वेधन (पृथ्वी)

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धरती वेधक यंत्र

किसी भी वस्तु या जगह पर यंत्रो द्वारा छेद करने की क्रिया को वेधन (Boring) कहते हैं। कारखानों की यंत्रशाला (machine shop) में यंत्र के कलपुर्जों के निर्माण के लिए लोहा, पीतल आदि में छेद करने की कभी कभी आवश्यकता पड़ती है। इसके लिए वेधन अपनाया जाता है। वेधन का उपयोग भूविज्ञानियों द्वारा अधिक होता है। वे लोग इस क्रिया का प्रयोग भू वैज्ञानिक एवं अन्य वैज्ञानिक खोजों के लिए करते हैं। किसी नई जगह में जमीन के नीचे खनिज पदार्थ के भंडार का पता वेधन द्वारा चल सकता है। सिविल इंजीनियरों को भी वेधन का प्रोग करना पड़ता है। किसी विशाल मकान को बनाने के पहले यह जानना आवश्यक हो जाता है कि जिस जमीन पर मकान बनाना है उसकी सतह के नीचे कितनी दूरी पर पत्थर का स्तर है। यही नहीं, ऊपरी जमीन की सतह और नीचे पत्थर के स्तर के बीच की मिट्टी का विश्लेषण करना भी आवश्यक हो जाता है। अत: यह देखा जाता है कि वेधन यांत्रिक इंजीनियर, सिविल इंजीनियर, खनिइंजीनियर एव भूविज्ञानियों के लिए उपयोगी ही नहीं, आवश्यक भी है।

कोयला, लोहा आदि की खानों में भी, जिनसे खनिज पदार्थ निकाला जा रहा हो, वेधन उपयोगी है, क्योंकि यह जानना आवश्य होता है कि जिस जगह से खनिज निकल रहे हैं, उसके आगे भी खनिज का भंडार है, या नहीं। खानों में कभी-कभी संकटप्रद स्थान भी सामने आ जाता है, जिससे उन खानों में कार्य करनेवाले श्रमिकों की मृत्यु तक हो सकती है। इस तरह के स्थानों का पता वेधन द्वारा पहले ही कर लिया जाता है, ताकि दु:खद घटनाएँ न घटें।

पेट्रोलियम आदि खनिज तेलों के भंडार का पता वेधन द्वारा किया जाता है एवं इसी क्रिया की सहायता से खनिज तेल खान से बाहर निकाला जा सकता है। इसके बाद परिष्करण इत्यादि के लिए वह दूसरी जगह भेद दिया जाता है। कभी कभी जमीन की सतह के नीचे सेंधा नमक मिलता है। इसको निकालने के लिए वेधन द्वारा छेद बना लिया जाता है। उन छेदों के द्वारा ऊपर से पानी डाला जाता है। उसके बाद लवणजल (brine) को पंप द्वारा ऊपर निकाला जाता है।

वेधन के साधन

चट्टानों में वेधन करने के लिए बहुत से साधन अपनाए जाते हैं, जिनमें ये मुख्य हैं :

हीरा ड्रिल (Diamond Drill)

सभी तरीकों में यह सर्वोत्कृष्ट है। इसकी सहायता से किसी भी कोण पर छेद किया जा सकता है। प्राय: तिरछे छेदों के लिए इसका उपयोग किया जाता है, क्योंकि अन्य तरीकों से सिर्फ सीधा छेद ही हो सकता है। इसके द्वारा वलयाकार (annular) छेद बनता है, जिसके क्रोड (core) से छेद की गई जमीन के नीचे की सारी बनावटें मालूम हो जाती हैं। इससे प्रत्येक स्तर (stratum) की मोटाई, सतह से उसकी दूरी एवं और अन्य बातें जानी जा सकती हैं। इस उपकरण में पेंच द्वारा जुड़ी हुई बहुत सी खोखली छड़ों की एक पंक्ति सी होती है। इसके निचले हिस्से में वलयाकार मुलायम इस्पात का एक बरमा (bit) लगा रहता है, जिसमें आकार के अनुसार आठ या अधिक, 1 से 3 कैरट (carat) के, हीरे सावधानी से लगाए जाते हैं। ये हीरे कुछ बाहर निकले रते हैं। कार्य करते समय बीच बीच में बरमे की जाँच कर ली जाती है, ताकि जैसे ही हीरा कुछ घिस जाए, उसे पूर्ववत् कर दिया जाए। जमीन की सतह पर एक छोटे इंजन की सहायता से छड़ों को जोर से घुमाया जाता है। ज्यों-ज्यों छेद गहरा होता जाता है, त्यों-त्यों छड़ें नीचे चलती जाती हैं। इंजन की गति सतह के नीचेवाली चट्टान और बरमे के व्यास पर निर्भर करती है। वेधन के समय एक पंप की सहायता से जल इन खोखली छड़ों में डाला जाता है, जो छेद की दीवारों और छड़ों के बीच की सतह द्वारा वापस लौट आता है। इससे कटी हुई वस्तुएँ सतह पर लाई जाती हैं।

छड़ द्वारा बँधा हुआ पात ड्रिल (Drop Drill)

यह उकरण बहुत दिनों से वेधन के लिए प्रयुक्त किया जा रहा है। पहले यह बहुत गहरे वेधन के काम में लाया जाता था, किंतु आजकल यह 300 फुट से अधिक की गहराई के लिए शायद ही व्यवहृत होता है। कम गहरे छेद के लिए इस उपकरण को हाथ से ही चलाया जाता है। श्रमिक लोग बरमे को घुमाने के लिए उसके चारों ओर चलते हैं और ड्रिल का कभी ऊपर उठाते हैं, तो कभी नीचे की ओर ले जाते हैं। इसी प्रकर वेधन संपन्न होता है।

रस्सी द्वारा बँधा हुआ पात उपकरण (Drop tool)

छड़ द्वारा बँधे हुए उपकरण और इसमें सिर्फ यही अंतर है कि इसमें छड़ के बदले रस्सी बँधी रहती है। इस तरीके से समय की बचत होती है, क्योंकि इसमें छड़ को ऊपर नीचे नहीं करना पड़ता है और इसमें छेद करते समय रस्सी की सहायता से उपकरण को बहुत तीव्र गति से ऊपर नीचे किया जाता है।

मुलायम मिट्टी में वेधन निम्नलिखित साधनों द्वारा किया जाता है :

चालक नल (Drive Pipes)

इसका व्यवहार चट्टानों के ऊपर लगी हुई मुलायम मिट्टी की गहराई एवं गुण जाँचने के लिए होता है। साधारणत: यह दोनों सिरे पर खुला हुआ पिटवे लोहे का नल है। छोटे आकार के वेधन के लिए नल हथौड़े की सहायता से मिट्टी में गाड़ा जाता है। बड़े एवं गहरे छेद के लिए एक हलके स्थूणा चालक (pile driver) की आवश्यकता पड़ती है। नल का निचला हिस्सा वलयाकार होता है और ऊपर का हिस्सा कुछ चिपटा होता है, ताकि उसपर हथौड़े की चोट पड़ सके।

भूमि बरमा (Earth Auger)

यह उपकरण एक छड़ के एक सिरे र लगाया रहता है। छेद की गहराई के साथ ही साथ छड़ की लंबाई भी बढ़ानी पड़ती है। छड़ के दूसरे सिरे पर कुछ क्षैतिज उत्तोलक (levers) लगे होते हैं, जिनकी सहायता से बरमे को घुमाया जाता है। छोटे आकार के छेद के लिए इसे हाथ से ही घुमा लिया जाता है, किंतु बड़े आकार के छिद के लिए कुछ यांत्रिक साधन व्यवहार में लाए जाते हैं। इस उपकरण के द्वारा वेधन लगातार नहीं हो पाता है, क्योंकि बरमें को कुछ घुमाने के बाद ऊपर किया जाता है और उसमें अटकी हुई मिट्टी साफ कर दी जाती है।

आज के युग में वेधन अत्यंत महत्वपूर्ण एवं उपयोगी प्रक्रिया है।

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