्थितियों में दुष्क्रियाशील हो (अर्थात, यह सिर्क एक विशिष्ट "सक्रियात्मक" उद्दीपन या परिस्थिति तक सीमित नहीं होना चाहिए).
  3. निजी चिंता या सामाजिक वातावरण पर विपरीत प्रभाव या दोनों, स्पष्तः दिए गए लक्षण 2 के अंतर्गत इसके लिए उत्तरदायी होते हैं।
  4. इस बात के प्रमाण अवश्य ही होने चाहिए कि यह विचलन स्थायी और चिरकालिक हो, जिसका प्रारंभ बचपन के पूर्वार्ध या किशोरावस्था में हो गया हो.
  5. इस विचलन की व्याख्या वयस्कों के मानसिक विकारों के प्रत्यक्षीकरण या उनके फलस्वरूप होने के रूप में नहीं की जा सकती, हालांकि भाग F00-F59 or F70-F79 से इस वर्गीकरण की संयोगिक या चिरकालिक परिस्थितियां दोनों ही एकसाथ विद्यमान हो सकती हैं या विचलन पर अधिरोपित भी हो सकती है।
  6. विचलन के कारण के रूप में ऑर्गेनिक ब्रेन डिसीज़, चोट या दुष्क्रियाशीलता की सम्भावना को शामिल नहीं करना चाहिए. (यदि कोई ऑर्गेनिक कार्योत्पादन उद्भावन प्रकट हो तो, श्रेणी F07. - का प्रयोग होना चाहिए.)

बच्चों और किशोरों में

व्यक्तित्व विकार की शुरुआती अवस्थाओं या प्रारंभिक प्रारूप को एक बहु-आयामी और शीघ्र कार्य करने वाली पद्धति की आवश्यकता है। व्यक्तित्व विकास विकार एक बचपन की या वयस्क हो जाने पर किसी व्यक्तित्व विकार के शुरुआती चरण की जोखिमपूर्ण अवस्था मानी जाती है।

अधिकारियों में

2005 में, सुरे विश्वविद्यालय लन्दन में, मनोवैज्ञानिक बेलिंडा बोर्ड और कैटरीना फ्रित्ज़न ने उच्च स्तरीय ब्रिटिश अधिकरियों का साक्षात्कार लिया और उनका व्यक्तित्व परीक्षण करके उनके प्रोफाइल की तुलना लन्दन के ब्रॉडमूर अस्पताल में आपराधिक मनोरोगियों से की। उन्होंने देखा कि वास्तव में अधिकारियों में विक्षुब्ध पराधियों की तुलना मे 11 में से 3 प्रकार के व्यक्तित्व विकार बहुत आम थे।

  • नाटकीय व्यक्तित्व विकार: इसमें आकर्षण का दिखावा, धोखेबाजी, आत्मकेन्द्रित होने की प्रवृत्ति और चालबाजी की प्रवृत्ति सम्मिलित होती है।
  • आत्मकामी व्यक्तित्व विकार: इसमें वैभवता, स्वकेंद्रित व्यवहार, दूसरों के प्रति समानुभूति का अभाव, शोषण करने की प्रवृत्ति और स्वायात्तता की प्रवृत्ति शामिल होती है।
  • सनकी-बाध्यकारी व्यक्तित्व विकार: जिसमे निपुणता, कार्य के प्रति अत्यधिक समर्पण, सख्ती, जिद्दीपन और तानाशाही प्रवृत्ति शामिल होती है।[११]

इतिहास

व्यक्तित्व विकार की अवधारणा कम से कम प्राचीन यूनानियों के समय तक जाती है।[३]

सन्दर्भ

साँचा:reflist

आगे पढ़ें

  • अमरिकी साइकिएट्रिक एसोशिएशन (2000). मानसिक विकार के नैदानिक और सांख्यिकी मैनुअल. एड 4. (पाठ संशोधन). (डीएसएम-आईवी-टीआर (DSM-IV-TR)). एरलिंग्टन, वीए (VA).
  • हैकर, एच. ओ. स्टाफ (2004). Dorsch Psychologisches Wörterbuch, वर्लग हैंस ह्यूबर, बर्न
  • मार्शल, डब्ल्यू. और सेरिन, आर. (1997) व्यक्तित्व विकार. एस.एम. टर्नर एंड आर. हर्सेन में (एड्स.) वयस्क मनोविकृति विज्ञान और निदान. न्यूयॉर्क: विली. 508-541
  • मर्फी, एन. और मैकवी, डी. (2010) ट्रीटिंग सीवियर पर्सनैलिटी डिसऑर्डर: क्रिएटिंग रोबस्ट सर्विसेस फॉर क्लाइंट्स विद कॉम्प्लेक्स मेंटल हेल्थ नीड्स. लंदन: रूटलेज
  • मिलोन, थियोडोर (और रॉजर डी. डेविस, योगदानकर्ता) - डिसऑर्डर्स ऑफ़ पर्सनैलिटी: डीएसएम-आईवी (DSM IV) एंड बियौंड - 2 संस्करण - न्यूयॉर्क, जॉन विली एंड संस, 1995 ISBN 0-471-01186-X
  • युडोफ्सकी, स्टुअर्ट सी. एम.डी. (2005)ISBN 1-58562-214-1 द्वारा घातक दोष: व्यक्तित्व और चरित्र के विकार के साथ लोगों के साथ नेविगेटिंग डिसट्राक्टिव संबंध

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ

  1. मानसिक विकार के नैदानिक और सांख्यिकी मैनुअल
  2. व्यक्तित्व विकार निदान में सामाजिक उम्मीदों से अन्य अधिकारियों की गूंज से महत्व मिला, जैसे बेरियस, जी ई (1993) व्यक्तित्व विकारों परयूरोपीय विचार: एक वैचारिक इतिहास. व्यापक मनश्चिकित्सा 34: 14-30
  3. साँचा:cite book सन्दर्भ त्रुटि: <ref> अमान्य टैग है; "millon" नाम कई बार विभिन्न सामग्रियों में परिभाषित हो चुका है
  4. कर्नबर्ग, ओ. 1984. गंभीर व्यक्तित्व विकार. न्यू हेवन, सीटी: येल यूनिवर्सिटी प्रेस।
  5. हार्टिग सी, विजर टी जेंडर डिफरेंसेस इन द डाइग्नोसिस ऑफ़ मेंटल डिसऑर्डर्स: कन्क्लुज़न एंड काँट्रोवर्सिज़ ऑफ़ द डीएसएम-आईवी (DSM IV). मनोवैज्ञानिक विज्ञप्ति 1998;123 PP260-278
  6. साँचा:cite web
  7. मिलोन, थिओडोर, आधुनिक जीवन में व्यक्तित्व विकार, 2004
  8. फुलर, एके, ब्लैशफिल्ड, आरके, मिलर, एम, हेस्टर, टी सैडिस्टिक एंड सेल्फ-डिफिटिंग पर्सनैलिटी डिसऑर्डर क्राइटेरिया इन अ रुरल क्लिनिक सैम्पलसाँचा:category handlerसाँचा:main otherसाँचा:main other[dead link] नैदानिक मनोविज्ञान के जर्नल, 48(6), 827-831 (2006)
  9. साँचा:cite journal
  10. कोहेन, पेट्रीसिया, ब्राउन, जोसलिन, स्मेल्स, एलिजाबेथ. "चाइल्ड अब्यूज एंड नेगलेक्ट एंड द डेवलपमेंट ऑफ़ मेंटल डिसऑर्डर्स इन द जनरल पौप्युलेशन" विकास और मनोविकृतिविज्ञान. 2001. खंड 13, संख्या 4, पीपी981-999. ISSN 0954-5794
  11. Board, Belinda Jane; Fritzon, Katarina (2005). "Disordered personalities at work". Psychology Crime and Law. 11: 17. doi:10.1080/10683160310001634304.